डीएनए हिंदी: चंद्रयान-3 की सफलता से दुनिभर में भारत का नाम हुआ है जिसके बाद भारत ने अपनी एक नयी जगह बनाई है. वहीं वर्ल्ड की बड़ी स्पेस पॉवर आदित्य एल-1 के बाद भारत चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है. भारत की स्पेस इकोनॉमी 2023 में 44 बिलियन डॉलर की है और यह 2028 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. इस इकोनॉमी के विकास में पांच प्रमुख मिशनों की भूमिका है:
GSAT-6A: यह मिशन भारत के पहले ऑप्टिकल कम्युनिकेशन उपग्रह का था. इसने भारत को अंतरिक्ष संचार में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद की.
PSLV-C42: यह मिशन चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर उतरने का था इसने भारत को चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बना दिया.
GSAT-30: यह मिशन भारत के सबसे शक्तिशाली संचार उपग्रह का था. इसने भारत के दूरसंचार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद की.
INSAT-4A: यह मिशन भारत के सबसे उन्नत मौसम उपग्रह का था. इसने भारत को मौसम विज्ञान में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद की.
IRNSS-1B: यह मिशन भारत के पहले स्वतंत्र नेविगेशन उपग्रह का था. इसने भारत को अपने स्वयं के नेविगेशन प्रणाली विकसित करने में मदद की.
इन मिशनों ने भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है. इन मिशनों ने भारत को अंतरिक्ष संचार, मौसम विज्ञान और नेविगेशन जैसी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद की है.
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इन मिशनों के अलावा, भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की है. इन पहलों में शामिल हैं:
नए अंतरिक्ष पोर्ट का निर्माण: भारत सरकार ने गुजरात में नए अंतरिक्ष पोर्ट का निर्माण शुरू किया है. यह पोर्ट भारत को अंतरिक्ष लॉन्च में अधिक क्षमता प्रदान करेगा.
नए अंतरिक्ष मिशनों की घोषणा: भारत सरकार ने कई नए अंतरिक्ष मिशनों की घोषणा की है. इन मिशनों में शामिल हैं चंद्रयान-3, गगनयान और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle).
निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन: भारत सरकार ने निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसने कई नीतियों और विनियमों को जारी किया है जो निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रवेश करना आसान बनाते हैं.
इन पहलों के कारण भारत की स्पेस इकोनॉमी में तेजी से विकास होने की उम्मीद है.
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