डीएनए हिंदी: India vs China Latest News- चीन की तरफ से भारत के साथ सामान्य रिश्ते होने का लगातार संकेत देने के बीच उसकी हरकतों ने एक बार फिर संदेह के बादल फैला दिए हैं. अरुणाचल प्रदेश में तवांग के करीब पिछले साल दिसंबर में भारतीय सेना से मुंह की खाने के बाद लगातार यहां अपने बेस बना रहे चीन ने अब इस इलाके में अपनी कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड को तैनात कर दिया है. इस तैनाती के बाद हिंद महासागर में चीन की सबमरीन्स और वॉरशिप्स की भी हलचल देखी गई है. दोनों ही जगह भारतीय सेना और भारतीय नेवी चीन की हरकतों पर करीबी नजर बनाए हुए हैं, लेकिन सीमा पर चीन की इस सक्रियता से हमले की तैयारी जैसी आशंकाएं सामने आने लगी हैं. खासतौर पर ये शंकाएं इस कारण उठ रही हैं, क्योंकि चीनी सेना की यह हलचल भारत की तरफ से डोकलाम इलाके को लेकर चीन और भूटान के बीच चल रही वार्ता पर आपत्ति जताने के बाद शुरू हुई है.
पाकिस्तान नेवी के साथ समुद्री अभ्यास की आड़ में आई है चीनी नेवी
ANI ने नेवी सूत्रों के हवाले से बताया कि चीन के तीन वॉरशिप्स द महासागर इलाके में देखे गए हैं. वॉरशिप्स में एक डेस्ट्रॉयर, एक फ्रिगेट और एक ऑयल टैंकर शामिल हैं. इनके साथ एक सॉन्ग क्लास सबमरीन और एक सबमरीन सपोर्ट वैसल चांग डाओ (ASR847) भी है. फिलहाल चीनी नेवी पर्शिया की खाड़ी में मौजूद हैं, जिससे इनके पाकिस्तानी नेवी के साथ समुद्री अभ्यास में शामिल होने की संभावना लग रही है, जो नवंबर के मध्य या आखिर में हो सकता है. चीन ने अपनी नेवी के इन वॉरशिप्स और सबमरीन को लंबे समय से हिंद महासागर में उतार रखा है. चीन ने इसके लिए अदन की खाड़ी में समुद्री लुटेरों का सफाया करने के अभियान की आड़ ले रखी है. चीन के तीनों वॉरशिप्स मई 2023 से PLA की 44वीं एंटी-पायरेसी एस्कॉर्ट फोर्स (APEF) का हिस्सा हैं. अब उन्होंने यह जिम्मेदारी 45वीं APEF को हैंडओवर कर दी है, जो अक्टूबर से हिंद महासागर एरिया में एक्टिव है.
भारतीय नेवी इसलिए जता रही है चिंता
भारतीय नेवी फिलहाल चीनी नेवी की हरकत पर अपने P-8I सर्विलांस विमानों और MQ-9B प्रिडेटर ड्रोन की मदद से करीबी निगाह रखे हुए हैं. भारतीय नेवी की चिंता रूस-यूक्रेन के बाद अब इजरायल-हमास युद्ध के कारण फैली वैश्विक अस्थिरता बनी हुई है, जिसमें कई देशों के एक-दूसरे पर हमला करने की संभावना एक्सपर्ट पहले ही जता चुके हैं. चीन वॉरशिप्स के आने से पहले चीनी सेना का रिसर्च शिपल शी यान-6 भी सितंबर में इस इलाके में ट्रैक किया गया था, जिसके जासूसी जहाज होने को लेकर भारत चिंता जता चुका है. यह जहाज अब भी भारतीय समुद्री सीमा के करीब ही श्रीलंका EEZ के साथ मिलकर कथित साइंटिफिक रिसर्च कर रहा है. भारतीय नेवी को शक है कि यह जहाज रिसर्च के नाम पर इस इलाके का नया नक्शा तैयार कर रहा है, जिससे चीनी सेना को पारंपरिक रास्तों के अलावा दूसरे रास्तों की भी जानकारी मिल जाएगी.
अरुणाचल के करीब भी लगातार सेना बढ़ा रहा चीन
हिंद महासागर में इस हलचल के बीच अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर भी चीनी सेना का भारी जमावड़ा होने की खबरें सामने आई हैं. India Today की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने अपनी कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड (CAB) को तवांग के नजदीक सोना जॉन्ग में लामपुग में तैनात किया है, जो लोहांत्से जॉन्ग में रितांग के करीब है. रितांग में ही पिछले साल दिसंबर में भारतीय सेना की चीनी सेना से झड़प हुई थी, जिसमें चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा था. अमेरिकी रक्षा विभाग ने भी कांग्रेस (अमेरिकी संसद का उच्च सदन) में हाल ही में पेश अपनी सालाना रिपोर्ट में चीन की हरकतों पर चिंता जताई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन ने LAC पर ईस्टर्न सेक्टर में तीन लाइट-टू-मीडियम कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड तैनात की हैं, जो इस इलाके में तनाव भड़का सकती है. रिपोर्ट में मेक्सर टेक्नोलॉजीज की तरफ से ली गई इस इलाके की सैटेलाइट इमेज भी पेश की गई है, जिसमें चीनी सेना का जमावड़ा साफ दिख रहा है.
अरुणाचल में भौगोलिक हालात भारत के पक्ष में
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तवांग के करीब के इलाके में भारत को रिजलाइन के साथ-साथ टेक्टिकल पोजिशन पर मौजूदगी का एडवांटेज है. भारत ने इस इलाके में चीनी घुसपैठ को देखते हुए आधा दर्जन से ज्यादा छोटे आउटपोस्ट भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) यानी LAC पर बना रखे हैं. हालांकि चीन ने इस इलाके में पिछले कुछ समय के दौरान अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर सड़क नेटवर्क तैयार किया है, जिससे उसकी सेना की सीमा तक पहुंच आसान हो गई है. अरुणाचल प्रदेश पर चीन लगातार अपना दावा ठोकता रहता है. अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत बताने वाला चीन यहां के नागरिकों को भारतीय पासपोर्ट पर वीजा जारी नहीं करता है बल्कि अलग से नत्थी वीजा देता है. यह कवायद वह यहां के खिलाड़ियों के साथ भी करता है.
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