DNA TV Show: ईरान-पाकिस्तान का झगड़ा, फिर अमेरिका क्यों बन रहा है चौधरी?
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Iran Pakistan Conflict: ईरान और पाकिस्तान आपस में भिड़े हुए हैं. इस बीच में अमेरिका ने बयानबाजी शुरू कर दी है. यह पहली बार नहीं है, जब अमेरिका ऐसे दो देशों के बीच चौधरी बनकर खड़ा हुआ है. पेश है इस पर आज की डीएनए रिपोर्ट.
डीएनए हिंदी: Iran Pakistan Row Latest News- दुनिया के किसी भी कोने में जंग के हालात बनते ही, अमेरिका चौधरी बनकर वहां पहुंच जाता है. रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध हो या फिर इजरायल-हमास के बीच जंग. अमेरिका दुनिया का चौधरी बनकर खड़ा हो जाता है. इन दिनों ईरान और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, तो एक बार फिर अमेरिका ने बयानबाजी की है. 16 जनवरी की रात ईरान ने पाकिस्तान में घुसकर Airstrike की थी, ईरान का दावा था कि Airstrike पाकिस्तान के बलोचिस्तान में आतंकी संगठन जैश अल अदल के ठिकानों पर की गई.इसके जवाब में पाकिस्तान ने ईरान पर मिसाइल हमला किया. और कई आतंकियों को मार गिराने की बात कही. दोनों तरफ से किए गए हमलों के बाद तनाव बढ़ गया है.
झगड़ा ईरान-पाकिस्तान का, जवाब दे रहा अमेरिका
ईरान-पाकिस्तान के बीच हुए वार-पलटवार को लेकर गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति Joe Biden से पत्रकारों ने सवाल किया, जवाब में Biden ने पाकिस्तान में ईरान के हमले की आलोचना की और कहा कि दोनों देशों के बीच टकराव इस बात का सबूत है, कि क्षेत्र में अब ईरान को पसंद नहीं किया जाता है यानी ईरान की आलोचना करके एक तरह से Biden ने पाकिस्तान को पीड़ित बताने की कोशिश की. इससे पहले White House के प्रवक्ता ने भी पाकिस्तान पर ईरान के हमले को क्षेत्र में माहौल खराब करने वाला बताया था, जबकि ईरान ने अपने बयान में साफ किया था, कि उसकी सेना ने Airstrike बलोचिस्तान में आतंकी संगठन जैश अल अदल के आतंकियों को निशाना बनाकर की थी, जिसमें आतंकियों को ही नुकसान पहुंचाया गया. हमले में किसी पाकिस्तानी नागरिक को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा. जवाबी कार्रवाई को लेकर भी पाकिस्तान का यही दावा था, कि उसने आतंकियों को ही निशाना बनाकर Targeted मिसाइल हमले किए.
अमेरिका का आतंकवाद पर रहा है Double Stand
अमेरिका को आतंकियों पर किया गया ईरान का हमला गलत और पाकिस्तान का हमला सही लगता है, जबकि ये वही अमेरिका है जिसने अब तक ना जाने कितनी ही बार आतंकवाद के नाम पर दूसरे देशों में घुसकर सैन्य कार्रवाई की है.
- वर्ष 2003 में अमेरिका ने इराक में घुसकर सैन्य कार्रवाई की.
- वजह ये बताई गई कि इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन जैविक हथियारों को जुटा रहे हैं.
- इराक में जैविक हथियारों से जुड़ा आज तक कोई सबूत नहीं मिला है.
- अफगानिस्तान में तालिबान के खात्मे के नाम पर यूएस 2 दशक तक अफगानिस्तान में पैर जमाए रहा.
- 2011 में अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसकर सैन्य कार्रवाई की और अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था.
- पिछले एक दशक में आतंकियों को निशाना बनाकर पाकिस्तान में सैकड़ों बार Drone से अमेरिका ने हमले किए हैं.
- 2019 में अमेरिका ने इराक में ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को मिसाइल हमले में मार गिराया था.
- 2014 से 2017 के बीच ISIS आतंकियों का ख़ात्मा करने के नाम पर अमेरिका ने इराक को मलबे का ढेर बना दिया.
- अमेरिका पिछले 10 वर्षों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, यमन, सीरिया, लीबिया, इराक और सोमालिया में Drone Strike कर चुका है.
अपनी आंतकी कार्रवाई पर अमेरिका देता रहा है दलील
इस तरह की सैन्य कार्रवाई पर अमेरिका की दलील यही रही, कि आतंकवाद और आतंकियों को ख़त्म करना उसकी प्राथमिकता में है. अमेरिका भी जानता है कि पाकिस्तान में एक नहीं आधा दर्जन से ज्यादा आतंकी संगठन संचालित हो रहे हैं, जिसकी जानकारी पाकिस्तान की सरकार को भी है. बावजूद इसके पाकिस्तान ने इन आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने में कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. पाकिस्तान में पलने वाले आतंकियों से जिस तरह भारत प्रभावित है, उसी तरह ईरान भी नुकसान झेल रहा है. जब पाकिस्तान ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं कि तब ईरान ने आतंकियों को निशाना बनाकर हमला किया, ईरान के हमले को अमेरिका जायज नहीं मानता. सवाल है कि अमेरिका आतंकवाद को लेकर Double Stand क्यों अपनाता है.
पाकिस्तान तो दर्द भी नहीं जता सकता
पाकिस्तान जिन आतंकियों को अपने यहां पनाह देकर, हथियार की तरह इस्तेमाल करता है. अब उन्हीं आतंकियों की वजह से कभी ईरान तो कभी भारत, पाकिस्तान को घर में घुसकर मार रहा है. ईरान, पड़ोसी देश पाकिस्तान पर Airstrike करने को मजबूर हुआ तो इसकी वजह भी आतंकवाद ही हैं. पाकिस्तान ने मीडिया से उस जगह को छिपा लिया जहां ईरान ने Airstrike की थी. जाहिर है, ऐसी नौबत इसलिए आई होगी कि पाकिस्तान आतंकियों से जुड़े सबूत दुनिया के सामने आने से बचाना चाहता है. पाकिस्तान की हालत ऐसी है कि मार खाने के बाद अपना दर्द तक बयां नहीं कर सकता.
घर में मार खाने का दर्द पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो ने बयान कर दिया. पाकिस्तान-ईरान के बीच हुई सैन्य कार्रवाई को लेकर गुरुवार को बिलावल भुट्टो ने पाकिस्तान के Dawn News को इंटरव्यू दिया था. इसी इंटरव्यू में जब Anchor ने ईरान के हमले को लेकर बिलावल भुट्टो से सवाल किया. तब बिलावल भुट्टो का कहना था कि पाकिस्तान में घुसकर हमला करना या Airstrike करना इन दिनों Trend बन गया है.
हर कोई पाकिस्तान पर ही क्यों कर रहा स्ट्राइक?
दरअसल, पाकिस्तान में पिछले 2 दशक में ऐसा कई बार हुआ है जब Target करके हमले किए गए. कभी अमेरिका, कभी भारत तो इस बार ईरान ने सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया. क्योंकि, पाकिस्तान अपने यहां आतंकियों को पनाह देता रहा है और ईरान ने बार-बार उससे कहा कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल उसके खिलाफ न होने दे. लेकिन जब पाकिस्तान ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया तब हारकर ईरान को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर Airstrike करनी पड़ी.
पाकिस्तान को अगर शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है, तो इसकी वजह आतंकवाद है और वो आतंकवादी जिन्हें पाकिस्तान अपना सगा समझता है. फिर चाहे इस देश में सरकार किसी भी पार्टी की रहे, वो आतंकियों को Support करना बंद नहीं करती, जबकि कड़वा सच यही है कि जिन आतंकियों को पाकिस्तान ने पाला-पोसा वही उसके लिए नासूर बन रहे हैं.
- अगस्त 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना ने वापसी की थी, जिसके बाद अफगानिस्तान में तालिबान शासन की वापसी हुई.
- पाकिस्तान ने अफगान तालिबान का खुलकर समर्थन किया, तब पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार थी.
- अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद पाकिस्तान में TTP ने सिर उठाना शुरू कर दिया.
- तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने वर्ष 2021 में ही पाकिस्तान में 282 आतंकी हमले किए, जिसमें 500 सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई.
- वर्ष 2023 में अलग अलग आतंकी संगठनों के हमलों में पाकिस्तान में 1 हज़ार से ज्यादा लोगों की मौत हुई.
ईरान ने भी परेशान होकर किया हमला
ईरान के लिए भी पाकिस्तान में पलने वाले आतंकी सिरदर्द बने हुए हैं. पिछले वर्ष दिसंबर में आतंकियों ने ईरान के रास्क क्षेत्र में हमला किया था, जिसमें ईरान के 11 जवान शहीद हो गए थे.जबकि कई ईरानी सैनिक घायल हुए थे. इस हमले की जिम्मेदारी जैश अल अदल नाम के आतंकी संगठन ने ली थी, ये वही आतंकी संगठन है जिसके ठिकानों पर ईरान ने Airstrike की. देश के अंदर आतंकियों पर लगाम कसने के बजाये, अब पाकिस्तान खुद पर हुए हमलों को लेकर दूसरे देशों पर दोष मढ़ रहा है. अगर पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों को अपने यहां पनपने ही नहीं दिया होता, तो आज हालात ऐसे नहीं होते.
मिडिल ईस्ट के देशों का संघर्ष पाकिस्तान तक पहुंचा
Middle East में आधा दर्जन देशों के बीच जारी संघर्ष अब पाकिस्तान तक पहुंच गया है, और इन सबके केंद्र में ईरान है. ईरान के साथ तनाव को देखते हुए पाकिस्तान ने बड़ा कदम उठाया है, शुक्रवार को खबर आई कि Pakistan Civil Aviation Authority ने पाकिस्तान Airlines को ईरान का Air space इस्तेमाल ना करने के निर्देश दिए. ईरान में मिसाइल हमला करने के बाद पाकिस्तान को डर है कि मामले आगे बढ़ सकता है.
पाकिस्तान को आशंका है कि कहीं उसके विमानों को ईरान निशाना ना बना ले, इसलिए एहतियात के तौर पर ईरान का एयरस्पेस इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी. लेकिन ईरान-पाकिस्तान के बीच शुरू हुए संघर्ष से मिडिल ईस्ट में जारी संघर्ष का दायरा बढ़ गया है. सही मायनों में इस संघर्ष को रफ्तार इजरायल-हमास युद्ध के बाद मिली है. इजरायल-हमास के बीच युद्ध 7 अक्टूबर से शुरू हुआ. तब इजरायल ने ना सिर्फ गाजा में हमास को टारगेट करके हमले शुरू किये, बल्कि लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में हूती विद्रोहियों को भी निशाना बनाया.
- गाजा में हमास, यमन में हूती और लेबनान में हिजबुल्ला ईरान समर्थित Group हैं.
- ईरान ने हमास, हूती विद्रोही और हिजबुल्लाह को पर्दे के पीछे से समर्थन दिया.
- अब एक हफ्ते के अंदर ईरान ने इराक, सीरिया और पाकिस्तान में हमले किए.
ईरान की स्थिति भी चिंताजनक
इस समय मिडिल ईस्ट की स्थिति काफी विस्फोटक है. जहां ईरान के दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा हो गए हैं. बीते एक हफ्ते में तीन देशों में Targeted हमले करके ईरान मिडिल ईस्ट में जारी संघर्ष को हवा दे रहा.
- इजरायल और हिजबुल्लाह एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं.
- गाजा में इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध को 100 से ज्यादा दिन गुजर चुके हैं.
- 100 दिन के बाद भी हमास पर इजरायल के हमले जारी हैं.
- यमन में इजरायल ने हूती विद्रोहियों को निशाना बनाकर पलटवार किया.
- साथ ही अमेरिका और ब्रिटेन ने भी यमन में हूती पर हमले किये.
- लाल सागर में हूती विद्रोही व्यापारिक जहाजों पर हमले कर रहे हैं.
- लाल सागर में भी अमेरिका और इजरायल हूती विद्रोहियों पर हमला कर रहे हैं.
क्या दबाव कम करने के लिए किए ईरान ने हमले?
इसी वर्ष 3 जनवरी को ईरान की कुद्दुस फोर्स के पूर्व जनरल कासिम सुलेमानी की चौथी बरसी पर दो बम धमाके हुए थे. इस हमले में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. ईरान ने आधिकारिक तौर पर इस हमले के लिए इजरायल की खुफिया एजेंसी Mossad को जिम्मेदार ठहराया था. एक तरफ पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों के हमले जबकि दूसरी तरफ हमास, हूती और हिजबुल्लाह पर Targeted हमले होने के बाद भी ईरान कुछ खास नहीं कर पा रहा था. उस पर जवाबी कार्रवाई का काफी दबाव था. इसलिए ईरान की तरफ से एक हफ्ते के अंदर इराक, सीरिया और फिर पाकिस्तान पर हमले किए गए. ईरान के मिसाइल हमलों ने दुनिया की राजनीति को गर्मा दिया है. इससे पाकिस्तान और ईरान के रिश्तों में तल्खी कहीं ज्यादा बढ़ गई है.
पाकिस्तान ने भी बढ़ा ली हैं अपनी मुश्किलें
ईरान और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका भले ही कम हों, लेकिन जिस तरह पाकिस्तान अपने पड़ोसी देशों को दुश्मन बना रहा है. उससे आने वाले वक्त में पाकिस्तान को मुश्किलों का ही सामना करना पड़ेगा. जिस तरह के हालात से पाकिस्तान इस समय गुजर रहा है, वो ज्यादा अच्छे नहीं हैं. पाकिस्तान के लिए आर्थिक संकट सबसे बड़ी समस्या है, जिससे बाहर निकलना इतना आसान नहीं है. ऐसे मुश्किल वक्त में पाकिस्तान अपने दोस्त कम दुश्मन ज्यादा बना रहा है.
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