DNA TV Show: दुनिया की मेहमाननवाजी में दिखेगी भारतीय ताकत, विश्व महाशक्ति बनने का माइलस्टोन होगी दिल्ली में जी20 बैठक

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 01, 2023, 07:22 PM IST

G20 Summit 2023: भारत पहली बार दुनिया के सबसे शक्तिशाली संगठन के महासम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. आर्थिक मंदी के इस दौर में भारत पर दुनिया की निगाहें हैं. किस तरह यह भारत को बिग पॉवर्स लीग में एंट्री देगा. इसी का डीएनए करती ये रिपोर्ट.

डीएनए हिंदी: Delhi G20 Summit 2023 latest News- देश की राजधानी दिल्ली में इस समय हर तरफ गहमागहमी का माहौल है. यह माहौल दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के संगठन जी20 के महासम्मेलन की तैयारियों को अंतिम रूप देने का है, जिसकी मेजबानी 9 और 10 सितंबर को करने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है. पहली बार भारत इस महासम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है. G-20 या Group of Twenty, ऐसे देशों का समूह है, जो दुनिया पर बड़ा आर्थिक प्रभाव डालते हैं. इस कारण यह दुनिया का सबसे शक्तिशाली संगठन भी माना जाता है. यह G-20 देशों का 18वां सम्मेलन है, जिसके chairman प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. साल 1999 में दुनिया के 7 शक्तिशाली देशों के Group of Seven या G-7 ने इस समूह का गठन किया था. यह आयोजन भारत के लिहाज से बेहद अहम है. पहली बार दुनिया की सारी मुख्य ताकतें भारतीय मेजबानी में एक टेबल पर जमा होंगी. साथ ही भारत की मेजबानी प्रतिभा की भी यह परीक्षा होगी. इसे भारत की बिग पॉवर्स लीग में एंट्री की सीढ़ी भी माना जा रहा है. इसके चलते सरकार तैयारी में कोई भी कसर नहीं छोड़ने जा रही है.

पहले जान लीजिए क्या है G20

GROUP OF TWENTY (G20) में अर्जेंटीना (Argentina), ऑस्ट्रेलिया (Australia), ब्राजील (Brazil), कनाडा (Canada), चीन (China), फ्रांस (France), जर्मनी (Germany), भारत (India), इंडोनेशिया (Indonesia), इटली (Italy), जापान (Japan), दक्षिण कोरिया (Republic of Korea), मेक्सिको (Mexico), रूस (Russia), सऊदी अरब (Saudi Arabia), साउथ अफ्रीका (South Africa), तुर्किए (Turkiye), ब्रिटेन (United Kingdom), अमेरिका (America) और यूरोपियन यूनियन (European Union) शामिल हैं. आप इन देशों के नाम देखकर ही समझ गए होंगे कि इन देशों का प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ता है. यही इस संगठन की शक्ति है. इन देशों के राष्ट्राध्यक्ष, सालाना सम्मेलनों में इकट्ठा होकर, अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करते हैं और समस्याओं का समाधान निकालने की कोशिश करते हैं. ये ऐसे देशों का भी संगठन है. जो दुनिया की आर्थिक महाशक्तियां हैं. ये ऐसे देशों का संगठन है, जिनकी दुनिया की कुल GDP में करीब 85 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. वैश्विक व्यापार में भी इन देशों का 75 प्रतिशत का योगदान है. आबादी के मामले में भी इन देशों में, दुनिया की 66 फीसदी आबादी रहती है. अब तक दुनिया में आए आर्थिक संकटों को दूर करने और उसका समाधान निकलाने के लिए यही देश आगे आते रहे हैं। 

भारत तीन बातों पर दे रहा है मेजबानी में ध्यान

ये हमारे लिए भी गर्व की बात है, कि दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्ष भारत में इस सम्मेलन में आने वाले हैं. इस आयोजन के साथ ही, भारत दुनिया में एक ऐसे देश के तौर पर उभरा है, जिसकी राय दुनिया के महत्वपूर्ण फैसलों में ली जाने लगी है. यही वजह है कि भारत G-20 के इस आयोजन में किसी भी तरह की कमी नहीं रखना चाहता है. भारत ने इस सम्मेलन के लिए तीन मुख्य बातों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है-

इस पूरे सम्मेलन में करीब 10 हजार विदेशी मेहमानों के आने का आंकलन है. इसके अलावा भी कई विदेशी मेहमान भारत आएंगे. इनमें राष्ट्राध्यक्ष तो होंगे ही, उनके अलावा, बड़े businessman, शिक्षाविद, वैज्ञानिक, कई तरह के एक्सपर्ट्स, और दुनियाभर के पत्रकार भी भारत आएंगे. इसी वजह से भारत आयोजन को भव्य और सुरक्षित बनाने में लगा है. 

आर्थिक मंदी के दौर में बेहद अहम आयोजन

भारत इस बैठक के आयोजन के साथ ही, एक soft power के तौर पर अपनी पहचान बनाने की तैयारी कर रहा है. आने वाले समय में पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर ही टिकी होंगी. पूरी दुनिया में इस वक्त आर्थिक मंदी की स्थिति नजर आ रही है. कोविड के बाद वैश्विक व्यापार पर भी बड़ा असर पड़ा है. रूस और यूक्रेन जैसे देशों में युद्ध चल रहा है, जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. देखा जाए तो दुनिया युद्ध के कगार पर पहुंच सकती है. महंगाई चरम पर है. विकसित देशों में भी महंगाई एक बड़ी परेशानी बनी हुई है, खाद्य असुरक्षा की स्थिति बनी हुई है. यही वजह है कि पूरी दुनिया इस मुश्किल वक्त में भारत की ओर देख रही है. भारत ने corona काल में vaccine को लेकर जो रोल निभाया है, उससे दुनियाभर के देश प्रभावित हुए हैं.

तीन वजहें, जो बनाएंगी भारत को दुनिया की धुरी

मंदी के दौर में भी मजबूत अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ने की बात दुनिया को भारत की तरफ आकर्षित कर रही है. सभी देश, भारत पर उम्मीदें टिकाए हुए हैं. हम आपको तीन ऐसी वजह बताते हैं, जिसकी वजह से भारत, दुनिया के पहिए की धुरी बनता दिख रहा है-

1. यूक्रेन-रूस युद्ध में भारत का रोल

दरअसल भारत के रूस के साथ दोस्ताना संबंध हैं. यूक्रेन और उसके समर्थक पश्चिमी देशों के साथ भी भारत के संबंध अच्छे हैं. इस युद्ध के समाधान को लेकर पूरी दुनिया, भारत से पहल करने गुजारिश करती रही है. सभी को मालूम है, कि इस युद्ध को अगर कोई देश रोक सकता है, या दोनों देशों में संधि करवा सकता है, तो वो केवल भारत है. भारत ने अभी तक इस युद्ध को लेकर न्यूट्रल रुख अपनाया हुआ है. हालांकि कई वैश्विक मंचों पर भारत ने युद्ध रोककर, शांतिपूर्ण हल निकालने की बात कही है. इस जी-20 सम्मेलन में भी यूक्रेन युद्ध पर चर्चा होनी है, लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे हैं.

2. कोविड महामारी का समय

कोविड महामारी के दौरान भारत की वसुधैव कुटुंबकम वाली संस्कृति देखकर, दुनिया को अहसास हो गया कि भारत विश्व पटल पर एक मददगार देश है. भारत ने महामारी काल में कोविड वैक्सीन पूरी दुनिया में सप्लाई की. गरीब देशों को भारत ने मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध करवाई थी. कोविड काल में भारत ने दुनिया के 101 देशों को 23 करोड़ 90 लाख वैक्सीन डोज दी थी.

3. दुनिया का मददगार बना भारत

दुनिया में बढ़ रही खाद्य असुरक्षा को लेकर भारत की पहल को दुनिया ने सराहा था. रूस और यूक्रेन, पूरी दुनिया में अनाज के बड़े सप्लायर हैं, लेकिन इन देशों के बीच चल रहे युद्ध की वजह से, कई देशों में खाद्य असुरक्षा की स्थिति बनी हुई है. पिछले वर्ष रूस और यूक्रेन के बीच एक संधि हो गई थी, जिसके बाद अनाज की सप्लाई शुरू कर दी गई थी. भारत की पहल से ही,ये संधि हुई थी. हालांकि इस साल रूस ने इस संधि को खत्म कर दिया है, जिससे दुनिया पर खाद्य संकट पैदा हो गया है. इसी वजह से पूरी दुनिया, वैश्विक मामलों में भारत की अहमियत समझ रही है. उन्हें ये लगता है कि भारत इस खाद्य संकट खत्म कर सकता है.

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