डीएनए हिंदी: Bihar News- बिहार सरकार ने अपने यहां जातिगत जनगणना कराई है. इस जनगणना के केंद्र की भाजपा सरकार शुरुआत से खिलाफ थी. इसे गलत बता रही थी, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस जनगणना को समाज सुधार का गेम चेंजर बता रहे थे. कानूनी पचड़ों में फंसने के बाद आखिरकार जनगणना पूरी हुई और अब राज्य सरकार उसकी सर्वे रिपोर्ट भी जारी कर चुकी है. बिहार सरकार इस सर्वे रिपोर्ट को ऐतिहासिक साबित करने में जुटी है और इसे 100 फीसदी फुलप्रूफ बता रही है, जबकि विपक्षी दल इस सर्वे की विश्वसनीयता पर ही शक जता रहे हैं. कहा जा रहा है कि ये Survey ही Fake है और Survey के जो आंकड़े दिए गए हैं, वो आंखों में धूल झोंकने वाले हैं. इस सर्वे को लेकर तमाम सवाल पूछे जा रहे हैं.
बिहार की जातिगत जनगणना पर जो सवाल उठाए जा रहे हैं, उनमें कितना दम है? क्या Survey में वाकई कोई गड़बड़ी हुई है? इन सवालों के जवाब तो मिलने ही चाहिए. इसलिए Zee News ने बिहार में हुए Caste Census Survey की सच्चाई का पता लगाने के लिए बिहार के गांव-देहात से लेकर बड़े शहरों में Door To Door Survey किया है. Zee News की टीमें, घर-घर गईं और वहां लोगों से कुछ सवाल पूछे, जैसे कि-
इन सवालों को लेकर Zee News की टीमों ने जब Survey करना शुरू किया तो लोगों के जवाब चौंका देने वाले थे. अब हम बिहार के जातिगत जनगणना के सच की जो Survey Report जारी कर रहे हैं. उसके नतीजे आपको भी हैरान कर देंगे.
मुजफ्फरपुर में बिहार जातिगत सर्वे की सच्चाई का Survey
सवाल - सर्वे हुआ कि नहीं?
जवाब - हमारे यहां तो सर्वे करने कोई आया ही नहीं.
जवाब - हमे लगता है कि कहीं किए हैं, कहीं नहीं किए हैं.
जहानाबाद में बिहार जातिगत सर्वे की सच्चाई का Survey
सवाल - सर्वे हुआ कि नहीं ?
जवाब - नहीं हुआ.
जवाब - कोई नहीं आया.
इसी तरह से बक्सर, समस्तीपुर, गोपालगंज, कटिहार, सिवान में भी Zee News की टीमों ने बिहार जातिगत सर्वे की सच्चाई का Survey करने के लिए लोगों से सवाल किए हैं. बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर उठ रहे सवालों की लिस्ट लेकर ज़ी न्यूज़ की टीमें पूरे बिहार में घूमीं. इस सर्वे के सच का Door To Door सर्वेक्षण किया तो जो जवाब बिहार की जनता ने दिए, वो जातिगत सर्वे पर ही सवालिया निशान लगाते हैं.
जहानाबाद के एक गांव में लोगों ने बताया कि फार्म पेंसिल से भरा, कई घरों को छोड़ दिया, आधे गांव में ही सर्वे किया गया. लोगों को पता भी नहीं चला और सर्वे भी हो गया, सर्वे रिपोर्ट भी आ गई.
कटिहार जिले के हसनगंज प्रखंड विद्यालय की शिक्षिका राजलक्ष्मी ने सर्वे का सच अपनी जुबान से ही उगल दिया. उन्होंने बताया कि 15 दिन में शिक्षको को अल्टीमेट दिया गया था कि आप को उपलब्ध फॉर्मेट को पूरा करना है. अगर फॉर्मेट पूरा नही हुआ तो आपके विरुद्ध शिक्षा विभाग कार्रवाई करेगा. शिक्षकों ने विद्यालय पहुंचकर और हाजिरी बनाने के बाद गणना का कार्य ग्रामीणों की मदद से पूरा कर लिया. इस भरोसे के साथ कि शायद सरकार राज्यकर्मी का दर्जा हम शिक्षकों को भी दे देगी..
आप कुछ समझे? जहानाबाद में जातिगत सर्वे करने वालों ने 15 दिनों के अंदर ही 30 लाख की आबादी से पूछ डाला. कौन जात के ठहरे, लेकिन आप ठहरिये और जहानाबाद में ग्रामीणों के मुंह से भी जातिगत सर्वे का सच सुनिए.
आप इस सबसे बूझे के नहीं? अरे मतलब जातिगत जनगणना के साथ खेल हो गया. जो सर्वे Door To Door होना था, वो Village To Village हो गया. मतलब सर्वे वाले गांव में गए और वहां बैठे-बैठे सर्वे रिपोर्ट तैयार करके लौट गए. ये हम नहीं, वो कह रहे हैं जिनका जातीय सर्वे होना था. पूरे बिहार में जातीय जनगणना के सर्वे का ट्रेंड एक जैसा ही था. घर घर जाकर सर्वे नहीं हुआ, लेकिन कागजों पर सर्वे पूरा हो गया. इससे अंदाजा लग सकता है कि जातिगत जनगणना के नाम पर बिहार में जो हुआ है, वो किसी मजाक से कम नहीं है. सोचिये, जिस सर्वे के आधार पर बिहार में जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए गए, जब वो सर्वे ही गलत तरीके से किया गया है तो आंकड़े कितने गलत होंगे.
क्या सामने आया है जातीय जनगणना के सच की Survey Report में
इस हिसाब से देखें तो बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना का Survey तो करवाया, लेकिन इसे ठीक से किया नहीं गया, जिसकी गवाही खुद बिहार की जनता ने कैमरों पर दी है. अब तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU के नेता भी जातिगत Survey की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं. अब एक बात तो कोई भी बता सकता है कि जब Survey में ही इतना झोल है तो फिर Survey Report भी गलत ही होगी । ऐसे में भले ही ये Survey, नेताओं के लिए अपनी राजनीति चमकाने के काम आए, लेकिन इससे बिहार के लोगों की किस्मत चमकने का कोई Chance नहीं है.
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