अंततः वही हुआ जिसकी उम्मीद थी. लेबनान में युद्ध को समाप्त करने का पहला कूटनीतिक प्रयास विफल हो गया है. लेबनान पर इजरायल ने सात पश्चिमी देशों और तीन मध्य पूर्व के देशों द्वारा किए गए युद्ध विराम के प्रयासों को अस्वीकार कर दिया है.
इजरायल के नेता बेंजामिन नेतन्याहू पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लग रहे हैं. कहा यही जा रहा है कि युद्ध विराम को लेकर नेतन्याहू दोहरी चाल चल रहे हैं.
बताते चलें कि अभी बीते दिनों ही नेतन्याहू ने अमेरिकी राजनयिकों से ऐसा बहुत कुछ कहा था जिसके बाद एक बड़े तबके ने ये मान लिया था कि, लेबनान से इजरायल पीछे हट जाएगा और युद्ध विराम को मंजूरी दे देगा.
नेतन्याहू द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद माना ये भी जा रहा है कि ये कूटनीतिक विफलता संयुक्त राष्ट्र महासभा में निराशा और हताशा के माहौल को और गहरा करेगी, जो अब लेबनान युद्ध के कारण पूरी तरह से प्रभावित है.
गौरतलब है कि बीते दिन अमेरिकी राजनयिकों ने 'आने वाले घंटों में' युद्ध विराम लागू होने की बात कही थी जिसके बाद लगा यही था कि हालात बदलेंगे और चीजें सही हो जाएंगी.
माहौल कुछ इस तरह का तैयार हुआ था कि अमेरिकी राजनयिकों ने भी लोगों को इस बात के लिए आश्वस्त किया था कि अगले 21 दिनों में इजरायल लेबनान युद्ध पर विराम लग जाएगा.
ब्रिटेन सहित जी7 देश भी इस उम्मीद में थे कि दुनिया एक बड़े बदलाव की गवाह बनेगी. ईरान और लेबनान के साथ राजनयिक चैनल खोलने वाले देश भी हिजबुल्लाह के अनुपालन के बारे में सकारात्मक बातें कर रहे थे. लेकिन इस खबर ने इजरायल में सरकार के उच्चतम स्तर पर भी गुस्सा भड़का दिया है.
इजरायल में तमाम मंत्री एक सुर में इस बात को दोहरा रहे हैं कि यह हिजबुल्लाह पर दबाव कम करने का समय नहीं है. इजरायल के विदेश मंत्री ने ट्वीट करते हुए बहुत ही सख्त लहजे में कहा है कि, 'उत्तर में कोई युद्धविराम नहीं होगा.'
इजरायली मीडिया के अनुसार, पश्चिमी राजनयिकों का दावा है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने निजी तौर पर अमेरिकी वार्ताकारों के साथ युद्धविराम पर सहमति जताई थी, लेकिन फिर सार्वजनिक रूप से इस विचार से खुद को अलग कर लिया.
जैसा रवैया नेतन्याहू का पूर्व में गाजा पर रहा, उसके बाद पश्चिमी राजनयिक भी इस बात को जानते हैं कि, नेतन्याहू लेबनान के मसले पर भी कुछ इस तरह की अस्पष्टता करेंगे.
बताया ये भी जा रहा है कि 'युद्ध विराम' के मद्देनजर स्वयं बाइडेन प्रशासन इतना अश्वस्त था कि उसने पश्चिमी मीडिया को भी इस बात का भरोसा दिलाया था कि जल्द ही इजरायल और लेबनान के बीच का तनाव ख़त्म हो जाएगा और स्थिति बेहतर हो जाएगी.
अब जबकि इजरायली प्रधानमंत्री अमेरिका से अपने वादे से मुकर गए हैं. कहना गलत नहीं है कि उस विश्वास को एक बड़ा झटका लगा है जो अमेरिका ने इजरायल और नेतन्याहू सरकार पर किया था.
ध्यान रहे संयुक्त राष्ट्र महासभा में बेंजामिन नेतन्याहू अपनी बातें रखेंगे और उसी के बाद इस बात की पुष्टि होगी कि लेबनान से इजरायल का गतिरोध खत्म होगा या नहीं?
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