डीएनए हिंदी: फाइनेंस बिल (Finance Bill) देश के फाइनेंस से संबंधित है. यह एक ऐसा बिल है जिसमें आगामी वित्तीय वर्ष के वित्तीय प्रस्तावों को शामिल किया जाता है. फाइनेंस बिल केंद्रीय बजट का एक हिस्सा है जिसे लोकसभा में उसी दिन पेश किया जाता है जब बजट पेश किया जाता है. इसमें करों के अधिरोपण, उन्मूलन, परिवर्तन या विनियमन के प्रावधान हैं. भारत के संविधान के अनुच्छेद 110 के मुताबिक वित्त विधेयक (Finance Bill) भी एक धन विधेयक (Money Bill) है.
फाइनेंस बिल की विशेषताएं
फाइनेंस बिल को तीन वर्गों में बांटा गया है - वित्त विधेयक श्रेणी I, वित्त विधेयक श्रेणी II और धन विधेयक.
पीआरएस इंडिया के मुताबिक, एक मनी बिल (Money Bill) तभी मनी बिल होता है, जब इसमें टैक्सेशन, सरकार द्वारा धन उधार लेने, भारत के कंसोलिडेटेड फंड से व्यय या प्राप्ति से संबंधित प्रावधान होते हैं. जिन विधेयकों में केवल ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो इन मामलों से संबंधित हैं, उन्हें भी धन विधेयक (Money Bill) माना जाएगा.
- वित्त विधेयकों की दोनों श्रेणियों में खर्च, टैक्सेशन या किसी अन्य मामले से संबंधित प्रावधान होते हैं.
- सभी धन विधेयक वित्तीय विधेयक होते हैं, लेकिन सभी वित्तीय विधेयक धन विधेयक नहीं होते हैं.
फाइनेंस बिल बनाम मनी बिल
संविधान की धारा 110 के मुताबिक, मनी बिल को लोकसभा में पेश किया जाना है. इसके बाद इसे राज्य सभा को उसकी सिफारिशों के लिए प्रेषित किया जाता है. राज्यसभा (Rajya Sabha) को 14 दिनों में सिफारिशों के साथ बिल को वापस करना होता है. हालांकि लोकसभा (Lok Sabha) सभी या कुछ सिफारिशों को अस्वीकार कर सकती है.
दूसरी ओर, फाइनेंस बिल, संविधान के अनुच्छेद 117 के मुताबिक स्पष्ट रूप से निर्धारित करता है कि कुछ विशेष प्रावधानों के तहत राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना किसी विधेयक को पेश या ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है. ऐसे प्रावधान करने वाले विधेयक को राज्य सभा में पेश नहीं किया जाएगा.
ब्लू शीट क्या है?
यह एक दस्तावेज है जिसमें बजट और उसके प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी होती है. यह ज्यादातर केंद्रीय बजट पेश होने के कुछ दिनों बाद जारी किया जाता है. यह सरकार की वित्तीय योजनाओं पर एक गहन नज़र प्रदान करता है.
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