क्रेडिट और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करने से पहले 'Token' में बदलें, वरना हो सकती है समस्या

नेहा दुबे | Updated:Oct 04, 2022, 12:02 PM IST

Card Tokenization

Card Tokenization: 1 अक्टूबर से कार्ड टोकनाइजेशन का नियम लागू हो गया है. ऐसे में आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि यह टोकनाइजेशन कैसे होता है.

डीएनए हिंदी: हम सभी अपने रोजमर्रा के छोटे-बड़े कामों के लिए क्रेडिट कार्ड (Credit Card) और डेबिट कार्ड (Debit Card) का इस्तेमाल करते हैं. चाहे ऑनलाइन शॉपिंग हो या ऐप या पॉइंट ऑफ सेल पर भुगतान, डेबिट और क्रेडिट कार्ड का अंधाधुंध उपयोग किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज से डेबिट और क्रेडिट कार्ड के नियमों में बड़ा बदलाव होने जा रहा है.

आज से आपको क्रेडिट या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन भुगतान करने के लिए टोकन की आवश्यकता होगी. ऐसा क्यों किया गया है और रिजर्व बैंक द्वारा यह नियम लाने का क्या कारण है आइए जानते हैं। दरअसल, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को सुरक्षित बनाने के लिए कार्ड टोकनाइजेशन (Card Tokenization) लाया गया है. आरबीआई ने इसकी घोषणा की है. इसका उद्देश्य ऑनलाइन खरीदारी करते समय उपभोक्ता की वित्तीय जानकारी को सुरक्षित और धोखाधड़ी से मुक्त रखना है. यहां इससे जुड़े तमाम पहलुओं की जानकारी दी जा रही है.

टोकनाइजेशन क्या है

नेट बैंकिंग (Net Banking), क्रेडिट/डेबिट कार्ड (Credit/Debit Card), मोबाइल वॉलेट (Mobile Wallet), यूपीआई (UPI) जैसे विकल्पों ने लेनदेन को बहुत आसान बना दिया है. हालांकि ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) में भारी उछाल के कारण डेटा सुरक्षा उल्लंघनों के मामलों में भी वृद्धि हुई है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इस साइबर सुरक्षा जोखिम से निपटने के लिए वर्षों से कई उपाय किए हैं. टोकनाइजेशन भी इन्हीं में से एक है.

टोकनाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आपके क्रेडिट या डेबिट कार्ड के विवरण को एक एन्क्रिप्टेड कोड (Encrypted Code) में बदल दिया जाएगा. इसे टोकन के रूप में जाना जाएगा. जब भी कोई ग्राहक पॉइंट ऑफ़ सेल मशीन, ऑनलाइन या किसी ऐप में क्रेडिट या डेबिट कार्ड से भुगतान करता है तो उनके कार्ड का विवरण एन्क्रिप्टेड टोकन के रूप में संग्रहीत किया जाएगा. प्रत्येक टोकन कार्ड जारी करने वाले बैंक, उपयोगकर्ता और डिवाइस का एक अनूठा संयोजन है. व्यापारी और भुगतान कंपनियां इन टोकन का उपयोग केवल लेनदेन के लिए करेंगी और किसी भी परिस्थिति में उन्हें ग्राहक की जानकारी को सहेजने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

यदि आप टोकन नहीं बनाते हैं तो क्या होगा

RBI ने भुगतान कंपनियों को ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड के विवरण संग्रहीत करने से रोक दिया है. पेमेंट कंपनियों को अब कार्ड की जगह एक कोड देना होगा. यह एक टोकन के रूप में कार्य करेगा. ये टोकन यूनिक होंगे. एक ही टोकन कई कार्ड के लिए काम करेगा. यदि आप इस टोकन को जनरेट नहीं करते हैं, तब भी आप भुगतान करने में सक्षम होंगे, लेकिन भुगतान के लिए आपको हर बार नए सिरे से कार्ड विवरण दर्ज करना होगा.

यह नियम क्यों लगाया गया?

नए नियम के लागू होने के बाद ऑनलाइन भुगतान के लिए सीधे कार्ड का इस्तेमाल करने के बजाय टोकन का इस्तेमाल करना होगा. इसका मतलब है कि नए नियम लागू होने के बाद कार्ड से भुगतान आसान हो जाएगा. टोकनाइजेशन से धोखाधड़ी कम होगी. फिलहाल पेमेंट ऐप और कंपनियां ग्राहकों के क्रेडिट या डेबिट कार्ड की डिटेल सेव करती हैं. इससे ग्राहकों के भुगतान विवरण लीक होने का डर पैदा हो रहा है. उनके साथ धोखाधड़ी का खतरा भी बढ़ जाता है. आरबीआई का कहना है कि टोकन की नई व्यवस्था से धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी.

कई मामलों में, यह देखा गया है कि व्यापारी भुगतान करने के लिए ग्राहकों के कार्ड के विवरण को संग्रहीत करना अनिवार्य कर देते हैं और बाद में साइबर ठग वहां से जानकारी चुरा लेते हैं. नया नियम इनके लीक होने की संभावना को खत्म कर देगा.

अपने कार्ड को टोकन कैसे करें

क्रेडिट/डेबिट कार्ड टोकनकरण प्रक्रिया बहुत सरल है. टोकन बनाने के लिए आपको इन कुछ आसान स्टेप्स को फॉलो करना होगा.

 


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