डीएनए हिंदी: बचत करना हर व्यक्ति की जरूरत है. जीवन के उतार-चढ़ाव भरे मोड़ पर बचत की गई पूंजी ही काम आती है. कोई खास सपना पूरा करना चाहते हों तब भी बचत ही मददगार साबित होती है.ज्यादातर लोगों के मन में सवाल उठता है कि बचत कैसे की जाए? जबकि इस सवाल का जवाब आपको तुरंत मिल जाएगा जब आप ये जान जाएंगे कि बचत कब की जाए. आपकी बचत से जुड़े हर सवाल के जवाब के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट-
जब आप सही समय पर बचत और निवेश शुरू कर देते हैं तब ये सवाल अपने काम खत्म हो जाता है कि बचत कैसे की जाए. सही उम्र से शुरू की गई बचत और निवेश आपको इतना सक्षम बना देते हैं कि आपको ये सोचना ही नहीं पड़ता कि बचत कैसे की जाए. विशेषज्ञों का मानना यह है कि निवेश की शुरुआत जितनी जल्दी की जाए उतना बेहतर होता है.मसलन यदि आपने 21 साल की उम्र से नौकरी करना या काम करना और पैसा कमाना शुरू कर दिया है तो उसी समय से बचत और निवेश भी शुरू कर दें. इससे आपके पास मूल रकम को कई गुना करने का ज्यादा समय होगा.
कम उम्र में जिम्मेदारियां भी अक्सर कम ही होती हैं. ऐसे में ये सबसे सही समय होता है निवेश को शुरू करने के लिए.यदि ज्यादा जिम्मेदारियां नहीं हैं तो युवा उम्र में आप रिस्क वाले साधनों में भी निवेश कर सकते हैं, जैसे शेयर मार्केट. यदि आपकी शादी हो चुकी है तो आप मॉडरेट रिस्क की क्षमता पर आ जाते हैं ऐसे में आप म्युचुअल फंड, पीपीएफ, पोस्ट ऑफिस में निवेश कर सकते हैं.
एक खास बात यह भी है कि आपको अपने निवेश का उद्देश्य निर्धारित कर लेना चाहिए जिससे आप उस उद्देश्य के लिए प्लानिंग के साथ निवेश कर सकते हैं. इसमें बेटी की शादी से लेकर बच्चों की उच्च शिक्षा, घर या कार खरीदना या वेकेशन की प्लानिंग हो सकती है. आप जरूरत के लिए कैलकुलेशन के आधार पर निवेश कर सकते हैं. वहीं एक खास बात यह भी है कि आप अपने निवेश के लिए एक न्यूनतम राशि तय कर लें और जब आप अधिक पैसा कमा रहे हों तो अधिक निवेश करें और साधारण तौर पर न्यूनतम तय निवेश की राशि जरूर निवेश में लगाएं.
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आज के दौर में म्युचुअल फंड को निवेश का एक बेहतरीन साधन माना जाता है. इसके जरिए आप मात्र 100 रुपये प्रति माह से एसआईपी के जरिए भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इसके अलावा इसकी खास बात यह है कि इसमें आप कभी भी अपना पैसा निकाल सकते हैं. इसमें लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट में चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है. ऐसे में आपके मूलधन पर तो आपको सालाना 15- 20 प्रतिशत का रिटर्न मिलेगा ही लेकिन रिटर्न पर भी उतना ही रिटर्न मिलेगा. इसे ही कंपाउंड इंटरेस्ट की पावर कहा जाता है. संभवतः यही कारण है कि अब लोग एलआईसी के एवज में म्युचुअल फंड में ज्यादा निवेश कर रहे हैं.
शेयर मार्केट को एक जोखिम भरा निवेश माना जाता है. ऐसे में इसमें ट्रेडिंग करना भी भी रिस्की होता है. यदि लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करना है तो आप अपने मनपंसद शेयर्स खरीदने के लिए एक डीमैट अकाउंट बनाकर निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. हाल की बात करें तो भारतीय बाजार में उतार चढ़ाव की स्थिति हैं. ऐसे में यह जोखिम भरा हो सकता है. वहीं इस जोखिम को लेकर दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट कहते हैं कि जब मार्केट में सभी चढ़ाव के कारण लालची बन रहे हों तो सावधान रहना चाहिए लेकिन जब मार्केट में निराशा हो तो उस समय निवेशकों को सबसे ज्यादा लालची बनना चाहिए. इससे मार्केट चढ़ने पर अप्रत्याशित रिटर्न्स मिल सकते हैं.
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इसके अलावा निवेशक के पारंपरिक तौर पर रियल एस्टेट और गोल्ड में भी निवेश कर सकतें है. इसे आज भी लोग निवेश का सबसे अधिक सुरक्षित साधन मानते हैं. हालांकि मंदी के दौर में रियल एस्टेट सेक्टर को काफी नुकसान हुआ है और जमीन की कीमतों में भी बड़ी गिरावट भी देखी गई हैं. ऐसे में आवश्यक रियल स्टेट में निवेश के लिए जोखिमों पर भी गौर किया जाए.
अन्य जगहों की बात करें तो आप एलआईसी पीपीएफ, एफडी, एनपीएस, ईपीएफ, पोस्ट ऑफिस और सेविंग्स अकाउंट में भी निवेश कर सकते हैं. वहीं सरकारीं संस्थाओं में निवेश करने पर आपको रिटर्न भले ही कम मिले लेकिन खास बात यह है कि वहां निवेश करने पर किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं होता है और निवेश के चलते आपको इनकम टैक्स में भी छूट देखने को मिलेगी.
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