डीएनए हिंदी: इस समय रियल एस्टेट सेक्टर की हालत काफी बेकार है. रियल एस्टेट सेक्टर की स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर पॉलिसी तैयार की है. इस पॉलिसी का ड्राफ्ट रेरा, नोएडा, ग्रेनो और यमुना अथॉरिटी को भी भेज दिया जाएगा. इसके बाद पॉलिसी लागू होते ही नोएडा, ग्रेनो और यमुना अथॉरिटी क्षेत्र में फंसे लगभग 70 प्रतिशत प्रॉजेक्ट को पूरा किया जा सकता है. अगर ये पॉलिसी यहां लागू हो जाता है तो इससे लगभग 1.67 लाख बायर्स को सीधे रजिस्ट्री कराने का फायदा मिलगा. इस प्लान में कई दूसरे नियम भी शामिल किए गए हैं जैसे कि बिल्डरों को इससे पेनल्टी चार्ज में छूट के साथ-साथ अन्य चीजों में भी छूट मिलेगा. कुछ जानकारों ने ये भी बताया कि साल 2017 में चुनाव के दौरान जिन होम बायर्स से जिस चीज को पूरा करने का वादा किया गया था. उसे अब 2024 के आने वाले लोकसभा चुनाव में पूरा किया जा सकता है. हालांकि, पॉलिसी के लागू होने में कई तरह की परेशानिया आ रही हैं.
अभी कुछ महीने पहले ब्याज माफी वाले केस का फैसला आया था. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया था. इस केस में नोएडा-ग्रेनो अथॉरिटी जीत गई थी. इस वजह से यहां के बिल्डरों पर लगभग 45 हजार करोड़ की देनदारी हो गई है. इस केस के हारने के बाद बिल्डर भी सरकार से अपील कर रहे हैं थे सरकार को उनकी मदद के लिए जल्द ही कोई पॉलिसी लाना होगा नहीं तो वो इस संकट के चलते दिवालिया हो जाएगें. इसके बाद केंद्र सरकार ने सीनियर IAS अमिताभ कांत की अध्यक्षता में 14 सदस्यों की एक कमिटी बनाई. जिसमें रियल एस्टेट सेक्टर में फंसे बिल्डरों के मदद के लिए पॉलिसी तैयार किया गया था. इस पॉलिसी के ड्राफ्ट पर प्रदेश सरकार के स्तर पर मंजूरी मिलनी बाकी है. इसके बाद इसे जिले में लागू कर दिया जाएगा. बता दें कि इस पॉलिसी को केंद्र सरकार के द्वारा तैयार कराया गया है. इसलिए इसे प्रदेश स्तर पर मंजूरी मिलने में थोड़ी मुश्किलें आ रही है. इसके बाद भी इस पॉलिसी की चर्चा तीनों अथॉरिटी की बोर्ड बैठक में की जाएगी. इसके अलावा शासन स्तर से मंजूरी कैसे ली जाएगी ये अभी तय नहीं है.
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अब रजिस्ट्री कराना हुआ आसान
इस पॉलिसी ड्राफ्ट में IBC (इनसॉल्वेंसी बैंक करप्सी) कोड में कुछ बदलाव का भी सुझाव होगा. इससे उन प्रॉजेक्ट बायर्स को मदद मिलेगी जो दिवालिया में चले गए हैं. इसके बाद ये अथॉरिटी के हस्तक्षेप के बिना आसानी से रजिस्ट्री करा सकते हैं. इससे ये होगा कि तत्काल प्रभाव से जिले में लगभग 1 लाख से ज्यादा रजिस्ट्री हो पाएगी. अगर किसी बिल्डर की कंपनी दिवालिया प्रक्रिया में है तो सिर्फ फंसे हुए प्रॉजेक्ट पर दिवालिया प्रक्रिया लागू होगा. इसका फायदा कंपनी के दूसरे प्रॉजेक्ट को नहीं मिलेगा.
तैयार फ्लैटों की रजिस्ट्री हुई स्टार्ट
जो फ्लैट तैयार हैं या जिनमें बायर रजिस्ट्री कराए बिना ही रह रहे हैं उनके लिए अथॉरिटी के द्वारा बिल्डर्स को बिना ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट जारी किए ही रजिस्ट्री करा सकेगें. बता दें कि अभी तक इन प्लैटों की रजिस्ट्री इसलिए नहीं हो रही थी क्योंकि बिल्डरों ने अथॉरिटी का पैसा नहीं दिया था. लेकिन अब इस पॉलिसी के लागू होते ही दिवालिया प्रक्रिया वाले और बिना दिवालिया प्रक्रिया वाले तैयार लगभग 1.67 लाख फ्लैटों की रजिस्ट्री शुरू हो जाएगी. वहीं बिल्डरों को काफी सारी छूट भी मिल रही है इस वजह से बिल्डर कर्ज को पूरा कर फंसे हुए बायर्स को घर दिला सकेंगे.
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बिल्डर्स को बकाया देने के लिए समय मिलेगा
इस पॉलिसी में बिल्डर को छूट का फायदा इस शर्त पर ही दिया जाएगा कि जब बिल्डर पेनल्टी चार्ज के अलावा जो भी बकाया है उसका 25 प्रतिशत अप्लाई करने के 60 दिन के अंदर और बाकी 75 प्रतिशत अगले तीन साल में अथॉरिटी को दे देगा. रियल एस्टेट के जानकार व इंसाल्वेंसी एक्सपर्ट मनीष गुप्ता बताते है कि इसका फायदा ये होगा कि बिल्डर को छूट मिलने से फंसे प्रॉजेक्ट को पूरा करने का समय और रास्ता दोनों मिल जाएगा. इसके अलावा बायर्स को उसका सालों से फंसा घर और अथॉरिटी को उसका मूल बकाया मिल जाएगा.
पॉलिसी में शामिल हैं ये प्रावधान
- इसमें सबसे पहले तो 2020 - 2022 तक का जीरो पीरियड का लाभ मैक्सिमम प्रॉजेक्टों को दिया जाएगा.
- अगर बिल्डर से प्रॉजेक्ट पूरा नहीं हो पा रहा है तो डिवलपर लाने की प्रक्रिया आसान कर दी जाएगी.
- अगर बिल्डर प्रॉजेक्ट को पूरा नहीं करने की स्थिति में है और सरेंडर करना चाहता है तो वो कुछ शर्तों के साथ आसानी ऐसा कर सकता है. इसके बाद उस प्रॉजेक्ट को रेरा टेकओवर करेगा.
- इसके अलावा इस नियम के मुताबिक बिल्डर को फंसे हुए प्रॉजेक्ट में तीन साल का एक्सटेंशन निशुल्क भी दिया जाएगा.
- इसमें ये भी नियम है कि बिल्डर अब किसी भी बायर से एक्स्ट्रा चार्ज या किसी प्रकार की पेनल्टी नहीं मांग सकता है.
इस नियम से अथॉरिटी को झटका लगेगा
- इस नियम में ये भी प्रावधान है कि अथॉरिटी अपना बकाया वसूलने के लिए किसी बिल्डर के प्लॉट की लीज डीड कैंसल नहीं कर सकेंगी.
- वर्तमान FAR का स्लैब पुराने प्रॉजेक्ट में निशुल्क देना होगा जबकि अथॉरिटी इसके लिए करोड़ों रुपये चार्ज करती है.
- जो प्रॉजेक्ट फंसे हैं उसके लिए 3 साल का एक्सटेंशन करोड़ों रुपये लेकर अथॉरिटी देती है लेकिन अब फिर से निशुल्क देना होगा.
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