डीएनए हिंदी: कोविड काल में दुनिया के करोड़ों लोगों की कमाई कम हुई है. कुछ की तो बिल्कुल भी नहीं रह गई है. महंगाई कई सालों के हाई पर पहुंच गई है. जिसकी वजह से आम लोगों की परेशानियों में लगातार इजाफा होता जा रहा है. गरीब और ज्यादा गरीब होता जा रहा है. जिसकी वजह से वर्ल्ड बैंक ने भी गरीबी के पैमाने या यूं कहें कि परिभाषा में बदलाव किया है. वर्ल्ड बैंक के अनुसार जो 2.15 डॉलर या उससे कम रोज कमाता है तो वो अत्यंत गरीब माना जाएगा.
167 रुपए रोज कमाने वाला माना जाएगा गरीब
वर्ल्ड बैंक के अनुसार अब हर रोज 2.15 डॉलर या इससे कम यानी रोज 167 रुपये कमाने वाला व्यक्ति अत्यंत गरीब माना जाएगा. इससे पहले यह आंकड़ा हर रोज के हिसाब से 145 रुपये का था. वर्ल्ड बैंक समय-समय पर अत्यंत गरीबों की परिभाषा को बदलता रहता है. जिसमें जीवन जीने के खर्च में इजाफे के साथ कई मानकों को आधार बनाया जाता है. इस समय साल 2015 के आंकड़ों के आधार पर गरीबों का आकलन होता है. हालांकि, इस बीच कई चीजें बदली हैं. जिसकी वजह से वर्ल्ड बैंक को अपने मानकों में बदलाव करना पड़ा.
आरबीआई ने दिया स्पष्टीकरण, मौजूदा बैंक नोट्स और करेंसी में नहीं होगा बदलाव
इस साल के अंत से लागू होंगे नए स्टैंडर्ड
वर्ल्ड बैंक का यह नया स्टैंडर्ड इस साल के अंत तक लागू होने के आसार हैं. नए मानक में साल 2017 की कीमतों का उपयोग करते हुए नई वैश्विक गरीबी रेखा तय की गई है. अब नई गरीबी रेखा 2.15 डॉलर निर्धारित की गई है. इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति जो हर रोज 2.15 डॉलर से कम की आमदनी पर जीवन यापन कर रहा है तो वह अत्यधिक गरीबों की श्रेणी में माना जाएगा. अभी तक अत्यंत गरीबों को मापने का मानक हर रोज 1.90 डॉलर या उससे कम की आमदनी है.
गरीबों की संख्या में होगा इजाफा
साल 2017 में ग्लोबल लेवल पर सिर्फ 70 करोड़ लोगों की संख्या अत्यंत गरीबी में रहने वाले लोगों की थी. मौजूदा समय में इनकी संख्या में इजाफा होना तय है. उल्लेखनीय है कि वैश्विक गरीबी रेखा को दुनिया भर में होने वाले कीमतों में बदलाव को दर्शाने के लिए बदला जाता है.
EPFO अपने इंवेस्टमेंट लिमिट को बढ़ाने का कर रहा है विचार, 25 फीसदी तक बढ़ाने की तैयारी
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.