Domestic Violence: भारत में 70 साल बाद 23% ज्यादा होंगे गृह क्लेश, महिलाओं पर टूटेगी आफत, स्टडी में बताया ये कारण

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 01, 2023, 07:34 AM IST

Heatwave Effect इस बार भारत में बड़े पैमाने पर दिखा है, जिसके चलते मौसम में अनिश्चितता से फसलें प्रभावित हुई हैं. (फोटो- Reuters)

Climate Change Effect: स्टडी में सामने आया है कि वातावरण में 1 डिग्री सालाना तापमान बढ़ने पर घरेलू हिंसा के मामले 6.3 फीसदी तक बढ़ जाते हैं.

डीएनए हिंदी: Weather News- सुनने में शायद आपको अजीब लगेगा, लेकिन यह सच है. यदि भारत में जलवायु की गर्मी ऐसी ही बढ़ती रही तो 70 साल बाद घरेलू हिंसा के मामले करीब 23 फीसदी तक बढ़ जाएंगे. भारतीय घरों में 2090 के दशक के दौरान बहुत ज्यादा गृह क्लेश होंगे, जिनके चलते महिलाओं पर आफत टूटेगी. यह दावा लगातार बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग के समाज पर हो रहे असर को लेकर की गई एक नई स्टडी के बाद किया जा रहा है. दक्षिण एशियाई देशों पर आधारित यह स्टडी तीन देशों भारत, नेपाल और पाकिस्तान में साल 2010 से 2018 के बीच की गई रिसर्च पर आधारित है, जिसमें हजारों लड़कियों और महिलाओं से उनके इमोशनल, फिजिकल और सेक्सुअल वायलेंस को लेकर बात करने के बाद निष्कर्ष तय किए गए हैं. 

सालाना 1 डिग्री तापमान से 6.3 फीसदी बढ़ती है घरेलू हिंसा

Wion News की रिपोर्ट के मुताबिक, JAMA Psychiatry जर्नल में 28 जून को यह स्टडी पेश की गई है. स्टडी के मुताबिक, वातावरण में तापमान बढ़ने का सीधा असर महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा पर पड़ता है. वातावरण की गर्मी में सालाना 1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी से घरेलू हिंसा के मामले 6.3 फीसदी से ज्यादा तक बढ़ते देखे गए हैं. इनमें महिलाओं के साथ फिजिकल और सेक्सुअल, दोनों तरह की घरेलू हिंसा के मामले शामिल हैं.

भारत में 23 फीसदी बढ़ेगी घरेलू हिंसा

स्टडी में लगाए गए अनुमान के हिसाब से तापमान बढ़ने के कारण 2090 के दशक तक भारत में घरेलू हिंसा 23.5 फीसदी तक बढ़ जाएगी. इसके उलट नेपाल में 14.8 फीसदी और पाकिस्तान में महज 5.9 फीसदी घरेलू हिंसा के मामले बढ़ेंगे.

1.94 लाख महिलाओं से बातचीत कर निकाले हैं निष्कर्ष

स्टडी के दौरान रिसर्चर्स की टीम ने भारत, पाकिस्तान और नेपाल के अलग-अलग इलाकों का दौरा किया. इस दौरान 15 से 49 साल के बीच की 194,871 लड़कियों और महिलाओं से बात की गई. इस दौरान महिलाओं के साथ इंटिमेट पार्टनर वायलेंस (intimate partner violence) और इसके अलग-अलग तरीकों को लेकर बात की गई, जिनमें फिजिकल, सेक्सुअल और भावनात्मक हिंसा शामिल है. इस दौरान सामने आए निष्कर्षों के आधार पर स्टडी में कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ IPV में बढ़ोतरी का वातावरण में तापमान में बढ़ोतरी से सीधा संबंध सामने आया है. स्टडी में साथ ही कहा गया है कि सालाना औसत तापमान में 1 डिग्री की बढ़ोतरी के चलते IPV में 4.49% की बढ़ोतरी देखी गई है.

सदी के अंत तक भावनात्मक नहीं शारीरिक हिंसा ज्यादा बढ़ेगी

स्टडी में निष्कर्षों के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि इस सदी के अंत तक यानी 2090 के दशक की शुरुआत में इंटिमेट पार्टनर वायलेंस (IPV) में 21 फीसदी तक बढ़ोतरी हो जाएगी. हालांकि यह आकलन उस स्थिति को लेकर है, जब 'असीमित उत्सर्जन हालात' होंगे यानी ग्लोबल वार्मिंग अपनी हर हद से बाहर निकल जाएगी. स्टडी में कहा गया है कि यदि ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने वाले उत्सर्जन पर शिकंजा कसा गया तो IPV में भी उसी के हिसाब से बढ़ोतरी होगी. स्टडी में यह भी दावा किया गया है कि यदि 21 फीसदी घरेलू हिंसा बढ़ी तो इसमें भावनात्मक हिंसा यानी इमोशनल अत्याचार के बजाय शारीरिक और सेक्स आधारित हिंसा ज्यादा होगी. रिसर्च के मुताबिक, इमोशनल अत्याचार के मामले जहां महज 8.9 फीसदी बढ़ेंगे, वहीं शारीरिक हिंसा में 28.3 फीसदी और सेक्स आधारित हिंसा में 26.1 फीसदी बढ़ोतरी होगी.

क्या है तापमान में बढ़ोतरी और घरेलू हिंसा के बीच का लिंक

स्टडी के सहलेखक और येल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऑफ एन्वायरमेंटल हेल्थ मिचेल बेल के मुताबिक, तापमान बढ़ने से सामाजिक-आर्थिक प्रभाव का आपस में चेन रिएक्शन जैसा लिंक है. तापमान बढ़ने से फसलें खराब होना, आय पर असर पड़ना, लोगों को बिना किसी दैनिक कमाई के घर में रहने के लिए मजबूर होना, जैसे असर दिखाई देंगे, जिसके चलते परिवारों पर दबाव बढ़ता है और इसका सीधा नतीजा महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के तौर पर दिखता है. उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा के मामले निम्न आय वर्ग और ग्रामीण परिवारों में ज्यादा बढ़ते दिखाई दिए हैं. उच्च आय वर्ग वाले परिवारों में इसका असर ज्यादा नहीं हुआ है. यह स्टडी सभी तरह के आय वर्ग की महिलाओं पर की गई है.

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