डीएनए हिंदी: पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के खिलाफ टीकाकरण अभियान तेजी से चलाया जा रहा है. किशोर, युवा, प्रौढ़ और बुजुर्गों को अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन लगाई जा रही है. विशेषज्ञ बच्चों के टीकाकरण को लेकर जल्दबाजी में नहीं दिख रहे हैं. अलग-अलग दवा कंपनियां बच्चों को दिए जाने वाले अपने टीकों की मंजूरी की प्रतीक्षा कर रही हैं.
पेरेंट्स को इंतजार है कि कब बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू होगा. वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को टीका लगाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि परीक्षण अभी भी जारी है. 2021 की शुरुआत में ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने कहा था कि बच्चों में गंभीर बीमारियों के खतरे की दर बेहद कम है. विशेषज्ञों ने 16 साल से कम उम्र के अधिकांश किशोरों और बच्चों के लिए COVID-19 टीकाकरण में देरी करने की सिफारिश की थी.
हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल जैसे कई देशों ने पहले ही बच्चों का टीकाकरण शुरू कर दिया है. कई यूरोपीय देश भी जल्द ही बच्चों के वैक्सीनेशन की शुरुआत करेंगे. ब्रिटेन में विशेषज्ञों ने सिफारिश की है कि केवल उन किशोरों को टीका लगाया जाना चाहिए जो चिकित्सकीय रूप से कमजोर हैं या जो कमजोर वयस्कों के साथ रहते हैं. स्वस्थ किशोरों और बच्चों में कोविड-19 के गंभीर मामले और इससे संबंधित मौतें दुर्लभ या बेहद कम हैं.
क्या है भारत के विशेषज्ञों की राय?
वैक्सीन एक्सपर्ट डॉक्टर गगनदीप कांग का मानना है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों को टीका लगाने से पहले भारत को कई सवालों पर गौर करने की जरूरत है. विशेषज्ञों का कहना है कि पहले इस बात का जवाब देने की जरूरत है कि क्या हम निष्क्रिय वायरस के टीकों का इस्तेमाल करते हैं या बच्चों को टीका लगाने के लिए mRNA वैक्सीन का इंतजार करना चाहिए.
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) के अध्यक्ष डॉक्टर के श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि बच्चों को टीका लगाने की कोई जरूरत नहीं है अगर वे कमजोर इम्युनिटी के नहीं हैं तो उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो वैक्सीन लगाने की जरूरत पड़ सकती है.
भारत में कब तक लगेगी बच्चों को वैक्सीन?
भारत में वयस्क आबादी का टीकाकरण बेहद तेजी के साथ किया जा रहा है. वहीं 2-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए भारत बायोटेक के कोवैक्सिन को एक एक्सपर्ट पैनल ने मंजूरी दी है. विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 के टीके, कोरोना के खिलाफ अल्पकालिक सुरक्षा दे रहे हैं. ज्यादा वक्त के लिए वे सुरक्षा कर पाएंगे या नहीं, यह अभी तक ज्ञात नहीं है.
क्यों है बच्चों के वैक्सीन की जरूरत?
सामान्य तौर पर मजबूत इम्युनिटी के बच्चों में कोविड-19 के माइल्ड लक्षण जल्द नजर नहीं आते हैं. ऐसी स्थिति में बच्चों के टीकाकरण को जल्द कराने का एक दबाव भी बना हुआ है. वयस्कों पर किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि कोरोना वायरस के हल्के लक्षणों की वजह से भी लोग पोस्ट-कोविड सिंड्रोम के शिकार हो सकते हैं. वहीं ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर रमन गंगाखेडकर का कहना है कि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि बच्चों के अंगों पर कोविड संक्रमण के बाद क्या असर पड़ता है. अध्ययन और परीक्षण की कमी की वजह से भारत में विशेषज्ञों का मानना है कि पहले यह देखा जाए कि बच्चों को लगने वाला टीका कितना असरदार है? मंथन किया जाए फिर सामूहिक टीकाकरण के विषय में सोचा जाए. भारतीय विशेषज्ञ बच्चों के टीकाकरण को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं चाहते हैं.