सब्जियों के रेट बढ़ने के बाद अब देश के कई बैंकों ने बढ़ाई EMI, सभी लोन हुए महंगे

Written By नेहा दुबे | Updated: Aug 03, 2023, 01:12 PM IST

ICICI Bank

बाजार में टमाटर के भाव जहां तेजी के साथ बढ़ रहे हैं वहीं इस बीच आईसीआईसीआई बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी कर दी है जिसकी वजह से पर्सनल लोन, होम लोन और कार लोन पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.

डीएनए हिंदी: पूरे भारत में महंगी सब्जियों और 200 रुपयें किलो बिक रहे टमाटर की खूब चर्चा हो रही है. इस दौरान किसी का भी ध्यान अन्य चीजों पर नहीं जा रहा है. तो बता दें कि देश के दो बड़े बैंकों ने होम लोन महंगा कर दिया है. ये दो बैंक आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) हैं. इन बैंकों ने अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) बढ़ा दिया हैं.

ज्यादा हो गया लोन का EMI 

जानकारी के मुताबिक, बैंकों द्वारा MCLR बढ़ाने से सभी तरह के बैंक लोन (Bank Loan) जैसे- होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan) आदि पर ब्‍याज दर ज्यादा हो गया है. बैंकों ने भी नई ब्याज दरों को 1 अगस्त 2023 से लागू कर दिया है. इसका मतलब है कि अगर आप इन बैंकों से लोन लेते हैं तो अब आपको ज्यादा ईएमआई (EMI)देनी होगी. बात करें ICICI बैंक की तो इस बैंक ने सभी अवधियों के लिए  अपने MCLR में लगभग 5 बीपीएस बढ़ा दिया है और 1 महीने का MCLR रेट लगभग 8.40 प्रतिशत, 3 महीने का MCLR रेट 8.45 प्रतिशत, 6 महीने का MCLR रेट 8.80 प्रतिशत और 1 साल का MCLR 8.90 प्रतिशत बढ़ा दिया है.

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ICICI बैंक के जैसे ही बैंकऑफ इंडिया (BOI) ने भी अपने MCLR को कुछ समय के लिए बढ़ा दिया है. BOI ने ओवरनाइट रेट 7.95 %, 1 महीने का MCLR रेट 8.15% , 3 महीने का MCLR रेट 8.30% ज्यादा कर दिया है. इसके साथ ही 6 महीने का MCLR दर 8.50% और 1 साल का MCLR दर बढ़ाकर 8.70% और तीन साल का MCLR लगभग 8.90% बढ़ा दिया गया है. 

MCLR क्या है ?

बैंक की सबसे न्यूनतम ब्याज दर को MCLR कहते हैं. बता दें कि सभी बैंकों को अनिवार्य रूप से हर महीने अपना ओवरनाइट, 1 महीने, 3 महीने, 6 महीने, 1 साल और 2 साल का MCLR घोषित करना होता है. MCLR ज्यादा करना यानी कि मार्जिनल कॉस्ट से जुड़े सभी लोन जैसे- होम लोन, गाड़ियों के लोन आदि पर ब्याज दरों को बढ़ा दिया गया है. बैंक MCLR का कैलकुलेशन ऋण अवधि के आधार पर करता है. इसका मतलब है कि ग्राहक को कर्ज चुकाने में कितना समय लगता है इसके आधार पर ही MCLR कैलकुलेशन किया जाता है.

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