डीएनए हिंदी: Delhi Smog Latest News- इस समय पूरी दुनिया का ध्यान इजरायल-हमास युद्ध पर है. गाजा पट्टी में बरस रहे रॉकेट और मिसाइल से मलबे में बदल रही बिल्डिंगों की धूल आसमान पर छा रही है. इस धूल में फिलिस्तीनी बच्चों, बूढ़ों और औरतों को दम घुट रहे हैं. ऐसे समय में उस धधकती आग की तरफ से किसी का ध्यान नहीं जा रहा है, जो बिना किसी रॉकेट-मिसाइल के ही हर साल दिल्ली की 'सांस' पर शिकंजा कस लेती है. यह आग उत्तर भारत के खेतों में हर साल अक्टूबर से धधकना शुरू करती है और इसके कारण हर साल सर्दी में पूरा उत्तर भारत धुंध की चादर ओढ़ लेता है. फिर इससे दिल्ली का दम घुट जाता है.
दरअसल, भारत में पराली जलाने का मौसम शुरू हो गया है. इसे मौसम इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि ये हर साल आता है. बीते कई वर्षों से इस मौसम के समय में कोई बदलाव नहीं हुआ है. भले ही बाकी मौसम के आने-जाने का समय बदल जाए, लेकिन पराली जलाने के मौसम की Timing नहीं बदली है. इस बार भी पराली जलाने का मौसम अपने तय वक्त पर ही आया है, जिससे फिर राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर का दम घुटने लगा है.
दिल्ली को Gas Chamber बनाने में आरोप-प्रत्यारोप का खेल
दिल्ली के आसपास के राज्यों में जैसे ही पराली जलती है, उसका सीधा असर राष्ट्रीय राजधानी में दिखता है. दिल्ली gas chamber बन जाती है. लोग मास्क लगाकर बाहर निकलने लगते है. पराली की इस समस्या को लेकर एक राज्य सरकार दूसरी राज्य सरकार पर ठीकरा फोड़ती है. ये हम पिछले कई वर्षों से देखते आ रहे है. पराली जलाना इतनी बड़ी समस्या है कि सरकार ने इसपर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद अब भी धड़ल्ले से पराली जलाई जा रही है. खासकर हरियाणा में, जहां के सीएम ये दम भरते हैं कि हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई है. लेकिन उससे पहले मैं आपको कुछ आंकड़े दिखाता हूं. भारत सरकार के Indian Agriculture Research Institute ने इसको लेकर कुछ आंकड़े जारी किए है. इन आंकड़ों के मुताबिक-
- भारत में इस वर्ष 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक कुल 2,974 पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं.
- पिछले वर्ष यानी 2022 में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक भारत में पराली जलाने की 2,867 घटनाएं हुई थीं.
- इस हिसाब से देखा जाए तो 2022 में देश में पराली जलाने की घटनाएं घटने के बजाय ज्यादा हुई हैं.
पंजाब-हरियाणा का था ये हाल
- पंजाब में 2022 में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक पराली जलाने की 2,189 घटनाएं हुई थीं
- 2023 में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक 1,407 घटनाएं हैं यानी पंजाब में पराली कम जली है.
- हरियाणा में 2022 में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक 464 पराली जलाने की घटनाएं हुई थीं.
- 2023 में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक ये संख्या 20 फीसदी बढ़कर 554 हो गई है यानी हरियाणा में पराली ज्यादा जली है.
क्या झूठे दावे कर रही है खट्टर सरकार?
अब सवाल है कि हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार क्या कर रही है, तो इसका जवाब है, राज्य सरकार सिर्फ पराली को जलने से रोकने और मामले कम होने के झूठे दावे कर रही है. आज आपको 4 अक्टूबर का हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का बयान याद करना चाहिए, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि हरियाणा में पराली जलाने के मामले कम हो रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में पराली को लेकर सबकुछ ALL WELL है, लेकिन अब हम आपको कुछ आंकड़े दिखाते हैं. ये आंकड़े भी उसी दिन के हैं, जिस दिन मुख्यमंत्री ने बड़े-बड़े दावे किए थे.
- वर्ष 2021 में 15 सितंबर से 4 अक्टूबर तक पराली जलाने के 21 मामले आए थे
- वर्ष 2022 में 15 सितंबर से 4 अक्टूबर तक पराली जलाने के 24 मामले आए.
- वर्ष 2023 में 15 सितंबर से 4 अक्टूबर तक ये आंकड़ा बढ़कर 166 हो गया था.
इस हिसाब से जब हरियाणा के सीएम सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे थे उस वक्त हरियाणा में पराली के धधकने की रफ्तार बीते 2 वर्षों के मुकाबले 8 गुना ज्यादा थी.
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