डीएनए हिंदी: हर देश की अपनी एक अलग पहचान होती है. अपनी एक अलग करेंसी होती है. ऐसे में जब कोई देश किसी दूसरे देश की करेंसी की छपाई करता है तो ये काफी हैरान करने वाली बात जरूर हो सकती है. बता दें कि जब जापान ने बर्मा पर कब्जा किया था. उस वक्त जापान ने बड़े पैमाने पर भारतीय करेंसी की छपाई (Japan Printed Rupee In India) की थी और उस समय में ये भारतीय करेंसी बहुत चलन में भी थे. जापान ने बर्मा पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए ही भारतीय नोटों की छपाई किया था. इसके अलावा जापानी सरकार ने अंडमान का भी नोट छापा था.
बर्मा ने कब खत्म की जापानी भारतीय करेंसी को मोल
बता दें की दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1945 में जब यूएस ने जापान पर परमाणु बम से हमला किया था. उस समय जापान ने यूएस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. इसके बाद ही दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ था. जब बर्मा ने ये देखा की युद्ध खत्म होने के बाद जापान ने यूएस के सामने सरेंडर कर दिया है. तो बर्मा ने भी जापानियों द्वारा जारी भारतीय नोटों को खारिज कर दिया था.
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बर्मा के बाद अंडमान निकोबार पर जापान की नजर
जापान ने बर्मा के बाद 22 मार्च, 1942 को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर भी कब्जा कर लिया था. इसके बाद जापानी नौसेना ने अंडमान -निकोबार में भी रुपये के नोट छापे. लेकिन यहां पर पहले से ही रुपया चलता था. इसलिए जापानियों के द्वारा जारी करेंसी का नाम रुपया ही रखा गया था.
जापानियों द्वारा जारी नोट
जापानियों ने जिन नोटों को जारी किया था. उन नोटों के नीचे ‘Government of Great Imperial Japan’ लिखा हुआ था. इसके अलावा उन नोटों पर जापान के वित्त मंत्रालय के द्वारा जारी एक प्रतीक का भी इस्तेमाल किया जाता था और बौद्ध धर्म की झलक को दिखाते हुए मंदिर या बौद्ध मठों की फोटो छपी होती थी.
बड़े पैमाने पर छपे थे नोट
बता दें की उस समय जापान के सेंट्रल बैंक ने बड़े पैमाने पर रुपये के नोटों की छपाई की थी. जापान के द्वारा 1, 5 और 10 रुपये के नोट छापे गए थे. इन रुपये के नोटों पर जापानी सरकार लिखा था. जापान ने साल 1944 में 100 रुपये का नोट भी छापा था. हालांकि, दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1945 में जापान ने जब सरेंडर कर दिया था. तब इन करेंसी नोटों पर B लिखा जाने लगा था.
क्यों छापा गया रुपया
जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था उस समय जापानी सेना ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन क्षेत्रों पर चढ़ाई कर रही थी. इस दौरान जापान ने बर्मा पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद जापान बर्मा पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए रुपया करेंसी जारी कर दिया था.
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