Bypolls Result: सात में से 4 सीट पर BJP की हार, क्या India Bloc की एकता पड़ी भारी या माजरा कुछ और
Bypolls 2023 Results
By-Elections 2023 Result: उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट और पश्चिम बंगाल की धूलगुड़ी विधानसभा सीट पर हार के बाद भाजपा को मंथन करना होगा. खासतौर पर घोसी सीट पर भाजपा की हार उसकी तरफ से लगाए जा रहे समीकरणों के विपरीत है.
डीएनए हिंदी: एकतरफ देश में जी-20 शिखर सम्मेलन का खुमार छाया हुआ है. दिल्ली में हो रहे इस आयोजन की चर्चा सुदूर कन्याकुमारी तक हो रही है. दूसरी तरफ, शुक्रवार को आधा देश 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के रिजल्ट के रंग में रंगा दिखाई दिया. भले ही यह उपचुनाव था और देश के चौथाई से भी कम राज्यों की सीट इसमें शामिल थी, लेकिन इसका असर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है. इस कारण तकरीबन पूरे देश की बैठक इन उपचुनावों के परिणाम पर लगी हुई थी. यदि जीती हुई सीट के हिसाब से देखा जाए तो भाजपा के लिए ये चुनाव 50-50 जैसे दिखाई देंगे, लेकिन रिजल्ट के गहन विश्लेषण में भाजपा खेमे में चिंता पैदा करने वाले कई फैक्ट्स इसमें देखने को मिल रहे हैं. उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर अपनी पार्टी की जीत के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफतौर पर दावा भी कर दिया है कि यह विपक्ष के I.N.D.I.A गुट की एकता की जीत है.
आइए 6 पॉइंट्स में जानते हैं हर सीट का रिजल्ट, भाजपा के लिए चिंता की बात और कितना फिट बैठता है उस पर अखिलेश का दावा.
1. घोसी सीट पर सपा ही काबिज, लेकिन भाजपा के लिए बड़ी चिंता
उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने भाजपा के दारा सिंह चौहान को 42,759 वोट से मात दी है, जो इस सीट पर जीत का रिकॉर्ड अंतर है. यह सीट साल 2022 में भी सपा ने ही जीती थी. इसी सीट पर दोबारा जीत के बाद अखिलेश यादव ने इसे विपक्षी गठबंधन की जीत बताया है. सपा की जीत के हिसाब से अखिलेश का दावा ठीक भी है, लेकिन यह परिणाम भाजपा के लिए कई एंगल से मंथन करने लायक है. दरअसल 2022 में इस सीट पर दारा सिंह चौहान ही सपा के टिकट पर जीते थे. चौहान अब इस्तीफा देकर भाजपा में आ गए थे और उसकी तरफ से चुनाव लड़ा था, लेकिन यह दांव स्थानीय मतदाताओं ने नकार दिया है. पिछले साल 1.8 लाख वोट पाने वाले चौहान इस बार एक लाख वोट का आंकड़ा भी नहीं छू सके.
घोसी सीट पर 95 हजार मुस्लिम, 90 हजार दलित, 50 हजार राजभर, 50 हजार चौहान, 30 हजार बनिया, 19 हजार निषाद, 15 हजार क्षत्रिय, 15 हजार कोइरी, 14 हजार भूमिहार, 7 हजार ब्राह्मण, 5 हजार कुम्हार वोटर हैं. मुस्लिम वोटर्स के सीधे तौर पर सपा के पक्ष में जाने की संभावना पहले ही थी, लेकिन भाजपा को चौहान, बनिया, ब्राह्मण, भूमिहार, निषाद, कोइरी और क्षत्रिय वोटर्स से अपने पक्ष में मतदान की उम्मीद थी. राजभर वोट भी ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभेसपा के भाजपा से गठबंधन करने के कारण उसके खेमे में ही माने जा रहे थे, लेकिन रिजल्ट को देखा जाए तो यह उम्मीद पूरी तरह खरी नहीं उतरी है. माना जा रहा है कि दलित वोटर्स ने भी भाजपा के पक्ष में ज्यादा रूझान नहीं दिखाया है. ऐसे में भाजपा के लिए वे समीकरण चिंता का सबब हैं, जो पिछले दिनों सुभेसपा और निषाद पार्टी को NDA के खेमे में लाने के बाद लगाए गए थे. यदि ये दोनों पार्टियां अपनी जातियों के वोट का रुख भाजपा की तरफ नहीं मोड़ सकी तो लोकसभा चुनाव 2024 में पूर्वी यूपी भगवा दल के लिए फिर मुश्किल साबित होगी.
2. पश्चिम बंगाल में जीती हुई सीट गंवाई
पश्चिम बंगाल की धूपगुड़ी विधानसभा सीट पर उपचुनाव भाजपा विधायक बिष्णुपद राय के निधन के कारण हुए हैं. यह सीट भाजपा ने TMC को मात देकर जीती थी और उसे यह चमत्कार दोहराने की उम्मीद थी. अपने विधायक के निधन की भावनात्मक लहर का भी भाजपा ने फायदा मिलने की संभावना जताई थी, लेकिन ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने ये समीकरण पलट दिए. टीएमसी के निर्मल चंद्र राय ने भाजपा के तापसी राय को हरा दिया. जीत का अंतर करीब 4,300 वोट का ही रहा, जो ज्यादा बड़ा नहीं था, लेकिन जीती हुई सीट हाथ से निकलना भाजपा के लिए बंगाल में बड़ा झटका है. हालांकि इस सीट पर INDIA गुट बिखरा हुआ था. कांग्रेस-माकपा ने भी TMC उम्मीदवार के सामने अपना कैंडीडेट खड़ा कर रखा था, जो तीसरे नंबर पर रहा है. ऐसे में यहां TMC की जीत को विपक्षी गठबंधन की जीत नहीं कहा जा सकता है.
3. त्रिपुरा में भाजपा के पक्ष में मुस्लिम और आदिवासी
उपचुनाव में भाजपा को सबसे अच्छी खबर त्रिपुरा से मिली है, जहां दो सीटों पर उपचुनाव था और दोनों पर भाजपा ने भगवा परचम लहराया है. खास बात ये है कि यहां भाजपा ने एक तरीके से विपक्षी के इंडिया गठबंधन को मात दी है, क्योंकि इन सीटों पर भाजपा उम्मीदवारो के सामने माकपा कैंडीडेट थे. माकपा कैंडीडेट्स को कांग्रेस और स्थानीय होने का दावा करने वाली टिपरी मोथा पार्टी ने समर्थन दे रखा था. टिपरी मोथा की पकड़ आदिवासी वोटबैंक पर मजबूत मानी जाती है, लेकिन केंद्रीय मंत्री प्रोतिमा भौमिक के इस्तीफे से खाली हुई आदिवासी बाहुल्य धनपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के बिंदू देबनाथ ने माकपा के कौशिक चंद्र को आसानी से हरा दिया. इसी तरह बोक्सानगर सीट माकपा विधायक सैमसन हक के निधन से खाली हुई थी. यह माकपा की परंपरागत सीट मानी जाती है, जिस पर मुस्लिम वोट ज्यादा होने के कारण विपक्षी गठबंधन अपनी जीत तय मान रहा था. हालांकि मुस्लिम वोटर्स ने यहां आश्चर्यजनक तरीके से भाजपा पर भरोसा जताया है, जो समीकरणों के विपरीत माना जा रहा है. भाजपा के तफज्जल हुसैन ने यहां विपक्ष समर्थित माकपा कैंडीडेट मिजान हुसैन को हराया है. ऐसे में इस पूर्वोत्तर राज्य में विपक्षी गठबंधन की एकजुटता का दांव बेकार साबित हुआ है.
4. केरल में कांग्रेस को मिलना ही था सहानुभूति लहर का लाभ
केरल की पुथुपल्ली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के चांडी ओमन ने जीत हासिल की है. इसे कांग्रेस नेतृत्व वाले UDF गठबंधन की भाजपा पर जीत घोषित किया जा रहा है. हालांकि यदि सही मायने में देखा जाए तो कांग्रेस का यह सीट जीतना तय ही था, क्योंकि यह सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के निधन से खाली हुई थी. ऐसे में कांग्रेस को सहानुभूति लहर का लाभ मिलना ही था. वैसे भी केरल में भाजपा उतनी मजबूत नहीं है. इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार का असल मुकाबला LDF के जैक सी थॉमस से था. भाजपा नेतृत्व वाले NDA के कैंडीडेट लिगिनलाल तीसरे नंबर की रेस में ही माने जा रहे थे.
5. झारखंड में विपक्षी गठबंधन का प्रभाव पड़ा NDA पर भारी
झारखंड में विपक्षी गठबंधन समर्थित उम्मीदवार ने भाजपा नेतृत्व वाले NDA समर्थित आजसू पार्टी की उम्मीदवार को हराया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की बेबी देवी ने डुमरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में आजसू की यशोदा देवी को 17,000 से अधिक वोट से मात दी है. इस जीत के बाद माना जा सकता है कि यहां INDIA गठबंधन NDA पर भारी रहा है.
6. उत्तराखंड में भगवा परचम रहा बरकरार
उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा सीट भाजपा विधायक चंदन दास के निधन से खाली हुई थी. उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के अलावा कोई भी अन्य पार्टी प्रभावी स्थिति में नहीं है. ऐसे में यहां विपक्षी गठबंधन का समर्थन महज एक Moral Support जैसा ही था. इस सीट पर भाजपा की पार्वती दास ने कांग्रेस के बसंत कुमार को 2,405 वोट के नजदीकी अंतर से हराते हुए भगवा परचम बरकरार रखा है.
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