डीएनए हिंदी: India vs China- चीन का जासूसी जहाज एक बार फिर भारत और श्रीलंका के संबंधों पर भारी पड़ रहा है. इस साल जुलाई में श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के भारत दौरे के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की अपरोक्ष चेतावनी के बावजूद वे चीन को जासूसी जहाज भेजने के लिए ना नहीं कह पा रहे हैं. दरअसल चीन का कथित सर्वे व रिसर्च जहाज शी यान 6 एक बार फिर हिंद महासागर में एक्टिव है. यह जहाज इस समय बंगाल की खाड़ी में चेन्नई से 500 किलोमीटर पूर्व में मौजूद है. चीन का दावा है कि यह जहाज महज समुद्री रिसर्च के लिए हिंद महासागर का दौरा कर रहा है, लेकिन भारत को शक है कि इसके जरिये चीन हिंद महासागर में भारतीय नेवी की जासूसी कर रहा है. शी यान 6 जहाज अक्टूबर के अंत में श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचेगा, जहां वह नवंबर में भी मौजूद रहेगा. चीनी कंट्रोल वाला हंबनटोटा बंदरगाह भारतीय तट से महज कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है, जिससे यह जहाज यहां रहकर भारतीय तटों की सारी गतिविधियां रिकॉर्ड कर सकता है. इसके चलते भारत को अपने मिसाइल परीक्षण व कई अन्य टेस्ट टालने पड़ेंगे. इसी कारण भारत इस जहाज के श्रीलंका में ठहरने पर आपत्ति जता रहा है, जिसे श्रीलंका ज्यादा तवज्जो देता हुआ नहीं दिख रहा है.
श्रीलंकाई राष्ट्रपति के सामने उठाया है भारत ने मुद्दा
Hindustan Times की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यह मुद्दा 11 अक्टूबर को कोलंबो में श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के साथ मुलाकात में उठाया है. श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने भारतीय आपत्ति पर गौर करने का वादा किया है. हालांकि इस मामले से वाकिफ लोगों का कहना है कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति का वादा महज बोली गई बात ही लग रहा है, क्योंकि श्रीलंकाई विदेश मंत्री मोहम्मद अली साबरे के हवाले से 9 अक्टूबर को श्रीलंकाई न्यूजपेपर द आईलैंड पहले ही दावा कर चुका है कि नवंबर में चीनी जहाज को श्रीलंकाई बंदरगाह पर ठहरने की अनुमति दी जा चुकी है. यह जहाज श्रीलंका के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन में श्रीलंकाई नेशनल एक्वेटिक रिसोर्सेज रिसर्च एंड डवलपमेंट एजेंसी के साथ मिलकर जॉइंट मिलिट्री साइंटिफिक रिसर्च करेगा.
तीन शक्तियों के बीच पिसना नहीं चाहता श्रीलंका
द आईलैंड न्यूजपेपर ने अपनी रिपोर्ट में यह भी दावा किया है कि श्रीलंका तीन महाशक्तियों भारत, चीन और अमेरिका की आपसी दुश्मनी के बीच पिसना नहीं चाहता है. इस कारण उसने इन तीनों के आपसी विवादों से दूर रहने का फैसला लिया है. ऐसे में यह संभावना कम है कि एक बार अनुमति देने के बाद अब श्रीलंका भारत के आग्रह पर शी यान 6 जहाज को रोककर चीन की नाराजगी मोल लेगा. हालांकि श्रीलंकाई राष्ट्रपति इस मुद्दे पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ 17-18 अक्टूबर को अपने बीजिंग दौरे के दौरान बात कर सकते हैं. इस दौरे पर श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे BRI Summit में शिरकत करेंगे, जिसके लिए उन्हें जिनपिंग ने खुद न्योता दिया है.
श्रीलंका में मौजूद है अमेरिकी नेवी शिप, फिलहाल दूर ही रहेगा चीनी जहाज
फिलहाल अमेरिकी नेवी शिप USNS ब्रु्न्सविक ने कोलंबो बंदरगाह पर डेरा डाला हुआ है. ऐसे में चीनी जहाज शी यान 6 के हंबनटोटा पहुंचने की तारीखें तय नहीं की गई हैं. शी यान 6 जहाज पिछले दो सप्ताह से हंबनटोटा से करीब 1,000 किलोमीटर दूर पूरब में मौजूद है. जहाज में 2,000 टन डीजल है, जो उसे दो सप्ताह तक और अपनी जगह बनाए रखने में सक्षम है. यह जहाज 23 सितंबर को हिंद महासागर में आया था और फिलहाल भारत से 90 डिग्री ऊपर की तरफ अपनी पोजिशन मेनटेन किए हुए है, जो बंगाल की खाड़ी के दक्षिण दिशा में है. इतने लंबे समय तक चीनी जहाज की भारतीय समुद्र के करीब मौजूदगी ही संशय का कारण बन रही है.
डाटा बता रहा चीन किस कदर बढ़ा रहा हिंद महासागर में घुसपैठ
पिछले पांच साल का डाटा देखा जाए तो अपनेआप हिंद महासागर में चीनी नेवी की घुसपैठ बढ़ती हुई दिखती है. इस दौरान चीन ने बड़े पैमाने पर वॉरशिप्स, बैलेस्टिक मिसाइल ट्रैकर्स, सर्वे एंड रिसर्च वैसल्स को हिंद महासागर में भेजा है. साल 2019 में ऐसे 29 जहाज हिंद महासागर में घूमे थे, जो 2020 में बढ़कर 39, 2021 में 45 और 2022 में 43 हो गए थे. इस साल 15 सितंबर तक हिंद महासागर क्षेत्र में 28 चीनी जहाज दौरा कर चुके हैं.
चीनी नेवी की गश्त के लिए नक्शा तैयार कर रहे जहाज
भले ही श्रीलंका और चीन नई दिल्ली की तरफ से जताई जा रही चिंताओं को खारिज करते रहे हों और चीनी जहाजों के दौरे को महज रूटीन मैरीन रिसर्च बताते रहे हों, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा के योजनाकार इससे सहमत नहीं हैं. उनका मानना है कि चीनी नेवी इन जहाजों के जरिये हिंद महासागर का नया नक्शा तैयार कर रही है ताकि भारत को बाईपास करते हुए अफ्रीका के पूर्वी और उत्तरी तटों तक सीधी पहुंच बना सके. यह चीन की साल 2025 की शुरुआत से हिंद महासागर में चीनी स्ट्राइक फोर्सेज की पेट्रोलिंग की योजना का हिस्सा है.
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