India China Arunachal Pradesh Issue: क्या इमली का नाम आम रख देने से वो मीठी हो जाएगी? क्या शेर को गीदड़ कहना शुरू कर दो तो वो बदल जाएगा? क्या कौए का नाम बदलने से वो हंस बन जाएगा? इन सारे सवालों के लिए आप नहीं में ही जवाब देंगे, लेकिन चीन ऐसा नहीं समझता है. अपने पड़ोसियों के लिए सिरदर्द बने हुए चीन का एक खास शौक है. वो दूसरे के घर के बाहर अपनी Nameplate लगाकर, उसे अपनी संपत्ति बताने लगता है. चीन की नाम बदलने वाली मूर्खता का शिकार भारत भी हो रहा है. चीन को लगता है कि भारतीय शहरों का चाइनीज नामकरण कर देने से वो उसका हिस्सा हो जाएंगे. चीन की सरकार पुरानी हिंदी फिल्मों के उस विलेन की तरह है, जिनकी बुरी नजर हीरोइन पर होती है, और वो हर प्रकार से उसे अपना बनाना चाहता है. चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों के नए नाम जारी कर दिए हैं. पिछले कुछ वर्षों में ये चौथी लिस्ट है, जिसमें चीन, भारतीय इलाकों के चाइनीज नाम रखकर, उन पर दावा कर रहा है. आज हम चीन की इसी मंशा का DNA टेस्ट कर रहे हैं, साथ ही तिब्बत की भी बात करेंगे, जिस पर जबरन कब्जा जमाकर चीन उसे अपना हिस्सा बताता है.
पहले तिब्बत से समझिए चीन की गुंडों वाली मानसिकता
चीन ने तिब्बत के साथ वर्ष 1959 में क्या किया था, ये पूरी दुनिया जानती है. एक खुशहाल देश तिब्बत को चीन ने बर्बाद कर दिया. उस पर कब्जा कर लिया और आज वो उसे अपना हिस्सा बताता है. पूरी दुनिया इसे चीन की विस्तारवादी नीति कहती है, जिसमें वो अपने पड़ोसियों की जमीन पर किसी गुंडे की तरह कब्जा करने की कोशिश करता रहता है. कुछ ऐसा ही वो भारत के साथ भी करना चाहता है. चीन के निशाने पर सीमावर्ती क्षेत्र हैं, जिनमें अरुणाचल प्रदेश प्रमुख है. चीन तिब्बत की तरह, भारत से सीधा युद्ध छेड़कर भारतीय इलाकों पर कब्जा नहीं कर सकता है. इसीलिए वो धीरे-धीरे अलग-अलग तरीके से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश करता है. घुसपैठ का मुंहतोड़ जवाब मिलने के बाद वो नई तरकीब अपनाने लगा है. वो भारतीय क्षेत्रों के चाइनीज़ नाम रखने लगा है. पिछले 7 वर्षों में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के अलग-अलग इलाकों के नाम अपने हिसाब से बदले हैं. हालाकि नाम रखने की उसकी रणनीति पर केवल हंसा जा सकता है. लेकिन बावजूद इसके वो इस पर डटा रहता है.
तिब्बत पर कब्जे के साथ ही अरुणाचल पर टेढ़ी कर ली थी नजर
अरुणाचल प्रदेश पर चीन अपना दावा करता रहा है, लेकिन भारत इसका करारा जवाब देता आया है. चीन ने अरुणाचल प्रदेश को अपना बताने की शुरूआत तिब्बत पर कब्जे के साथ ही शुरू कर दी थी,
भारत ने दिया है करारा जवाब
चीन अपने नागरिकों को ये संदेश देना चाहता है कि वो जिन भारतीय इलाकों के नाम बदल रहा है, वो चीन का हिस्सा हैं, जबकि ऐसा नहीं है. भारत, हमेशा से चीन की इन ओछी हरकतों का विरोध करता रहा है. भारतीय विदेश मंत्री ने भी चीन की इस हरकत पर करारा जवाब दिया है.
तिब्बत का इतिहास की निकालता है चीनी दावे की हवा
जिस तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा बताकर, चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना बताता है. उस तिब्बत को लेकर हम कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो चीन के दावे की हवा निकाल देगी. चीन जिस तिब्बत को अपना हिस्सा बताता रहा है, वो पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगौलिक रूप से हमेशा से भारत के नजदीक रहा है. तिब्बत और चीन का रिश्ता केवल गुलाम और शासक का रिश्ता रहा है.
क्या भारत को भी तिब्बत का नामकरण कर देना चाहिए?
भारत से इतना गहरा रिश्ता होने के चलते क्या अब हमें भी तिब्बत के अलग-अलग इलाकों के भारतीय नाम रखना शुरू कर देना चाहिए? क्या भारत सरकार तिब्बती शहरों के भारतीय नाम रखकर, उन पर दावा करने लगे? अगर भारत सरकार ने ऐसा किया, तो यकीनन चीन का दर्द बढ़ जाएगा, लेकिन हम मानते हैं कि अन्य आजाद देशों की तरह ही तिब्बत एक आजाद देश है, जिस पर चीन का कब्जा है.
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चीन किस आधार पर बताता है तिब्बत को अपना हिस्सा?
चीन किस आधार पर तिब्बत को अपना हिस्सा बताता है, ये कोई नहीं जानता है. किसी माफिया की तरह उसने तिब्बत पर जबरन कब्जा किया, उसके बाद से ही वो भारत के एक हिस्से को दक्षिणी तिब्बत बोलकर अपना हिस्सा बताने की हिमाकत करता रहा है.
कम्युनिस्ट पार्टी के शासन का मूलमंत्र है कब्जे की नीति
वर्ष 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी के शासन में People Republic Of China के गठन के बाद से ही चीन ने अपने आस पड़ोस के देशों की जमीन पर कब्जा करने की नीति पर काम किया. भारत ही नहीं चीन के करीब 18 देशों के साथ सीमा विवाद चल रहा है. चीन केवल अपने पड़ोसियों की ही नहीं, बल्कि अपनी सीमा से दूर बसे देशों की जमीन या समंदर हड़पने की भी बात करता है. हम ऐसे दौर में रह रहे हैं, जहां पर कोई देश, किसी और देश पर पूरी तरह से कब्जा नहीं कर सकता. ये अलग बात है कि किसी क्षेत्र को लेकर विवाद हो, लेकिन पूरे देश पर कब्जा करना मुश्किल है. इसीलिए चीन विस्तारवादी नीति के तहत अलग अलग देशों के छोटे-छोटे हिस्सों को अपना बताता है. ये एक नए तरह का उपनिवेशवाद है.
60 फीसदी चीन 'कब्जा करो' की नीति की देन
इससे एक बात साफ है कि चीन ना खुद शांत है ना ही वो अपने आस पास बसे देशों में शांति चाहता है. वो Greater China के Concept पर आगे बढ़ रहा है, जिसका मकसद चीन के आसपास बसे देशों की जमीन पर कब्जा करके, उन्हें अपना हिस्सा बताना है. अंत में हम चीन सरकार से ये पूछना चाहते हैं कि अगर भारत सरकार, बीजिंग का नाम ब्रह्मपुरी रख दे, या शंघाई का नाम शंकरपुरी रख दे. तो क्या वो उसे भारत का हिस्सा मान लेगा?
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