डीएनए हिंदी: कोरोना महामारी के बाद दुनिया में बहुत सी चीजें बदल गईं. पहले जहां एजुकेशन के लिए बच्चों और शिक्षकों को एक ही छत के नीचे मिलने की जरुरत होती थी. वहीं कोरोना के बाद ऑनलाइन पढ़ाई भी शुरू हो गई और सबसे अहम बात यह है कि इस वक्त में इंटरनेट ने अहम भूमिका निभाई. आज जी मिडिया ग्रुप ने एडुफ्यूचर एक्सीलेंस अवार्ड्स (Edufuture Excellence Awards) दूसरी बार शनिवार (25 जून) को आयोजित किया जाएगा. यह कार्यक्रम दोपहर 12 बजे से शाम 6.15 बजे तक होटल द लीला एंबियंस, गुरुग्राम में हो रहा है. इस दौरान कुछ प्रसिद्ध चेहरे भी कार्यक्रम में मौजूद होंगे. इनमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और डॉ के कस्तूरीरंगन, इसरो (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष और एनईपी (NEP) की मसौदा समिति के प्रमुख सम्मिलित होंगे.
आयोजन का उद्देश्य
इस आयोजन का उद्देश्य शिक्षा जगत में (education) उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को पुरस्कृत करना है. यानी ऐसे चेंजमेकर जो कि आने वाली पीढ़ियों के लिए अहम बदलाव लाते हैं और उन्हें प्रेरित भी करते हैं. इन अवॉर्ड का मुख्य उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र की उन शख्सियतों, संस्थानों, शिक्षकों और विद्यार्थियों के प्रयासों की सराहना करना है, जिन्होंने शिक्षा जगत में कड़ी मेहनत के बूते अदभुत प्रदर्शन किया है.
ऑनलाइन पढ़ाई ने शिक्षा के मायने बदल दिए
शिक्षा के इसी बदलाव के सिलसिले में आज आईआईएस के डायरेक्टर हिमांशु राय ने में एडुफ्यूचर एक्सीलेंस अवार्ड्स में बात की. उन्होंने महामारी के बाद की दुनिया में ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा (Online Education) के तरीकों पर बात की. राय ने यह भी कहा कि अब यह तरीके बदलने वाले नहीं हैं और यह लंबे वक्त तक बने रहेंगे, ऐसे में जरूरत है कि इन दोनों के बीच सही सामंजस्य स्थापित किया जाए. राय ने इस दौरान आईआईएम और आईआईटी के परस्पर सहयोग पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘वैश्विक क्षेत्र में भारत की छवि बदलने के लिए दोनों विश्वविद्यालयों को एक साथ आना चाहिए.’
क्या करते हैं हिमांशु राय
बता दें कि हिमांशु राय, आईआईएम, इंदौर के डायरेक्टर हैं. इससे पहले वह आईआईएम लखनऊ (IIM Lucknow) में प्रोफेसर थे. जहां उन्होंने 2006 से 2014 तक और 2016 तक एक शिक्षक के तौर पर अपनी सेवाएं दी. इससे पहले वह 2014 से 2016 के बीच इटली में भी शिक्षक के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं. कैट 2010 के संयोजक के रूप में, उन्होंने परीक्षा के सभी वैश्विक मानकों को पार करते हुए दुनिया के परीक्षा इतिहास में सबसे बड़े प्रारूप परिवर्तन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया.
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