DNA TV Show: बाबा आदम के जमाने के रेडियो-टीवी बनेंगे कबाड़, इलेक्ट्रॉनिक आयटम्स स्क्रैप पॉलिसी से देश से हट पाएंगे 'कूड़ा घर'?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 14, 2023, 12:06 AM IST

DNA TV SHOW

Electronics Items Scrap Policy: सरकार वाहनों के लिए स्क्रैप पॉलिसी ला चुकी है. अब एक और स्क्रैप पॉलिसी आने जा रही है, जो आपकी जिंदगी पर बेहद गहरा असर डालेगी. इसलिए आपको आज dna की यह रिपोर्ट जरूर पढ़नी चाहिए. 

डीएनए हिंदी: Electronics Items Expiry Date- एक कहावत है 'दादा लाए और पोता बरते'. इस कहावत को हमारे देश के लोग बहुत ज्यादा सीरियसली लेते हैं. आपको अपने ही घर में दर्जनों आयटम ऐसे मिल जाएंगे, जो खराब होने के बावजूद इसलिए नहीं फेंके गए होंगे, क्योंकि उनसे आपके पुरखों के इमोशन्स जुड़े होंगे. आपमें से कई लोगों के पास अभी भी ऐसा कोई टीवी, कोई रेडियो होगा, जो आपके पिताजी ने खरीदा होगा और खराब होने के बावजूद उसे आपने संभालकर रखा होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि एक नई Scrap Policy के तहत सरकार ने Mobile Phones, Laptop, Fridge, TV, AC समेत 134 Electronic Items की Expiry Date तय कर दी है यानी एक निश्चित वक्त के बाद आपके घर में मौजूद Electronic Items कबाड़ हो जाएंगे और आपको उन्हें Scrap करवाना पड़ेगा. 

किस आयटम की कितनी उम्र

सबसे पहले आपको घर में सामान्य तौर पर मिलने वाले इलेक्ट्रॉनिक Items की Expiry Date बताते हैं.

  • 10 साल की उम्र तय की गई है फ्रिज, छत के पंखे, एयर कंडीशनर, माइक्रोवेव ओवन, वीडियो कैमरा की.
  • 9 साल उम्र तय हुई है वॉशिंग मशीन के लिए, जबकि रेडियो की उम्र मानी गई है अधिकतम 8 साल.
  • 5-5 साल की ही उम्र आंकी गई है स्मार्ट फोन, टैबलेट, लैपटॉप और स्कैनर की.
  • 2 साल में रिटायर करने पड़ेंगे अब आपको अपने बच्चों के लिए खरीदे गए वीडियो गेम.

वाहनों की तरह ही तय की गई है एक्सपायरी डेट

सरकार ने हर Electronic Item की Expiry Date तय की है, फिर चाहे वो घरेलू इस्तेमाल में आते हों या व्यवसायिक तौर पर उनका इस्तेमाल होता हो. ये बिलकुल वैसे ही है जैसे भारत में वाहनों की Expiry Date 15 साल होती है, जिसके बाद वाहनों को सड़कों पर चलाने की अनुमति नहीं मिलती और उन्हें Scrap करवाना होता है. उसी तरह अब Electronic सामान को भी एक निश्चित समय के बाद Scrap करवाना होगा. 

1 अप्रैल से लागू हो चुकी है स्क्रैप पॉलिसी

आपको शायद पता नहीं होगा कि ये electronic Items Scrap Policy गत 1 अप्रैल से लागू भी हो चुकी है. इसके नियम भी जुलाई 2023 में सरकार ने एक Notification के जरिये तय कर दिए हैं, जिनमें बताया गया है कि एक निश्चित अवधि के बाद इलेक्ट्रॉनिक उपकरण E-waste माने जाएंगे और इस E-Waste को Collect करने के लिए देशभर में E-Waste Collection Centres खोले जाएंगे. इन सेंटरों पर इकट्ठा होने वाला E-Waste सीधे Recycling Agencies के पास जाएगा, जो अपने E Waste Management Plants में उसे Scrap करेंगी.

स्क्रैप करने पर मिलेगा लोगों को डिस्काउंट सर्टिफिकेट

जिस तरह से गाड़ियों की Scrapping को बढ़ावा देने के लिए लोगों को एक Discount Certificate दिया जाता है, जिसका इस्तेमाल वो नई गाड़ी खरीदने में कर सकते हैं. वैसी ही Policy अब Electronic सामान के लिए भी तैयार की गई है. जिस तरह गाड़ियों की Scrapping का काम Recycling Agencies करती हैं, उसी तरह Electronic सामान के Collection और Scrapping का काम भी Private Agencies कर रही हैं.

अब जान लीजिए सरकार ने Electronic सामानों की Expiry Date क्यों तय कर दी है?

दरअसल हमारे देश में खराब हो चुके 60 फीसदी उपकरणों को खतरनाक तरीके से खपा दिया जाता है और बेहद कम लोग ही अपने खराब उपकरणों को Registered कंपनियों के जरिये Recycle करवाते हैं. इसलिए सरकार ने E waste Policy में बदलाव करके सीधे कंपनियों को ये जिम्मेदारी सौंप दी है कि वो Electronic सामानों की Expiry Date के बाद उनको Collect करे और खुद ही Recycle भी करे. ऐसा नियम बनाने वाला भारत कोई पहला देश नहीं है. दुनिया के 140 देशों में ऐसी ही E waste Management Policy लागू हैं. 

पहले जान लीजिए कि E-Waste क्या होता है

आमतौर पर खराब हो चुके Electronic उपकरणों को ही E-Waste कहा जाता है, लेकिन E-Waste ऐसे पदार्थ होते हैं जो Electronic उपकरणों में इस्तेमाल होते हैं. E-Waste में ऐसे जहरीले केमिकल्स भी शामिल होते हैं जो जो पर्यावरण के लिए खतरनाक होते हैं यानी आपके घर का फ्रिज, AC, TV जो खराब हो चुके हैं, वो सब E Waste की Category में आते हैं. ये E-Waste पूरी दुनिया के लिए उतना ही खतरनाक हो चुका है, जितना कि Global Warming. दरअसल E-Waste ऐसा जहर है, जो ना सिर्फ पर्यावरण को बल्कि आपकी सेहत को भी नुकसान पहुंचाता है और आपको पता भी नहीं चलता.

क्या कहता है इस बारे में संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र Global E Waste Monitor Report जारी करता है. ऐसी ही एक ताजा रिपोर्ट में ई-वेस्ट के खतरनाक आंकड़े पेश किए गए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक-

  • वर्ष 2019 में पूरी दुनिया में 5 करोड़ छत्तीस लाख टन, E-waste पैदा हुआ.
  • सबसे ज्यादा E-waste पैदा करने वाले देशों में नंबर वन पर चीन है.
  • चीन में करीब एक करोड़ टन E-waste हर साल पैदा होता है.
  • दूसरे नंबर पर अमेरिका है, जहां हर साल उनहत्तर लाख टन E-waste पैदा होता है.
  • लिस्ट में तीसरे नंबर पर भारत है, जहां हर साल 32 लाख टन E-waste पैदा होता है.

भारत की अपनी रिपोर्ट क्या कहती है

केंद्र सरकार के Central Pollution Control Board यानी CPCB ने भी वर्ष 2022 में ई-वेस्ट पर अपनी रिपोर्ट जारी की है. CPCB ने जो रिपोर्ट जारी की है, उसमें बताया गया है-

  • भारत में वर्ष 2017 में 7 लाख टन E-waste पैदा हुआ था.
  • वर्ष 2018 में E-Waste बढ़कर 7 लाख 50 हजार टन हुआ.
  • फिर वर्ष 2019 में यह और ज्यादा बढ़कर 10 लाख टन हो गया.
  • वर्ष 2022 में भारत में 16 लाख टन E-waste पैदा हुआ था.

भारत में समस्या E-waste Management की है

E-waste सिर्फ भारत की समस्या नहीं है जो बढ़ती जा रही है, बल्कि पूरे विश्व में E-waste पैदा हो रहा है, लेकिन भारत में असली समस्या E-waste का पैदा होना नहीं बल्कि E-waste का Management ना होना है. भारत में E-waste का Management ना होना कितनी बड़ी समस्या है, इसे समझाने के लिए हम आपको एक सर्वे रिपोर्ट के नतीजे बताते हैं, ये सर्वे Indian Cellular And Electronic Association ने किया है, जिसमें बताया गया है कि

  • Smart Phones, Computer Laptop समेत करीब 20 करोड़ 60 लाख Electronic Items, लोगों के घरों में खराब पड़े हुए हैं.
  • Survey में शामिल 40 फीसदी लोगों ने माना है कि उनके पास मोबाइल और लैपटॉप सहित कम से कम चार ऐसे उपकरण हैं, जो कई वर्षों से खराब पड़े हैं.
  • Survey में ये भी बताया गया है कि भारत में लोग, बेकार पड़े मोबाइल फोन और लैपटॉप को Recycle करवाने में दिलचस्पी क्यों नहीं दिखाते. इसके मुख्य तौर पर तीन कारण हैं-
  • पहला- अच्छा Exchange Offer ना मिलना.
  • दूसरा- लोगों को डेटा लीक होने का डर लगता है.
  • तीसरा- लोगों को पता ही नहीं कि Electronic सामान की Recycling कितनी जरूरी है.

भारत में लोग अपने बेकार पड़े Electronic सामान को Recycle कराने के बजाय या तो फेंक देते हैं या फिर कबाड़ी को बेच देते हैं, जिसकी वजह से लगभग 80 प्रतिशत E-Waste गलत तरीके से Dispose किया जा रहा है, जिसके खतरे से Environment Expert भी आगाह कर रहे हैं.

नुकसान के बजाय हो सकता है फायदे का सौदा

  • E-Waste से भारत को जितना नुकसान होता है, अगर उसी E Waste को वैज्ञानिक तरीकों से Recycle कर लिया जाए तो भारत को उतना ही फायदा भी हो सकता है.
  • E-waste में कई मूल्यवान धातुएं जैसे कि Aluminium, Copper, सोना, चांदी होते हैं, जिन्हें Recycle करके निकाला जाता है.
  • Electronic उपकरणों खासकर, कंप्यूटर, मोबाइल और लैपटॉप को बनाने में जिन Rare Earth Metals और Minerals की जरूरत होती है, वो भारत में बहुत कम पाए जाते हैं.
  • E-waste को Recycle करके इन दुर्लभ खनिजों को हासिल करना, धरती से उन्हें निकालकर Process करने से ज्यादा आसान और सस्ता भी होता है.
  • भारत के Economic Survey 2019 की रिपोर्ट में बताया गया है कि E Waste से हर साल आठ हजार करोड़ रुपये का सोना निकाला जा सकता है.

इससे आप खुद अंदाजा लगा लीजिये कि E-waste में मौजूद दुर्लभ खनिजों की Recycling करना कितना जरूरी है, लेकिन ये तभी संभव है जब सरकार और लोग, E-waste Management के महत्व को समझे. सरकार ने E Waste से जुड़े जो नए नियम बनाए हैं, और Electronic सामान की जो Expire Date Fix कर दी है, वो इसी दिशा में उठाया गया एक Positive कदम है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.