YouTube: कंटेंट क्रिएटर GDP में दे रहे 6,800 करोड़ रुपये का योगदान, हर साल पैदा हो रहीं 7 लाख नौकरियां

Written By नेहा दुबे | Updated: Oct 28, 2022, 07:55 PM IST

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Youtube Content: भारत की GDP में यूट्यूब कंटेंट क्रिएटर तेजी के साथ कर रहे बढ़ोतरी. 7 लाख नौकरियां हो रही हैं पैदा.

डीएनए हिंदी: भारत की क्रिएटर इकॉनोमी में तेजी के साथ बढ़ोतरी हो रही है. देश की अर्थव्यवस्था में YouTube के जरिए स्थानीय क्रिएटर सालाना देश की जीडीपी (GDP) में अनुमानित  6,800 करोड़ रुपये का योगदान दे रहे हैं और इस प्रक्रिया में 7 लाख नौकरियां पैदा कर रहे हैं.

एक टेक्नोलॉजी कांफ्रेंस में YouTube और Google के SVP नील मोहन, मुख्य उत्पाद अधिकारी ने बताया कि, "भारत में निर्माता अर्थव्यवस्था वास्तव में फल-फूल रही है, लगभग  6,800 करोड़ रुपये पैदा कर रही है और 7 लाख नौकरियां पैदा कर रही है."
नवाचार और समाज इवेंट को ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने आयोजित किया था. उन्होंने कहा कि YouTube न केवल क्रिएटर्स को अपने दर्शक बनाने की अनुमति देगा बल्कि उनके लिए व्यवसाय बनाने के लिए आर्थिक अवसर भी पैदा करेगा. YouTube एक ऐसा स्थान है जहां सभी तरह के बिजनेस तेजी के साथ बढ़ रहा है.इसमें खासकर छोटे व्यवसाय शामिल हैं क्योंकि यह प्लेटफ़ॉर्म एक विज्ञापन-संचालित मीडिया प्लेटफ़ॉर्म है.

YouTube मुख्य उत्पाद अधिकारी ने कहा, "रचनात्मक सफलता के साथ-साथ लिंग विविधता के संदर्भ में हमारे मंच पर सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व किया गया है. हमारे पास ऐसे उपकरण हैं जो यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि मंच सामग्री निर्माताओं और उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए एक सुरक्षित और समावेशी स्थान बना रहे." मोहन ने कहा कि यूट्यूब एक ऐसी जगह है जहां पूरे भारत में सबसे पहले कंटेंट क्रिएटर्स आते हैं.

YouTube के मुख्य उत्पाद अधिकारी ने कहा, "इसे समावेशी और विविधतापूर्ण बनाना हमारी प्राथमिकता है. क्रिएटर इकॉनोमी भारत में दसियों मिलियन लोगों को प्रभावित करती है और इसलिए सरकारों के लिए इन प्लेटफार्मों पर क्या होता है, इसकी परवाह करना स्वाभाविक है."

उन्होंने कहा, "यूट्यूब एक ऐसी जगह है जहां लोग नीतिगत परिणामों के संदर्भ में राय और दृष्टिकोण साझा करने के लिए आते हैं - चुनावी अखंडता, गलत सूचना और हिंसा को रोकने के प्रति हमारा दृष्टिकोण स्पष्ट है." उन्होंने जोर देकर कहा कि YouTube विविध और उपेक्षित समुदायों को सक्षम बनाता है. साथ ही उन्होंने कहा कि "हमारे पास वैश्विक सामुदायिक दिशानिर्देशों का एक सेट है जो यह स्पष्ट करता है कि मंच पर गलत सूचना और नफरत की अनुमति नहीं है."

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