25 साल का वह लड़का जिसे Ratan Tata ने खुद फोन करके दी थी Job, इस एक घटना ने बदली थी किस्मत

| Updated: Feb 02, 2022, 06:29 PM IST

ratan tata with shantnu naidu

रतन टाटा के जन्मदिन पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उनके साथ एक युवा लड़का नजर आ रहा था. यहीं से शुरू हुई थी शांतनु नायडू की चर्चा.

डीएनए हिंदी: तीन साल से एक लड़का रतन टाटा के ऑफिस में बतौर डिप्टी जनरल मैनेजर काम कर रहा है.  बताया जाता है कि दुनिया के दिग्गज उद्योगपतियों में शुमार रतन टाटा ने खुद उसे फोन करके यह जॉब ऑफर की थी. इस बारे में चर्चा तब शुरू हुई जब कुछ समय पहले एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें यह लड़का रतन टाटा को केक खिलाते हुए नजर आ रहा था. जानते हैं क्या है पूरी कहानी-

बीते साल 28 दिसंबर को रतन टाटा ने अपना 84वां जन्मदिन मनाया था. उनके जन्मदिन की सादगी भरी सेलिब्रेशन पार्टी से एक वीडियो भी इंटरनेट पर वायरल हुआ. इसी वीडियो में नजर आए थे शांतनु नायडू, जो रतन टाटा को अपने हाथ से केक खिला रहे थे. यहीं से शुरू हुआ सवालों का सिलसिला, जिनके बाद सामने आई शांतनु नायडू की कहानी. शांतनु ने अपनी यह कहानी ऑनलाइन पोर्टल  'ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' के साथ भी शेयर की थी.

1993 में पुणे में हुआ था जन्म
शांतनु नायडू का जन्म 1993 में पुणे महाराष्ट्र में हुआ था. वह एक प्रसिद्ध भारतीय व्यवसायी, इंजीनियर, जूनियर असिस्टेंट, डीजीएम, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, लेखक और उद्यमी हैं. शांतनु नायडू टाटा (Shantanu Naidu) ट्रस्ट के उप महाप्रबंधक के रूप में देश भर में काफी लोकप्रिय हैं.

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शांतनु ने सन् 2014 में पुणे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की थी. उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली है. इसके बाद ही बतौर डिजाइन इंजीनियर टाटा ग्रुप के साथ उनका सफर शुरू हुआ. यह बेहद आम कहानी है. यह कहानी खास हुई उस शाम को जब काम से घर लौटते हुए शांतनु ने सड़क पर एक कुत्ते को एक्सीडेंट में मरते हुए देखा. इसके बाद शांतनु ने कुत्तों को इस तरह से मरने से बचाने को लेकर सोचना शुरू कर दिया. शांतनु को कुत्तों को गले पर कॉलर बनाने का आइडिया आया. एक ऐसा चमकदार कॉलर, जिसे वाहन चालक दूर से देख सकें. इसके बाद उन्होंने आवारा कुत्तों के गले पर ऐसे कॉलर बांधना शुरू कर दिया. शांतनु का यह काम एक दिन टाटा ग्रुप ऑफ कंपनीज के न्यूजलेटर में भी फीचर किया गया. 

बनाए डॉग कालर्स औऱ लिखा रतन टाटा को खत

इसके बाद डॉग कॉलर्स की डिमांड बढ़ गई, लेकिन इतने ज्यादा कॉलर बनाने के लिए शांतनु के पास पैसे नहीं थे. इस स्थिति में शांतनु के पिता ने उन्हें रतन टाटा को एक खत लिखने की सलाह दी. वह जानते थे कि टाटा को डॉग्स काफी पसंद हैं. शांतनु ने रतन टाटा को खत लिखा. 

दो महीने बाद इस खत का जवाब आया और रतन टाटा ने उन्हें मिलने बुलाया.  शांतनु रतन टाटा के मुंबई ऑफिस में उनसे मिले और उनके डॉग कॉलर वेंचर को फंड करने के लिए मान गए. शांतनु ने ह्यूमंस ऑफ बॉम्हे को दिए इंटरव्यू में बताया कि इसके बाद वह एमबीए करने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी चले गए. इससे पहले उन्होंने रतन टाटा से यह भी वादा किया कि वापस लौटने के बाद वह पूरी जिंदगी टाटा ट्रस्ट के लिए काम  करेंगे.

जब रतन टाटा ने खुद किया कॉल
जब शांतनु लौटे तो खुद रतन टाटा ने उन्हें कॉल किया और कहा, ' मुझे बहुत सारा काम, क्या तुम मेरे असिस्टेंट बनोगे.' शांतनु कहते हैं कि उस वक्त उन्हें समझ ही नहीं आया कि क्या कहा जाए. मैंने गहरी सांस ली और हां कहा. इसके बाद से शांतनु नायडु रतन टाटा के ऑफिस में डिप्टी जनरल मैनेजर के तौर पर काम कर रहे हैं. 

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