भारतीय रेलवे को लेकर प्लेटफॉर्म्स पर एक नारा बड़ा गूंजता है “भारतीय रेलवे आपकी है, इसकी संपत्ति आपकी संपत्ति है.” लेकिन अब नारा सिर्फ नारा ही लगने लगा है. रेलवे ने जनता कि संपत्ति कहे जाने वाले संपत्ति को अपना बिजनेस घोषित कर दिया है. दरअसल भारयीय रेलवे ने बुजुर्गों को टिकट पर दी जाने वाली रियायत को अब खत्म कर दिया है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद के शीतकालीन सत्र में कहा कि रेलवे को सालाना काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है जिसकी वजह से सीनियर सिटीजन्स को ट्रेन टिकट पर कोई छूट नहीं दी जाएगी.
पहले मिलती थी इतनी छूट
कोरोना महामारी से पहले 58 साल या उससे ज्यादा कि उम्र की महिलाओं कोक टिकट पर 50 प्रतिशत की छूट मिलती थी. वहीं 60 साल या उससे ऊपर उम्र के पुरुषों को टिकट पर 40 प्रतिशत की छूट मिलती थी. हालांकि इसे कोरोना महामारी के दौरान बंद कर दिया गया था और अब यह हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है.
रेलवे मंत्री ने बताया कि 2021-22 में बुजुर्गों को टिकट में रियायत नहीं देने से रेलवे को 3400 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. साथ ही यह भी बताया कि रेलवे हर साल 97 हजार करोड़ रुपये सैलरी पर और 60 हजार करोड़ रुपये पेंशन पर खर्च करता है. साथ ही 40 हजार करोड़ रुपये रेल के फ्यूल पर खर्च होते हैं. वहीं रेलवे ने इन सब के बीच पिछले साल यात्री सेवाओं पर 59 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी
इसके जवाब में अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे ने पिछले साल यात्री सेवाओं पर 59 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी दी है, जो काफी बड़ी रकम है। उन्होंने आगे कहा कि ये आंकड़ा कई राज्यों के सालाना बजट से भी ज्यादा है।
आइए इन पांच पॉइंट्स में समझते हैं कि भारतीय रेलवे यात्रियों के लिए क्या नई योजनाएं बना रहा है.
अयोध्या को जल्द ही ट्रेनों के जरिए देश के हर कोने से जोड़ने का काम किया जाएगा. इसके लिए 41 रेलवे स्टेशनों के री-डेवलपमेंट पर काम चल रहा है.
2030 तक तक रेलवे को प्रदुषण मुक्त बनाने के लिए हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनॉन को विकसित किया जा रहा है.
वंदे भारत की ट्रेनों को जल्द ही 500 से 550 किलोमीटर की दूरी को खत्म करके इसे लंबी दूरी की यात्रा के लिए तैयार किया जाएगा.
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