DNA TV Show: मालदीव बनाम लक्षद्वीप विवाद, क्या पीएम मोदी की कूटनीति काटेगी पड़ोसी देश में चीन के पंख?

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Jan 10, 2024, 12:13 AM IST

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Maldives vs Lakshadweep Row: मालदीव के राष्ट्रपति परंपराओं को तोड़कर पहले भारत आने के बजाय दूसरे देशों में घूम रहे हैं. ऐसे में पीएम मोदी ने लक्षद्वीप का इशारा केवल मालदीव को आईना दिखाने के लिए किया था. पढ़ें इस पूरे विवाद का डीएनए इस रिपोर्ट में.

डीएनए हिंदी: India Maldives Relations- भारत और मालदीव के बीच इन दिनों रिश्तों में तल्खी बनी हुई है. इसकी वजह मालदीव के वो तीन मंत्री हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लक्षद्वीप को लेकर विवादित बयानबाजी की. दरअसल, लक्षद्वीप दौरे पर गए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, कि लक्षद्वीप एक खूबसूरत द्वीप है और लोगों को यहां भी घूमने आना चाहिए. प्रधानमंत्री की इस अपील से मालदीव के कुछ मंत्रियों को मिर्ची लग गई. उन्होंने मालदीव के मुकाबले लक्षद्वीप को कमतर बताने की कोशिश की. बिना ये सोचे समझे कि मालदीव आने वाले पर्यटकों में बड़ी संख्या भारतीयों की है.

वैसे मालदीव खूबसूरत द्वीप है, इसलिए भारत से हर वर्ष लाखों पर्यटक यहां घूमने जाते हैं. मालदीव के Beach, Resort और लोकेशन पर्यटकों को अपनी तरफ लुभाती हैं. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. दरअसल, अब तक भारतीय पर्यटकों की पसंद मालदीव हुआ करता था. क्योंकि, भारत सरकार ने लक्षद्वीप को Tourist Destination के तौर पर विकसित करने की दिशा में ज्यादा काम नहीं किया था. जबकि लक्षद्वीप, मालदीव से किसी भी मामले में कम नहीं है. फिर चाहे बात खूबसूरती की बात हो या फिर Beach और पर्यटकों के लिए सुविधाओं की. 

ECO System बचाने की कोशिश में अनटच रहा लक्षद्वीप

दरअसल, भारत सरकार का मानना था कि लक्षद्वीप को अगर पूरी तरह पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया गया, तो इससे यहां का Eco System गड़बड़ा जायेगा. लेकिन मालदीव ने इसका गलत मतलब निकाल लिया. मालदीव को लगा कि भारतीय पर्यटक उसके यहां इसलिए घूमने आते हैं. क्योंकि भारतीयों के पास कोई विकल्प नहीं है. जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं था.

  • लक्षद्वीप पर छोटे-बड़े कुल 35 द्वीप हैं.
  • इनमें से 10 द्वीप पर ही लोग बसते हैं.
  • इस समय 3 द्वीप पर Tourism की इजाजत है.
  • इन 3 द्वीपों में अगत्ती, कदमत और बंगाराम शामिल हैं.

अब लक्षद्वीप के लिए सरकार ने बना लिया है मास्टर प्लान

अब मालदीव Versus लक्षद्वीप हो गया है. क्योंकि, लक्षद्वीप की जो खूबसूरत तस्वीरें और Video सामने आए हैं. उन्हें देखकर लोग कहने लगे हैं कि लक्षद्वीप तो मालदीव से भी खूबसूरत है. इसलिए बहुत जल्द भारतीय और विदेशी Tourist के लिए मालदीव का विकल्प लक्षद्वीप बनेगा. ऐसा होने से मालदीव की बादशाहत खत्म होगी और उसके Tourism Sector को तगड़ा झटका लगेगा. हालांकि, लक्षद्वीप को पूरी तरह Tourism के लिए विकसित नहीं किया गया है. लेकिन अब लक्षद्वीप को लेकर Master Plan तैयार है ताकि लक्षद्वीप को Tourism Destination की पहचान मिल सके.

नया एयरपोर्ट बनेगा, होटल बनेंगे

मंगलवार को ख़बर आई कि मोदी सरकार लक्षद्वीप के मिनिकॉय आइलैंड्स पर नया Airport और Airfield बनाने की तैयारी कर रही है. जहां से Fighter Jets, Military Aircraft, Commercial Plane उड़ान भर सकेंगे और भारत को रणनीतिक बढ़त भी मिलेगी. दरअसल, इस समय लक्षद्वीप में सिर्फ एक अगत्ती एयरपोर्ट है. जिसका Runway डेढ़ किलोमीटर लंबा है. इस वजह से यहां बड़े Plane उतारे नहीं जा सकते. इसलिए, अब सरकार नए Airport को बनाने जा रही है..

  • Master Plan के तहत ही लक्षद्वीप में IHCL यानी Indian Hotels Company Limited दो ताज ब्रांडेड होटल बनाएगी.
  • इनमें से एक होटल सुहेली द्वीप और दूसरा होटल कदमत द्वीप पर बनाया जायेगा.
  • होटल में समुद्र तट पर 60 विला और 50 वाटर विला समेत 110 कमरे होंगे.

भारतीय घूम सकते हैं लक्षद्वीप में सभी जगह, विदेशियों पर बंदिश

इस समय विदेशी पर्यटक Permit लेने के बाद लक्षद्वीप के सिर्फ तीन द्वीप पर ही घूम सकते हैं. जबकि भारतीय पर्यटकों को सभी द्वीपों पर घूमने की इजाजत है. हालांकि, लक्षद्वीप को Tourist Destination विकसित किये जाने के बाद विदेशी पर्यटकों को भी ज्यादा से ज्यादा द्वीपों पर घूमने की इजाजत मिल सकती है. इससे मालदीव की बादशाहत खत्म होगी और दुनिया को एक नया Tourist Place मिलेगा.

मालदीव में पैदा हो गया है राजनीतिक घमासान

मालदीव की खूबसूरती की तारीफ करते नहीं थकने वाले लोग, अगले कुछ वर्षों में लक्षद्वीप की तारीफ करते नहीं थकेंगे. जो प्राकृतिक सुंदरता, मालदीव को ईश्वर की तरफ से मिली है, वैसी ही सुंदरता, भगवान ने लक्षदीप को भी दी है. ये अलग बात है कि लक्षदीप, टूरिज्म को लेकर भारतीयों ने ही बहुत Explore नहीं किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षदीप यात्रा ने देश के लोगों को घूमने फिरने का नया ठिकाना दे दिया है. इस ट्रिप ने एक काम और किया है, और वो है मालदीव में राजनीतिक घमासान पैदा करना. लक्षदीप और प्रधानमंत्री को लेकर मालदीव सरकार के मंत्रियों की टिप्पणी ने वहां की सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर दी है.

मालदीव के राष्ट्रपति ने परंपरा तोड़कर दिखाया है चीन की तरफ झुकाव

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू इस वक्त चीन में है. ये उनकी दूसरी राजनीतिक यात्रा है.पारंपरिक तौर पर मालदीव का राष्ट्रपति, पद ग्रहण करने के बाद सबसे पहले भारत आता है, लेकिन चूंकि मोहम्मद मुइज्जू ने भारत विरोध का एजेंडा चलाकर ही चुनाव जीता है, इसलिए उन्होंने अपनी पहली राजनीतिक यात्रा टर्की और दूसरी राजनीतिक यात्रा के लिए चीन को चुना. इससे पता चलता है कि मालदीव की मुइज्जू सरकार का झुकाव अब किस ओर है.

लक्षद्वीप मुद्दा बन सकता है मालदीव के राष्ट्रपति के हटने का कारण

लक्षदीप, भारत और पीएम मोदी को लेकर जो टिप्पणियां की गई थी, उसके बाद मालदीव की संसद में नई सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. मालदीव के विपक्ष का मानना है कि भारत, मालदीव का सबसे अच्छा मित्र है, उसने जरूरत के समय हर बार उसकी मदद की है. वहां के विपक्ष का मानना है कि भारत के साथ रिश्ते खराब करने में मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू सरकार दोषी है, इसलिए राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी हो रही है.

राष्ट्रपति मुइज्जू को हटाने की ये पहल Maldives Democratic Party के नेता अली अजीम ने की है. उन्होंने इसको लेकर एक x पोस्ट भी की है. जिसमें उन्होंने देश की विदेश नीति को बचाकर रखने की बात कही है. वो चाहते हैं कि पड़ोसी देश से उनके देश के रिश्ते खराब ना हों. इसको लेकर वो मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग कर रहे हैं.

मालदीव के राष्ट्रपति चीन को मान रहे अहम सहयोगी

देश में राजनीतिक हालात नाजुक होते जा रहे हैं और मालदीव के राष्ट्रपति चीन के दौरे पर हैं. यही नहीं भारत के विरोध में जो कुछ भी मालदीव की नई सरकार करती रही है, उसके पीछे चीन हो सकता है. यही वजह है कि मालदीव के नए राष्ट्रपति, चीन को अपना सबसे बड़ा सहयोगी मान रहे हैं. चीन के दौरे पर गए मोहम्मद मोइज्जू ने अपने संबोधन में चीन को अपना महत्वपूर्ण सहयोगी बताया है. मुइज्जू ने चीन को अपना पक्का दोस्त ही नहीं बताया बल्कि टूरिज्म से जुड़े विवाद को लेकर, उन्होंने चीन से ज्यादा से ज्यादा सैलानियों को भेजने की अपील भी की है. 

बुरे वक्त में हमेशा मालदीव के काम आया है भारत

चीन के करीब जा रहे मालदीव के लिए भारत ने बहुत कुछ किया है. मालदीव के हर बुरे वक्त में सबसे पहले भारत ने उसकी मदद की है. बावजूद इसके मालदीव का नया शासन, भारत के खिलाफ नजर आता है. हालाकि ऐसा नहीं है कि मालदीव का झुकाव हमेशा से चीन की तरफ रहा है. मालदीव की पूर्व रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने भारत को 911 की कॉल जैसा बताया है. उनके मुताबिक, जब भी मालदीव को जरूरत पड़ी है तो सबसे पहले भारत ने ही उसकी मदद की है.

पारंपरिक रूप से मालदीव के भारत के साथ मजबूत संबंध हैं, लेकिन नई सरकार चीन से अपनी करीबी बढ़ा रही है, यही वजह है कि मालदीव में राजनीतिक भूचाल आया हुआ है. एक खबर ये भी है कि सितंबर 2023 में चुने गए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को इसी परंपरा का पालन करना था. उन्हें अपनी पहली यात्रा भारत में करनी थी लेकिन चीन के दखल से ये यात्रा नहीं हुई. राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के बाद से मुइज्जू, टर्की, यूएई और फिर चीन जा चुके हैं, लेकिन भारत नहीं आए. एक दावा ये भी किया जा रहा है कि मोहम्मद मोइज्जू की योजना इस महीने के अंत में भारत आने की थी लेकिन उससे पहले ही उनकी सरकार के मंत्रियों की टिप्पणी की वजह से संबंधों में खटास आ गई.

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