डीएनए हिंदी: पाकिस्तान के बाद भारत में भी गेहूं और आटे की मंडी में कमी देखने को मिल रही है. जिसकी वजह से इसकी कीमतों में उछाल देखने को मिल रही है. इसपर भारत सरकार ने गेहूं के आटे की बढ़ती कीमत से जूझ रहे नागरिकों को राहत देने के लिए कदम उठाया है. केन्द्रीय भंडार (Kendriya Bhandar), नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम के फिक्स्ड प्राइस पर गेहूं के आटे की बिक्री शुरू करेंगे. साथ ही आटे को "भारत आटा" या किसी अन्य उपयुक्त नाम के रूप में ब्रांड किया जाएगा. इस कदम की घोषणा खाद्य संजीव चोपड़ा की अध्यक्षता में एक बैठक की गई, जहां भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय भंडार और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India) सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुक्त बाजार बिक्री योजना (OMSS) की प्रगति पर चर्चा की.
केन्द्रीय भंडार को एक लाख टन गेहूं आवंटित
OMSS के तहत, इन संस्थानों को ई-नीलामी के बिना बफर स्टॉक से तीन मिलियन टन गेहूं की पेशकश की जा रही है, जिसमें केंद्रीय भंडार (Kendriya Bhandar) और नेफेड (NAFED) को एक-एक लाख टन आवंटित किया गया है और एनसीसीएफ को 50,000 टन आवंटित किया गया है. सरकार का लक्ष्य इस अनाज को आटे में तब्दील कर 29.50 रुपये प्रति किलो की तय कीमत पर बेचना है. यह अधिकतम खुदरा मूल्य वर्तमान औसत अखिल भारतीय खुदरा मूल्य 38 रुपये प्रति किलोग्राम से कम है, जिससे यह जनता के लिए अधिक आसान हो जाता है.
गेहूं की कीमतों को रेगुलेट किया जाएगा
भारत का घरेलू उत्पादन घट (GDP) रहा है, जिससे गेहूं और गेहूं के आटे की कीमत में वृद्धि हुई है. आम लोगों को आटे की कीमतों को रेगुलेट करने और अधिक सस्ते विकल्प की पेशकश करने के सरकार के फैसले से लाभ होगा, जो कीमतों में वृद्धि से उत्पन्न कुछ वित्तीय तनाव को कम करेगा. आवश्यक वस्तुओं की लागत को रेगुलेट करने के सरकार के प्रयासों से बाजार में स्थिरता बनाए रखने और आम जनता के लिए सस्ती कीमतों पर उनकी पहुंच सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.
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