DNA TV Show: आतंकवाद पर 'दोगले' हैं पश्चिमी देश, कनाडा विवाद में अमेरिकी बयान ने खोल दी है पोल
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India Canada Row: भारत और कनाडा इस समय आमने-सामने हैं. मुद्दा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का है, जिसे कनाडा अपना नागरिक बता रहा है और भारत के लिए वह खालिस्तानी आतंकी लिस्ट का हिस्सा है. इस विवाद में आए अमेरिका के बयान का डीएनए पेश कर रही है ये रिपोर्ट.
डीएनए हिंदी: World News in Hindi- भारत और कनाडा के बीच चल रही तकरार के बीच दूसरे देशों के भी बयान सामने आ रहे हैं. इसके साथ ही पश्चिमी देशों का दोगला रवैया भी सामने आ रहा है. यह भी स्पष्ट हो रहा है कि किस आतंकवाद के मुद्दे पर पश्चिमी देश दोहरे मापदंड अपनाते हैं. हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को कनाडा अपने नागरिक की हत्या मान रहा है. उसे अपनी संप्रभुता से जोड़ रहा है. अमेरिका ने भी इस मुद्दे पर अपने लंबे समय के पिछलग्गू कनाडा के सुर में सुर मिलाए हैं. इस तथ्य को हर कोई भूल रहा है कि हरदीप सिंह निज्जर भारत की तरफ से चिह्नित खालिस्तानी आतंकियों की लिस्ट में था. खालिस्तान टास्क फोर्स जैसे भारत विरोधी अलगाववादी संगठन का वह चीफ था. भारत पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाने वाले कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने इस मामले में पश्चिमी देशों से समर्थन मांगा है और इसके तत्काल बाद अमेरिका की तरफ से जो बयान आया है, वो आतंकवाद के मामले में उसका स्पष्ट दोमुंहा चेहरा दिखाता है.
एक खालिस्तानी आतंकी की हत्या को कनाडा ने अपने देश की संप्रभुता पर हमला बताया, तो अमेरिका उसके समर्थन में आकर खड़ा हो गया. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने निज्जर पर हुए हमले को बेहद चिंताजनक बताया. उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका चाहता है कि खालिस्तानी आतंकी निज्जर के हत्यारों को सज़ा दिलाई जानी चाहिए. अमेरिकी NSA ने ये भी कहा कि इस तरह के मामलों में भारत को किसी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी. इस बयान को अमेरिका का कनाडा को मिले समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है.
क्या अमेरिका भी खालिस्तानी विचारधारा पर कनाडा के साथ?
आतंकी निज्जर की हत्या के मामले में अमेरिका का स्टैंड बिल्कुल साफ है, वो मानता है कि कनाडा में उसके ही नागरिक की हत्या हुई है, इसलिए कनाडा को जांच का अधिकार है. यही नहीं, वो मानता है कि निज्जर की हत्या के दोषियों को सज़ा दी जानी चाहिए. जैक सुलिवन ने अपने बयान में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को अलगाववादी बताया है, जिससे ये भी साफ हो रहा है कि खालिस्तानी विचारधारा को लेकर वो कहीं ना कहीं, कनाडा की सोच से इत्तेफाक रखता है.
दूसरे देशों पर हमला करने वाला अमेरिका भारत को दे रहा भाषण
अमेरिका एक ऐसा देश है, जो सुरक्षा के नाम पर दुनिया के कई देशों पर हमले कर चुका है. लादेन के मारने के लिए उसने पाकिस्तान में खुफिया ऑपरेशन तक चलाया. खुलेआम उसने अपने WANTED आतंकी को मारने के लिए एक देश में घुसपैठ भी की और हमला भी किया. ये वही अमेरिका है, जिसने केमिकल हथियारों का संदेह होने पर इराक जैसे देश को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया, लेकिन इसी अमेरिका के लिए दूसरे देशों से जुड़े आतंकवाद की अलग परिभाषा है.
हम आपको अमेरिका की दोहरे चरित्र के कुछ उदाहरण देते हैं
- अमेरिका को लगता था कि अफगानिस्तान में तालिबान होने का मतलब है अमेरिका पर हमले की साजिशें. इसी वजह से उसने अफगानिस्तान में सेना उतार दी, कई सालों तक युद्ध चला.
- इसी तरह अमेरिका को संदेह था कि इराक में केमिकल बम हैं, जो अमेरिका के लिए खतरा है. इसको लेकर उसने इराक पर हमला कर दिया.
- शीतयुद्ध के दौरान अमेरिका मानता रहा कि वामपंथी विचारधारा, उनके अस्तित्व के लिए खतरा है. इसी वजह से कई वामपंथी शासन वाले देशों पर भी हमला किया था. इसमें वर्ष 1950 के दशक में कोरिया युद्ध और 1960 के दशक में वियतनाम युद्ध शामिल हैं ।
- इसी तरह 1973 में जब लैटिन अमेरिकी देश चिली में समाजवादी उम्मीदवार सेल्वाडोर एल्लेन्डे राष्ट्रपति चुनाव जीत गए थे, तो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने CIA को चिली के खिलाफ आर्थिक युद्ध छेड़ने का निर्देश दिया था.
- इसके कुछ समय बाद ही चिली की सेना ने तख्तापलट कर दिया था. ये तख्तापलट भी, अमेरिका के इशारे पर हुआ था.
- समाजवादी क्यूबा में भी अमेरिका ने कई बार तख्तापलट की कोशिश की थी.
- वर्ष 1951 में मोहम्मद मोसादेग, ईरान के प्रधानमंत्री बने थे. दो वर्ष बाद उन्होंने ईरान की तेल इंडस्ट्री का राष्ट्रीयकरण कर दिया था, जिसके बाद CIA ने उन्हें सत्ता से हटाने की योजना बना शुरू कर दी थी.
- CIA की तरफ से जारी किए गए कुछ गुप्त दस्तावेजों में उसने माना है, कि उन्होंने ईरान की लोकतांत्रिक सत्ता को गिराने में वहां की राजशाही की मदद की थी.
अब आप सोचिए कि अमेरिका, विश्व के कई देशों पर इसलिए हमला कर देता है, क्योंकि उसे संदेह रहता है कि वो उनके लिए खतरा बन सकते हैं. लेकिन यही अमेरिका, कनाडा में एक खालिस्तानी आतंकी की हत्या को लेकर कनाडा का समर्थन कर रहा है, जबकि वो भी जानता है कि खालिस्तानी आतंकवाद, भारत के लिए एक खतरा है. खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने से जुड़े कोई सबूत नहीं है, बावजूद इसके कनाडा और अमेरिका भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. वो मानते हैं कि निज्जर की हत्या, कनाडा की संप्रमुभता पर हमला है, तो हम ये सवाल अमेरिका और कनाडा जैसे देशों से पूछना चाहते हैं कि-
- क्या अफगानिस्तान पर हमला उसकी संप्रमुभता पर हमला नहीं था?
- क्या पाकिस्तान सरकार को बताए बिना, उनके देश में घुसकर लादेन को मारना, संप्रभुता पर हमला नहीं था?
- क्या इराक में केमिकल बम होने के शक के आधार पर हमला कर देना, संप्रभुता पर हमला नहीं था?
- क्या समाजवादी विचारधारा पर चलने वाले देशों पर हमला या उनके खिलाफ साजिश करना, उनकी संप्रभुता पर हमला नहीं है?
तो इससे पता चलता है कि अमेरिका दुनिया भर में अपने खिलाफ खड़े होने वाले लोगों को कुचलने में, दुनिया के किसी भी देश का कानून नहीं मानता है. यही नहीं वो अपने फायदे के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देशों में अस्थिरता पैदा करने से भी पीछे नहीं हटता है. ईरान इसका सबसे बड़ा उदाहरण था.
निज्जर ही नहीं पन्नूं के मामले में भी अमेरिका का दोहरा चरित्र
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर पर भारत में हत्याएं करवाने के लिए सुपारी लेने का आरोप था. यही नहीं उसके खिलाफ कई FIR दर्ज हैं. बावजूद इसके कनाडा और अमेरिका, निज्जर की हत्या के मामले में भारत को दोषी ठहराने के लिए Action Mode में नजर आ रहे हैं. हालांकि हत्या में भारत के शामिल होने से जुड़े कोई सबूत फिलहाल उनके पास नहीं है.
खालिस्तानी विचारधारा को लेकर अमेरिका का दोहरा चरित्र गुरपतवंत सिंह पन्नू के मामले में भी छलक जाता है. खालिस्तानी आतंकी संगठन Sikh for Justice का आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू अमेरिका में रहता है. वो खुलेआम भारत पर हमले करने, भारतीय दूतावासों पर हमला करने, और भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकी देता आ रहा है. उसके कई वीडियोज़ भी सामने आते हैं, लेकिन आज तक भारत के खिलाफ साजिश रच रहे आतंकी पन्नू पर अमेरिका ने कोई कार्रवाई नहीं की. क्या ऐसा कोई आतंकी, भारत में रहकर, अमेरिका के खिलाफ ऐसी साजिशें करता, तो अमेरिका चुप रहता?
ट्रूडो तो अपने ही देश में नहीं दे पा रहे स्पष्टीकरण
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का विरोध उनके अपने ही देश में हो रहा है. कनाडा की मीडिया, लगातार भारत पर लगाए गए आरोपों से जुड़े सबूत मांग रही हैं. यही नहीं कनाडा की संसद में भी विपक्षी Conservative Party भी उनसे इन आरोपों से जुड़े सबूत मांग रही है. लेकिन निज्जर की हत्या से जुड़े सबूत ना तो जांच एजेंसियों के पास हैं, ना ही जस्टिन ट्रूडो के पास हैं.
इसके बावजूद कनाडा और अमेरिका बिना सबूतों के ही, इस हत्या के मामले में भारत को दोषी बताने पर तुले हुए हैं. जब पहली बार कनाडा की संसद में जस्टिन ट्रूडो ने आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को कनाडा का नागरिक बताकर, उसकी हत्या के लिए भारत पर आरोप लगाया था. तब इस मामले में भारत ने पलटवार किया, तो कनाडा के तेवर कुछ ठंडे पड़ गए थे. जस्टिन ट्रूडो ने बाद में कहा था कि उन्होंने जो आरोप लगाए हैं, वो भारत सरकार को भड़काने के लिए नहीं लगाए हैं, बल्कि वो जांच की मांग कर रहे हैं, लेकिन कल जस्टिन ट्रूडो के तेवर कुछ बदले बदले दिखे हैं. जस्टिन ट्रूडो ने एक बार फिर आरोप लगाया है कि निज्जर की हत्या के पीछे भारत के एजेंट्स के शामिल होने को लेकर, उनके पास पुख्ता वजह हैं. वो एक बार फिर से कह रहे हैं कनाडा के एक नागरिक की हत्या कनाडा की धरती पर हुई है. ऐसे में वो चाहते हैं कि भारत इस मामले में मदद करे.
कनाडा के इस रुख के पीछे पाकिस्तान की साजिश
भारतीय खुफिया एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तान की साजिश की वजह से ही, Canada खालिस्तान का समर्थन कर रहा है और भारत का विरोध कर रहा है. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, कश्मीर की शांति पाकिस्तान को परेशान कर रही है. वो पिछले कुछ वर्षों में, भारत में बड़े आतंकी हमले करवाने में नाकाम रहा है. इसीलिए वो अब खालिस्तानी आतंकियों को बढ़ावा देकर, खालिस्तान समर्थकों की मदद से, भारत को कमजोर करने की साजिश कर रहा है.
भारत, पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हुआ है. कई देशों के साथ भारत, खुफिया जानकारियां भी साझा कर रहा है. खुफिया जानकारियों के लेनदेन की वजह से, भारत ने कई आंतकी हमलों को नाकाम किया है. यही वजह है कि पाकिस्तान, भारत के खुफिया नेटवर्क को तोड़ने के लिए बड़ी साजिश में शामिल है.
- पाकिस्तान और चीन मिलकर QUAD (क्वॉड) में दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं.
- QUAD एक ऐसा संगठन है जिसमें भारत, America, Australia और Japan शामिल हैं.
- ये देश कई तरह से एक दूसरे की मदद करते हैं, इसमें खुफिया जानकारी साझा करना, प्रमुख है.
- QUAD में शामिल America और Australia एक ऐसे संगठन में भी हैं, जिसे FIVE EYES कहा जाता है.
- FIVE EYES संगठन में America, Australia ,Canada ,New Zealand और UK शामिल हैं.
- FIVE EYES संगठन में शामिल देश भी एक-दूसरे से खुफिया जानकारी साझा करते हैं.
कनाडा के CBC न्यूज चैनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी निज्जर के मामले में FIVE EYES ने ही Canada को खुफिया जानकारी दी थी। इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि FIVE EYES में शामिल देशों से बात करने के बाद ही, Canada ने G-20 समिट में PM मोदी के सामने निज्जर का मामला उठाया था.
पाकिस्तान चाहता हैं कि FIVE EYES में शामिल America और Australia के साथ भारत के रिश्ते खराब हो जाएं, क्योंकि QUAD के जरिए, भारत, America और Australia की दोस्ती मजबूत हुई है. America और Australia के साथ रिश्ते खराब होने पर खुफिया जानकारियों का आदान प्रदान बंद हो सकता है, जिसका फायदा पाकिस्तान उठाना चाहता है. यही वजह है कि उसने कनाडा में खालिस्तानी विचारधारा को उकसाया. यही नहीं उसने Canada सरकार की मदद से, भारत पर झूठे आरोप भी लगवाए, जिसके बाद Canada के सहयोगी America और Australia, भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
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