Union Budget 2023: प्लंबिंग, पानी और Sanitation इंडस्ट्री को सरकार से क्या हैं उम्मीदें, यहां पढ़ें

नेहा दुबे | Updated:Jan 20, 2023, 07:53 AM IST

Union Budget 2023-24

Union Budget 2023: देश में पानी की कमी लगातार बढ़ती जा रही है. आशंका जताई जा रही है कि आने वाले समय में पानी की समस्या खड़ी हो सकती है.

डीएनए हिंदी: संयुक्त राष्ट्र के सबसे हालिया जनसंख्या अनुमानों के मुताबिक भारत 2023 में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन की जगह ले लेगी और साल 2100 तक भारत इस स्थिति में बना रहेगा. 2030 के वाटर रिसोर्स ग्रुप (Water Resources Group) के मुताबिक अगर हम वर्तमान दर पर पानी का इस्तेमाल करना जारी रखते हैं तो 2030 तक भारत के पास केवल आधा पानी होगा. हमारे पास सीमित मीठे पानी के संसाधनों का केवल 4% ही मौजूद है. मीठे पानी के स्रोत काफी कम है. बता दें कि पानी की मांग आपूर्ति से कहीं अधिक है और 2030 तक इसके 40% तक इसकी मांग बढ़ जाएगी जिससे इसमें और कमी आएगी. दुनिया भर में लोग पानी को लेकर एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं.

पानी को करना होगा रीसायकल

पानी इतना कीमती है कि सिर्फ एक बार इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. हालांकि भारत में दुनिया की आबादी का 18% हिस्सा है, लेकिन इसके पास दुनिया के ताजे पानी के संसाधनों का केवल 4% है. मालूम हो कि प्रति व्यक्ति केवल 1,544 घन मीटर पानी उपलब्ध है. जब पानी की कमी की बात आती है तो इंडस्ट्रियल पानी के उपयोग पर शायद ही कभी ध्यान दिया जाता है. जबकि इंडस्ट्रियल वाटर एक मुद्दा है, सीवेज इजेक्शन, जो हमारी नदियों को बड़े पैमाने पर दूषित कर रहा है और अंततः ताजे पानी को भी दूषित कर रहा है. सरकार को खराब जल के रियूज और बेहतर करने के लिए धन का सही तरीके से इस्तेमाल करना होगा. ऐसे में सरकार को मीठे पानी की बर्बादी को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने की जरुरत है. जागरूकता बढ़ाने और भविष्य के लिए घरेलू क्षेत्रों और लोगों को शिक्षित करने के लिए सरकार द्वारा और अधिक अभियान चलाए जाने चाहिए.

सिंगापुर ने पानी की कमी को किया दूर

शहरी भारत पर मंडरा रहे जल संकट के साथ यह समझने की जरुरत है कि सिंगापुर ने अपनी पानी की कहानी को कैसे बदल दिया. दुनिया के सबसे अधिक वर्षा वाले देशों में से एक होने के बावजूद सिंगापुर पानी की कमी से जूझ रहा है.

सिंगापुर पूरी तरह से बारिश पर निर्भर है और मलेशिया से ताजे पानी का आयात करता है. पानी की कमी के कारण, इसे रीसायकल और रिन्यूअल के जरिए पीने योग्य, नगर निगम और इंडस्ट्रियल पानी बनाने के लिए मजबूर किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप "नया पानी" बन गया है. सरकार ने एक एडवांस्ड सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम का निर्माण किया है, जिसमें आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए सुरंगों और हाई टेक प्लांट्स का एक नेटवर्क शामिल है. नया पानी उत्पन्न करने के लिए, शहर के सीवेज को तेजी से परिष्कृत झिल्ली प्रौद्योगिकियों के साथ ट्रीट किया जा रहा है. सिंगापुर में अब बेहद साफ़ पीने का पानी है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से बेहतर है.

रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का इस्तेमाल

रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का इस्तेमाल करके हम अपने ताजे पानी का लगभग 20% बचा सकते हैं. पानी की कमी एक सहज और मानव निर्मित चिंता है जिससे निपटने के लिए भारत और दुनिया भर में लाखों लोग प्रयास कर रहे हैं. जबकि सरकार ने ग्रामीण और शहरी स्वच्छता दोनों स्थितियों के लिए संपत्ति के निर्माण का समर्थन करने के लिए धन के बजटीय आवंटन के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण राशि दी है. फिर भी ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत समर्थन की जरुरत है कि इन फंड्स को वहां लगाया जाए जहां उनका सबसे अधिक प्रभाव है.

यूनियन बजट 2023 पानी के क्षेत्र में ले सकता है बड़ा फैसला

शोर्ट-कट  में कहें तो बजट 2023-2024 (Union Budget 2023-24) को निजी क्षेत्र और सरकार दोनों के बीच अधिक भागीदारी की सुविधा में सहायता करनी चाहिए. जहां स्वच्छता और पेयजल विभाग का उद्देश्य 2024 तक भारत के सभी 6.4 लाख गावों को सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट ढांचा प्रदान करने के लिए सार्वजनिक-निजी गठजोड़ स्थापित करना है.

इस पहल का प्रभाव महिलाओं और बच्चों सहित समुदायों के स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका तक पर प्रभाव डालेगा. जिसका असर गांवों में साफ़-सुथरा पानी मिल सकेगा.

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