DNA TV Show: इतनी छुट्टियां तो स्कूल के बच्चों को नहीं मिलती, जितनी बाबा गुरमीत रामरहीम को जेल से मिल रहीं

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 21, 2023, 11:43 PM IST

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Dera Sacha Sauda Chief Gurmeet Ram Rahim: हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फिर जेल से 21 दिन की रिहाई दे दी है. हत्या और रेप जैसे आरोपों में सजा पा चुके बाबा की बार-बार रिहाई का डीएनए पेश करती ये रिपोर्ट.

डीएनए हिंदी: Gurmeet Ram Rahim Parole Updates- हर साल स्कूलों में बच्चों की गर्मियों में छुट्टी पड़ती है. छुट्टी पड़ते ही बच्चे खुश हो जाते हैं. 60 दिन फुल मस्ती, लेकिन बच्चों से भी ज्यादा छुट्टी जेल में बंद राम रहीम को मिल रही हैं. हरियाणा सरकार टीचर बनती है और राम रहीम को हर तीसरे महीने छुट्टियों की सौगात देती है. पता नहीं, बलात्कारी बाबा गुरमीत राम रहीम ने हरियाणा सरकार पर ऐसा कौन सा जादू किया हुआ है कि वह जब चाहता है, जेल से बाहर आ जाता है. अभी अगस्त में ही 30 दिन की परोल का आनंद उठाकर राम रहीम जेल लौटा था. अब तीन महीने बाद राम रहीम एक बार फिर 21 दिन की छुट्टियों पर जेल से बाहर आ गया है. इस बार राम रहीम फरलो पर बाहर आया है. ये वैसे ही है जैसे, गर्मी या सर्दियों की छुट्टियों में लोग घूमने जाते हैं. इसी तरह गुरमीत राम रहीम छुट्टियों में जेल से बाहर घूमने आता है. इस बार भी बलात्कारी राम रहीम 21 दिन की छुट्टियां बिताने के लिए जेल से निकलकर सीधे अपने आश्रम पहुंच गया है.

ये सवाल उठ रहे हैं इस बार-बार रिहाई से

अगर हरियाणा की मनोहर सरकार की कृपा किसी पर बरस रही है तो वो गुरमीत राम रहीम ही है. मानो गुरमीत राम रहीम अलादीन हो और हरियाणा सरकार अलादीन का चिराग. राम रहीम जब भी जेल से बाहर आने की इच्छा का इजहार करता है. मनोहर सरकार उसकी ये इच्छा तुरंत पूरी कर देती है. ये बात सोचने पर मजबूर करती है कि-

हालंकि इन सारे सवालों के जवाब उन वायरल वीडियोज में हैं, जो सोशल मीडिया पर खूब चल रहे हैं. इनमें हरियाणा सरकार के मंत्रियों से लेकर संतरी तक, यहां तक कि विपक्षी नेता भी जेल से छुट्टी मनाने बाहर आए बलात्कारी बाबा राम रहीम की चरण वंदना में मग्न हैं. जेल से 21 दिन की छुट्टियां लेकर आश्रम में पहुंचते ही राम रहीम ने अपनी आदत से मजबूर होकर प्रवचनबाजी भी शुरु कर दी है. चेहरे की दमक, आंखों में तैरता Confidence, आवाज में खनक, कहीं से नहीं लगता कि ये शख्स हत्या और बलात्कार का कोई दोषी है और जेल की सजा काट रहा है.

हत्या और बलात्कार की सजा काट रहा है राम रहीम

गुरमीत राम रहीम वर्ष 2017 से जेल की सजा काट रहा है. डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम दो शिष्याओं से बलात्कार और एक पत्रकार की हत्या का दोषी है, लेकिन इन दिनों वो परोल पर जेल से बाहर आकर सत्संग कर रहा है. अब मैं आपको एक गुणा भाग समझाता हूं, जो हरियाणा सरकार और राम रहीम से जुड़ा हुआ है.

परोल और फरलो का अंतर भी समझ लीजिए

अब मैं आपको परोल और फरलो के बीच का अंतर समझाता हूं. इससे पहले जान लीजिए परोल पर जेल से बाहर आना हर कैदी का अधिकार है, जो उसे मिलना ही चाहिए, लेकिन लगता है कि हरियाणा सरकार की नजरों में बलात्कारी राम रहीम की कुछ ज्यादा ही इज्जत है. पिछले 5 वर्षों में राम रहीम को 8 बार परोल या फरलो पर रिहा किया जा चुका है. इस वर्ष ही बलात्कारी बाबा तीन बार जेल से बाहर आ चुका है. 

परोल और फरलो में एक साल में अधिकतम 90 दिन की रिहाई

परोल और फरलो मिलाकर अधिकतम से अधिकतम एक कैदी एक वर्ष में 90 दिनों तक जेल से बाहर रह सकता है. अब तक राम रहीम परोल के 70 दिन जनवरी और जुलाई में पहले ही खत्म कर चुका है. अब रहीम को 21 दिन की फरलो भी मिल गई है यानि कानून के तहत एक कैदी को जो अधिकतम राहत मिल सकती थी, वो राम रहीम को पिछले वर्ष भी मिली और इस वर्ष भी मिली. वैसे ये राहत अगर सभी कैदियों को समान रूप से मिले तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी, लेकिन जब ये राहत कुछ शक्तिशाली और प्रभावशाली लोगों को दी जाती है तो इस पर सवाल उठना लाजमी है. ये आंकड़े देख लीजिए

रसूखदारों के लिए 'खास छूट' का यह पहला उदाहरण नहीं

ये खास रवैया सिर्फ राम रहीम तक ही सीमित नहीं है. इससे पहले मनु शर्मा और संजय दत्त जैसे प्रभावशाली जैसे कैदियों को भी लगातार जेल से छुट्टी मिलती रही है. सरकार के इसी रवैये को देखते हुए न्यायपालिका भी इस पर नाराजगी जाहिर कर चुकी है. वर्ष 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि ये साफ है कि सिर्फ अमीर और शक्तिशाली कैदियों को ही परोल मिल पाती है. ऐसे लोगों की मदद करने के लिए पुलिस अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उनका फेवर करती है और जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत होती है, उन्हें जेल से छुट्टी नहीं मिल पाती है. दिल्ली हाई कोर्ट की ये टिप्पणी हमारे देश के जेल सिस्टम की असली सच्चाई है.

कानून तक बदल चुकी है हरियाणा सरकार

सियासी फायदे की है ये 'परोल'

राम रहीम जैसे बाबा सियासत के लिए फायदे का सौदा साबित होते रहे हैं. ये बातें सरकार अच्छी तरह से जानती भी है और समझती भी है. हमारे देश में बाबा, तरह-तरह की चमत्कारी शक्तियों से लैस होते हैं. ऐसी ही चमत्कारी शक्ति है - सिस्टम और सरकार को अपनी उंगलियों पर नचाना. बाबाओं की इस चमत्कारी शक्ति की मारक क्षमता चुनाव के दिनों में सबसे ज्यादा प्रभावी होती है. इसी चमत्कारी शक्ति का प्रयोग करके बलात्कारी और हत्यारा गुरमीत राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आया है. अब आप जरा राम रहीम के जेल से बाहर आने की Timing भी Check कर लीजिए-

सियासत चीज ही ऐसी होती है कि उसके आगे नेता सबकुछ भूल जाते हैं । जैसे हरियाणा के नेता राम रहीम के गुनाह भूल चुके हैं. वरना ये वही राम रहीम है, जिसको सजा सुनाए जाने के बाद डेरा समर्थकों ने पंचकूला और सिरसा में हिंसा फैला दी थी. इस हिंसा में 41 लोगों की मौत हो गई थी. हरियाणा पुलिस के दो SSP समेत 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे और करोड़ों रुपये की सार्वजनिक संपत्ति बर्बाद कर दी गई थी. ये सब बीजेपी के ही शासनकाल में हुआ था और मनोहर लाल ही तब भी हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, लेकिन इतने गंभीर अपराधों में दोषी राम रहीम पर हरियाणा सरकार कृपा बरसा रही है. उसे देखकर एक ही सवाल मन में आता है कि हरियाणा सरकार राम रहीम की सजा माफ करके हमेशा के लिए जेल से बाहर क्यों नहीं निकाल लेती?

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