Can Money Buy Happiness: क्या पैसे से खरीदी जा सकती है खुशियां, जानिए क्या कहता है रिसर्च?

Written By नेहा दुबे | Updated: Mar 14, 2023, 02:20 PM IST

Can Money Buy Happiness

Can Money Buy Happiness: क्या पैसा की ताकत इतनी होती है की वह खुशियां खरीद सकता है. आइए जानते हैं रिसर्च क्या कहता है...

डीएनए हिंदी: कहते हैं कि पैसों से कुछ भी खरीद सकते हैं लेकिन खुशियां नहीं खरीदी जा सकती है. लेकिन अगर आपको यह पता चले की अब आप पैसों से भी खुशियां खरीद सकते हैं.तो आप क्या कहेंगे? जी हां, यह सच है अब आप पैसों से भी खुशियां भी खरीद सकते हैं.दरअसल इसको लेकर नोबेल पुरस्‍कार (Nobel prize) विजेता मनोवैज्ञानिक और अर्थशास्‍त्री डेनियल काह्नमैन (Daniel Kahneman) का रिसर्च कहता है की पैसे का खुशियों से सीधा संबंध है और रुपयों से खुशियों को खरीदा जा सकता है. इंसान की जैसे जैसे सैलरी बढ़ती जाती है वैसे ही उसके जीवनशैली में बदलाव होता जाता है. अगर किसी व्यक्ति की आय सालाना 82 लाख रुपये से ज्यादा है तो आदमी की जिंदगी में अपने आप खुशियां आती जाती हैं.

खुशियों पर क्या कहता है रिसर्च?

हाल के समय में काह्नमैन का किया गया रिसर्च साल 2010 में किए गए रिसर्च से बहुत अलग है. साल 2010 में काह्नमैन ने अपनी रिसर्च में कहा था की पैसों से खुशियों को एक सीमित दायरे तक ही रखा जा सकता है. वाशिंगटन पोस्‍ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेनियल काह्नमैन और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी (Princeton University) के मैथ्‍यु किलिंग्‍सवॉर्थ के जरिए की गई खुशियों पर यह रिसर्च नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस में पब्लिश हुई है. इस रिसर्च के लिए डेनियल और मैथ्‍यु 18 साल से लेकर 65 साल के बीच के 33,391 अमेरिकी नागरिकों को शामिल किया है. इस रिसर्च में जिन लोगों की सैलरी 82 लाख रुपये से ज्यादा है वह सभी खुश हैं. रिसर्चर्स ने इन सभी के रिस्पांस को मोबाइल ऐप में रिकॉर्ड किया है.

सैलरी में बढ़ोतरी से लोगों को मिलती है खुशी

रिसर्च के मुताबिक जिन लोगों की सैलरी में बढ़ोतरी होती है उनकी खुशियों में दिन पर दिन इजाफा होता है. बता दें पैसों को लेकर कोई सीक्रेट नहीं होता लेकिन यह खुशियों को बढ़ाने में मदद करता है.

कौन हैं डेनियल काह्नमैन?

साल 2002 में डेनियल काह्नमैन को नोबल पुरस्कार मिला था. इस रिसर्च में उन्होंने बताया था की लोग जोखिम या वित्तीय जोखिम लेते वक्त कैसे अपने निर्णय पर काम करते हैं. इसको लेकर उन्होंने अपनी किताब 'थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो' में खुशी को लेकर दो अलग-अलग अनुभव के बारे में लिखा है. 

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