डीएनए हिंदी: एक टाइम था जब लोग समय देखने के लिए हाथ की कलाई पर आंख घुमाते थे और hmt के ब्रांड लोगो के साथ समय भी देख लेते थे. यह घड़ी सिर्फ समय के लिए ही नहीं बल्कि एक स्टेटस सिंबल (hmt Watch) भी माना जाता था. लेकिन कहते हैं ना जमाने के साथ सबकुछ बदलना पड़ता है और अगर चीजें ना बदली जाएं तो धीरे-धीरे अपना मुकाम खो बैठती हैं. ऐसा ही कुछ hmt के साथ हुआ. सोचने वाली बात है कि जहां घड़ी का मतलब ही hmt था अचानक से इसकी मार्केट डिमांड खत्म कैसे होने लग गई. कलाइयों पर पसंद की जाने वाली इस घड़ी की प्रोडक्शन कैसे बंद हो गई. अगर हम hmt घड़ी के शुरुआत से लेकर इसके बंद होने तक के इतिहास पर नजर डालें तो यह काफी दिलचस्प है.
90 के दशक में hmt थी शान
hmt आज भले ही गुमनाम हो चुकी है लेकिन 90 के दशक में यह हर कलाई में सजी हुई दिखती थी. लोग अक्सर hmt को अच्छे नंबरों से पास होने से लेकर शादी तक के उपहार में देते थे. लोगों की घड़ियों में सबसे पहली पसंद hmt ही होती थी ऐसा लगता था कि इसके अलावा कोई घड़ी मार्केट में ही ना हो. आज भले ही स्मार्ट वाच का जमाना हो लेकिन इस भारतीय ब्रांड का इतिहास काफी गजब का रहा है. हालांकि आज भी कई ऐसे लोग मिल जाते हैं जो hmt की सुई वाली घड़ी को एंटीक घड़ी के तौर पर सहेज कर रखते हैं. hmt के ने लगभग 5 दशक तक घड़ियों के बाजार में अपने आप को लीडर बनाए रखा.
कैसे शुरू हुई hmt ?
hmt की घड़ियां पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के टाइम पर बननी शुरू हुईं थीं. hmt (Hindustan Machine Tools) का प्रोडक्शन भारत में 1961 में शुरू हुई थी. बता दें कि कंपनी ने जापान की वाच कंपनी citizen के साथ मिलकर hmt का निर्माण शुरू किया था. hmt ने पहली घड़ी भारत के पूर्व लोकप्रिय प्रधानमंत्री जावाहर लाल नेहरु के लिए बनायी थी. इसके बाद तो कंपनी का कारोबार दिन पर दिन बढ़ता ही चला गया. 70 और 80 के दशक में hmt की घड़ियों का बिजनेस बुलंदियों पर पहुंचता चला गया. 90 के दशक तक तो hmt अपने शीर्ष तक कायम रहा.
किस प्राइस रेंज में आती थीं hmt की घड़ियां
hmt की पहली घड़ी जनता ब्रांड के नाम से लॉन्च हुई थी. यह मॉडल इस तरह लोगों के बीच फेमस हुआ कि इसने लगभग दो दशक तक बाजार में राज किया. हालांकि बाजार में इस घड़ी ब्रांड ने कई मॉडल्स सहित अलग-अलग नामों से घड़ियों को उतारा. जिनमें से एक जवाहर ब्रांड भी था. कंपनी ने अपने 15 साल के कारोबार के दौरान 11 करोड़ से ज्यादा घड़ियों को बेचा था.
hmt का पतन
hmt का घड़ियों को दी जाने वाली टैगलाइन काफी फेमस थी. इसे देश की धड़कन के नाम से भी जाना जाता था. हालांकि देश की धड़कन कहे जाने वाली hmt जल्द ही मद्धम पड़ने लगी और 90 के दौर में Tata Group की Titan ने दस्तक दी. इस दौरान जहां टाइटन समेत अन्य ब्रांड की घड़ियां समय के साथ अपनी घड़ियों में डिजाईन से लेकर टेक्नोलॉजी में बदलाव कर रही थीं वहीं hmt अपनी घड़ियों में कोई बदलाव नहीं कर रहा था. जिसकी वजह से यह देश में जल्द ही बूढ़ी हो चली कंपनियों की लिस्ट में शामिल हो गई और कंपनी ने कुछ ही वक्त में दम तोड़ दिया.
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