डीएनए हिंदी: केंद्रीय बजट 2022 (Union Budget 2022) को भविष्य का बजट (Futuristic Budget) कहा जा रहा है. केंद्र सरकार के मुताबिक जब भारत 2047 में अपने स्वतंत्रता के 100 साल पूरे करेगा तब इस बजट के दूरगामी परिणाम नजर आएंगे. यह 2047 तक का आर्थिक रोडमैप तैयार करने वाला बजट है. बजट भारत को डिजिटल सुपर पॉवर बनाने की दिशा में उठाया गया एक कदम है.
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट पेश करने के दौरान मंगलवार को डिजिटल करेंसी से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की है. बजट में यह भी घोषणा की गई है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस साल भारत की नई डिजिटल मुद्रा लॉन्च करेगा. इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और रक्षा के क्षेत्र में डिजिटल सेवाओं के विस्तार के लिए भी कई बड़ी घोषणाएं की गई हैं. बैंकों को डाकघर से भी डिजिटल तौर पर जोड़ा जाएगा.
बजट 2022 में सबसे ज्यादा चर्चा डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी (crypto currency) पर हो रही है. सरकार ने डिजिटल और क्रिप्टो करेंसी पर नया टैक्स लगाया है. भारत में डिजिटल करेंसी से होने वाली कमाई पर अब 30 फीसदी टैक्स लगेगा. इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति अब डिजिटल मुद्रा में 100 रुपये का निवेश करता है और उसे 10 रुपये का लाभ होता है तो इस लाभ में से 3 रुपये कर के तौर पर सरकार को देना होगा.
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क्या है Crypto Currency पर टैक्स का फॉर्मूला?
डिजिटल करेंसी के हर एक ट्रांजेक्शन (Transaction) पर सरकार को अलग से एक फीसदी टीडीएस (TDS) देना होगा. अगर किसी शख्स ने डिजिटल मुद्रा में निवेश किया है तो यह निवेश उसकी संपत्ति है. अब अगर यह शख्स इस संपत्ति को किसी और को ट्रांसफर करता है तो उसे उस संपत्ति की कुल लागत पर एक प्रतिशत की दर से अलग से टीडीएस देना होगा. TDS का मतलब सोर्स पर टैक्स कटौती है. यानी वह कर जो किसी सोर्स पर लगाया जाता है. सरकार आपसे हर महीने मिलने वाली सैलरी पर जो टैक्स लेती है, वह टीडीएस है. यानी कुल मिलाकर सरकार डिजिटल करेंसी को आय का जरिया मान रही है और इसकी कमाई पर 30 फीसदी टैक्स भी लगाया गया है.
क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगाकर इसे लीगल कर दिया है?
मौजूदा कानून के मुताबिक इस सवाल का जवाब हां या न में देना मुश्किल है. दरअसल सरकार सिर्फ उन्हीं डिजिटल करेंसी को लीगल मान रही है जिन्हें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जारी करेगा. इसका मतलब यह है कि फिलहाल मौजूद क्रिप्टोकरेंसी, जैसे कि बिटकॉइन को डिजिटल मुद्रा नहीं माना जाएगा. इसे डिजिटल एसेट माना जाएगा. अगर आपको यह सब जटिल लगता है तो इसे ऐसे समझें जैसे आप जो सोना खरीदते हैं या जो आपका घर है वह आपकी संपत्ति है. यह आपकी संपत्ति है, मुद्रा नहीं. इसी तरह, क्रिप्टो करेंसी भारत सरकार के लिए एक संपत्ति होगी और लोगों पर टैक्स लगाया जाएगा. इसलिए अगर आप सोच रहे हैं कि बिट कॉइन जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो यह तकनीकी रूप से सही नहीं होगा. हालांकि लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.
अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में डिजिटल करेंसी पर वहां की सरकारों द्वारा इसी तरह से टैक्स लगाया जाता है. यही वजह है कि इन देशों में इस मुद्रा को वैध माना जाता है. कुछ देश इस नियम का अपवाद भी माने जाते हैं.
कब लॉन्च होगी भारत की डिजिटल करेंसी?
2023 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी डिजिटल करेंसी को अलग से लॉन्च करेगा जो बाकी मुद्राओं की तुलना में अधिक सुरक्षित और स्थिर होगी. आसान भाषा में कहें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कागजी करेंसी छापता है, ठीक उसी तरह उसकी सील वाली डिजिटल करेंसी भी आएगी, जिससे लोग उसमें निवेश कर सकेंगे. अगर कोई व्यक्ति उपहार में डिजिटल करेंसी दूसरे व्यक्ति को भेजता है तो ऐसे में जिस व्यक्ति को यह करेंसी मिलती है उसे 30 फीसदी टैक्स देना होगा.
क्यों सरकार ने टैक्स लगाने का लिया फैसला?
सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि हमारे देश में क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वालों की संख्या आबादी का लगभग 8 प्रतिशत है. ये लोग इस समय डिजिटल करेंसी के तौर पर अपने 70,000 करोड़ रुपये का दांव लगा रहे हैं. पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करने में भारतीय सबसे आगे हैं. सीधे शब्दों में कहें तो यह 30 फीसदी टैक्स सीधे तौर पर 70,000 करोड़ रुपये के निवेश की गारंटी देगा. भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ा सकता है. सरकार जानती है कि इस फैसले के बाद लोगों को डिजिटल करेंसी में निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
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