TDS vs TCS: करने वाले हैं ITR फाइल! तो पहले जान लें क्या होता है टीसीएस और टीडीएस?

नेहा दुबे | Updated:May 24, 2023, 07:17 AM IST

TDS vs TCS

क्या होता है TDS और TCS? अगर नहीं मालूम हो तो बड़ी ही आसान भाषा में समझाई गई इस परिभाषा को यहां समझें और कंफ्यूजन को दूर करें.

डीएनए हिंदी: ITR फाइल करने की तारीख पास आती जा रही है. ऐसे में अक्सर कई लोगों को टीडीएस (TDS) और टीसीएस (TCS) को लेकर कंफ्यूज होते हुए देखा जाता है. बता दें कि टैक्स वसूल करने के यह दो अलग तरीके हैं. टीडीएस का मतलब है टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स. वहीं टीसीएस का मतलब है टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स. दोनों ही स्थितियों में पैसे के ट्रांजेक्शन पर पैसे काट लिए जाते हैं. हालांकि इन पैसों को सरकार के पास जमा किया जाता है इसके बावजूद दोनों में टैक्स पेमेंट के तरीके में काफी अंतर है. आइए जानते हैं दोनों में क्या अंतर है?

क्या होता है TDS?

अगर को व्यक्ति कहीं पर नौकरी करता है तो उस दौरान सैलरी में से टैक्स (Tax) काटकर अमाउंट हाथ में दे दी जाती है. ऐसे में काटा हुआ टैक्स टीडीएस (TDS) कहलाता है. हालांकि टीडीएस सिर्फ सैलरी तक ही सीमित नहीं, आपने जो इन्वेस्टमेंट किया है उसपर मिलने वाले ब्याज पर काटा हुआ टैक्स और कमीशन पर काटा हुआ टैक्स भी टीडीएस के अन्दर आता है. बता दें कि सरकार टीडीएस के जरिए टैक्स बचाती है. सरकार हर वित्तीय वर्ष के दौरान टैक्स को लेकर घोषणा करती है. जो इनकम पर टैक्स काटता है उसे Deductor कहते हैं और जिसका टीडीएस काटा जाता है उसे Deductee कहते हैं.

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क्या होता है TCS?

TCS यानी कि टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स जो कि सोर्स पर लगाया गया टैक्स होता है. यानी सोर्स पर लगाया गया टैक्स. यह टैक्स कुछ स्पेशल केटेगरी के चीजों के सौदों पर ही लगाई जाती है. उदाहरण के शराब, घर बनाने वाली लकड़ियों, स्क्रैप या मिनरल्स जैसी चीजों पर लगाया जाता है. जब कोई सामान लेता है तो विक्रेता उसपर टैक्स भी जोड़ देते हैं जिसे सरकार के पास जमा किया जाता है. हालांकि TCS उपभोग के सौदों पर इसे नहीं लगा सकता है.

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