DNA TV Show: बारिश में आपदा से जूझ रहे पहाड़, प्रकृति का कहर या इंसान खुद जिम्मेदार, जानें सबकुछ

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 16, 2023, 11:52 PM IST

DNA TV Show 

Himachal Landslides: आपदा दो तरह की होती है. पहली प्राकृतिक आपदा, जिस पर मानव का वश नहीं चलता. दूसरी होती है मानव निर्मित आपदा, जिसके जिम्मेदार हम खुद होते हैं. पहाड़ों में जिस तरह मानसून में बर्बादी फैली है, आज DNA में हम उस पर बात करेंगे.

डीएनए हिंदी: Himachal Floods Latest News- हिमाचल प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक, इस समय हर तरफ आपदा ही आपदा दिख रही है. इसे आप लोग प्राकृतिक आपदा कह सकते हैं, लेकिन ये प्राकृतिक आपदा भी मानव निर्मित है यानी इतने भारी-भरकम नुकसान के लिए हिमाचल प्रदेश का सरकारी सिस्टम और लोग भी जिम्मेदार हैं. आज DNA में हम सबूतों के साथ ये बात साबित कर देंगे. सबसे पहले हम आपको दिखाते हैं कि हिमाचल प्रदेश में जो आपदा आई है, वो कितनी भयानक है. शिमला के एक रिहायशी इलाके में हुए Land slide का एक वीडियो सामने आया है, जिसे देखकर आपका कलेजा कांप जाएगा. ये वीडियो हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के कृष्णानगर इलाके का है. जहां मंगलवार शाम करीब चार बजे डरावना Land Slide हुआ, जिसके बाद एक साथ कई इमारतें, ताश के पत्तों की तरह ढह गईं. इस Land Slide में 12 लोगों की मौत हो गई है. जिस वक्त Land Slide हुआ, उस वक्त खिलौनों की तरह ढहते मकानों को देखकर लोगों की चीखें निकल गईं.

ये वीडियो देखकर आपको अंदाजा हुआ होगा कि हिमाचल प्रदेश में बारिश और Land Slide की घटनाओं से हालात कितने भयानक हो चुके हैं, लेकिन हिमाचल में तबाही का ये इकलौता वीडियो नहीं है. ऐसे तमाम वीडियो सामने आए हैं. एक और वीडियो आपको दिखाते हैं. ये वीडियो भी शिमला का है. सोमवार को नगर निगम का Slaughter House भू-स्खलन के बाद तबाह हो गया. वीडियो में आप देख सकते हैं कि पहले Slaugter House के पीछे एक बड़ा पेड़ गिरा और इसके बाद Slaughter House समेत चार-पांच मकानों को लेकर पहाड़ ही टूट गया.

कालका-शिमला रेलवे ट्रैक भी हवा में लटक गया

हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा ने इस बार कितना कहर बरपाया है, ये भी उसकी एक तस्वीर है. अंग्रेजों के जमाने का कालका-शिमला रेलवे ट्रैक, जो तमाम प्राकृतिक आपदाओं के बाद अपनी जगह से कभी टस से मस नहीं हुआ, वो भी इस बार टूट गया. शिमला के समरहिल के पास रेल की पटरियों के नीचे की जमीन खिसक गई और रेलवे ट्रैक हवा में लटक गया. गनीमत ये रहा कि ट्रैक पर रेल की आवाजाही बंद थी, नहीं तो हादसा बहुत बड़ा हो सकता था. हिमाचल प्रदेश में Land Slide और इमारतों के ढहने की ऐसी ही तस्वीरें, चार दिनों से सामने आ रही हैं.

एक नजर हिमाचल में आपदा से नुकसान पर

एक साल लगेगा हिमाचल को उबरने में

तस्वीरें बयान कर रही हैं कि सिर्फ चार दिन में हिमाचल प्रदेश में कितनी तबाही मची है और कितना नुकसान हुआ है. हिमाचल प्रदेश के हालात का helicopter से जायज़ा लेने वाले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु खुद मान रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश के बुनियादी ढांचे को जो नुकसान पिछले चार दिनों में पहुंचा है, उसे दोबारा खड़ा करने में कम से कम एक साल लगेगा. 

क्यों हुआ इस बार इतना नुकसान?

पहाड़ी राज्य हिमाचल में ऐसी प्राकृतिक आपदाएं तो हमेशा से आती रही हैं, तो आखिर इस बार ऐसा क्या हो गया कि इतना ज्यादा नुकसान हो गया. आखिर इस नुकसान का जिम्मेदार कौन है? ध्यान देने वाली बात ये है कि सबसे ज्यादा नुकसान राजधानी शिमला में हुआ है, लेकिन क्यों? इस सवाल का जवाब बेहद चिंता में डाल देने वाला है. ये जवाब निम्न 4 पॉइंट्स से समझते हैं-

  1. दरअसल Records के मुताबिक, अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही शिमला में वर्ष 1904 तक सिर्फ 1400 घर थे, लेकिन वर्ष 2011 की जनगणना के हिसाब से शिमला में 46,306 घर आंके गए थे. जाहिर है, अब संख्या और ज्यादा बढ़ चुकी होगी.
  2. 1900 के दशक में शिमला की आबादी महज 30 हजार हुआ करती थी और आज शिमला की आबादी ढाई लाख से ज्यादा हो चुकी है.
  3. बढ़ती हुई आबादी और इमारतों के निर्माण ने शिमला को इतना बदल दिया है कि 1900 में शिमला के पहाड़ पेड़ों से लदे दिखते थे, जबकि आज का शिमला पहाड़ों पर पेड़ों के बजाय इमारतों ही इमारतों वाला दिखता है यानी पेड़ और जंगल से घिरा रहा शिमला, अब Concrete के जंगल में तब्दील हो चुका है. 
  4. आज शिमला में जो आफत आई हुई है, वो इसी का नतीजा है कि वहां अंधाधुंध पेड़ काटे गए और विकास के नाम पर विनाश का काम किया गया. हरी-भरी शिमला की जगह, सीमेंट से बनी इमारतों ने ले ली. इस बात को नजरअंदाज कर दिया गया कि शिमला में इतना ज्यादा निर्माण कर देना कितना खतरनाक है.

ये बातें जानकर हैरान रह जाएंगे आप

ऐसे हुआ शिमला का 'सरकारी विनाश'

NGT ने की थी शिमला का विनाश रोकने की कोशिश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने नवंबर 2017 में एक ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसके तहत शिमला में सभी तरह के रिहायशी-व्यवसायिक इमारतों के निर्माण पर बैन लगा दिया गया. NGT ने शिमला के Core, Green और Forest Area में निर्माण पर पूर्ण पाबंदी लगाने के आदेश दिए थे. हालांकि NGT ने शिमला के बाकी क्षेत्रों में निर्माण की अनुमति दी, लेकिन वहां भी ज्यादा से ज्यादा दो-मंजिला इमारतों का ही निर्माण हो सकता था. NGT के इस आदेश से पहले ही शिमला में जो नुकसान होना था, वो हो चुका था. जो शिमला सिर्फ 25 हजार लोगों की आबादी के लिए बसाई गई थी, उस शहर की आबादी अब ढाई लाख से ज्यादा है और Peak Season में रोजाना 70 हजार लोग, शिमला में मौजूद होते हैं. अब ये बोझ शिमला के पहाड़ उठा नहीं पा रहे हैं. 

क्या जोशीमठ की राह पर चल पड़ा है शिमला?

एक अनुमान के मुताबिक, शिमला में करीब दस हजार इमारतें हैं, जो अवैध तरीके से बनाई गईं हैं. सवाल है कि आखिर ये इमारतें कैसे बन गईं? क्या सरकार को ये सब दिखाई नहीं दिया या सरकार ने सबकुछ देखकर भी अनदेखा कर दिया. ये विवाद का विषय हो सकता है, लेकिन इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं हो सकता कि आज शिमला में जो तबाही मची हुई है, उसकी सबसे बड़ी वजह शिमला में आबादी और इमारतों का बोझ पहाड़ों के लिए सहन कर पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन होना ही है. आपको पता ही होगा, उत्तराखंड के जोशीमठ की हालत. जोशीमठ बढ़ती आबादी और निर्माण कार्यों की वजह से क्या हो गया है. अब शिमला भी जोशीमठ की राह पर चल पड़ा है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

DNA TV Show Himachal Floods Himachal Pradesh Floods Himachal landslides Shimla Landslide himachal pradesh landslide Himachal Rains Shimla Rains shimla disaster shimla latest news