डीएनए हिंदी: स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) दवा को भारत में काफी महंगी कीमत पर बेचा जाता है. इस दवा को दुनिया की जानी-मानी फार्मा कंपनी रॉश (Roche) बनाती है. बता दें कि इस कंपनी की एक शीशी दवा की कीमत भारत में 6.2 लाख रुपये है. जो कि चीन और पाकिस्तान के मुकाबले 15 गुना ज्यादा है. यहीं कंपनी इसी दवा की एक शीशी को चीन में 44,692 रुपये और पाकिस्तान में 41,002 रुपये की बेचती है. बता दें कि SMA को एक घातक, न्यूरोमस्कुलर और प्रोग्रेसिव आनुवंशिक बीमारी के रूप में जाना जाता है. इस बीमारी से ब्रेन की नर्व सेल्स और रीढ़ की हड्डी को नुकसान होता है. इस वजह से इस बीमारी में मरीज को नियमित रूप से दवा लेने की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा जिस मरीज का वजन 20 किलो से ज्यादा है उसे इस दवा की 36 बोतल सालभर में लेने पड़ते हैं. स्विस कंपनी रॉश ने दो साल पहले 2021 में इस दवा को भारत में लॉन्च किया था. लेकिन पहली बार दवा की कीमत में इतना बड़ा अंतर देखने को मिला है.
दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे एक मामले में सीनियर काउंसल आनंद ग्रोवर ने बताया कि भारत में ये दवा चीन और पाकिस्तान की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत महंगी कीमत पर बेची जा रही है. इसके बाद टीओआई के सवालों का जवाब देते हुए रॉश इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि हम Evrysdi का स्थाई, व्यापक और तेज एक्सेस उपलब्ध कराना चाहते हैं. इसके लिए हमने टेलर्ड प्राइसिंग सॉल्यूशंस के साथ मिलकर काम करने का फैसला लिया है. साथ ही इसे कम समय में लागू करने के लिए हमें लोकल अथॉरिटीज की मदद की जरूरत है. बता दें कि दुनिया के दूसरे देशों में हमने ऐसा किया है. जिससे की वहां के लोगों को ये दवा सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराई जा सके. भारत में भी लोकल अथॉरिटीज की मदद से यहां के मरीजों को सस्ती कीमत पर दवा उपलब्ध कराया जा सकेगा.
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किसको मिलेगी सस्ती दवा
FSMA इंडिया चैरिटेबल ट्रस्ट ने एसएमए बीमारी से जूझ रहे बच्चों को ये दवा सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए एक याचिका दायर की है. जानकारी के मुताबिक इस ट्रस्ट को एसएमए बीमारी से जूझ रहे लोगों के परिवार वालों ने मिलकर बनाया है. भारत में इस बीमारी की दवा की कीमत काफी ज्यादा है. जो आम आदमी के पहुंच से बाहर है. इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों के ग्रुप ने साल 2017 में पहली बार सरकार के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद भी इसमें कुछ बदलाव नहीं देखा गया. तब सितंबर 2019 में क्योर एसएमए फाउंडेशन के द्वारा इस मामले की सुनवाई में तेजी लाने के लिए एक हस्तक्षेप याचिका दायर किया गया था.
जानकारी के मुताबिक एसएमए फाउंडेशन में 1000 से ज्यादा मरीजों को रजिस्टर्ड किया गया है. इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स के मुताबिक देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जिनकी बीमारी का कभी पता ही नहीं चल पाया है. बता दें कि ह्यूमैनिटेरियन एक्सेस या कंपेशनेट यूज प्रोग्राम के तहत सिर्फ 300 मरीजों को ही मुफ्त की दवा दी जाती है. बताया जा रहा है कि पूरी दुनिया में एसएमए बीमारी के इलाज के लिए सिर्फ तीन दवाओं को ही मंजूरी दी गई है. इन दवाओं को बायोजेन, नोवार्तिस और रॉश कंपनी में बनाया जाता है. इसके अलावा रॉश कंपनी ने साल 2021 में Evrysdi दवा को भारत में लॉन्च की थी.
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