DNA TV Show: इलेक्शन सीजन में जनता पर राहत की बारिश, सच में महंगाई की फिक्र या फिर Election Discount

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 31, 2023, 04:49 PM IST

Freebies Politics: देश के 5 राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं. इसके बाद लोकसभा चुनाव भी हैं. ऐसे में जनता की याद सबको आने लगी है. चुनावी सीजन में मिलने वाली राहतों की बारिश का डीएनए कर रही है आज की ये रिपोर्ट.

डीएनए हिंदी: Assembly Elections 2023- देश में लगातार बढ़ रही महंगाई की मार में पहले टमाटर, फिर चावल और अब प्याज के तड़के ने सभी के कान खड़े किए हुए हैं. इसी साल 5 राज्यों, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में चुनाव हो रहे हैं. इस हिसाब से देखें तो देश में Election Season शुरू हो चुका है. ऐसे में ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों के फेस्टिव सीजन डिस्काउंट की तरह सरकारों की जेब से भी महंगाई में राहत देने वाले Election Season Discount निकलने शुरू हो गए हैं. हालांकि जिस तरह Festive Season खत्म होते ही, ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों का Discount खत्म हो जाता है. ठीक वैसे ही Election Season खत्म होते ही सरकारें भी Discount वापस ले लेती हैं. वैसे इस बार यह इलेक्शन सीजन डिस्काउंट थोड़ा लंबे समय तक राहत देने वाला है, क्योंकि पांच राज्यों में चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) भी है. 

गैस सिलेंडर की कीमत में कमी, रक्षा बंधन गिफ्ट या कुछ और

अभी सबसे ज्यादा चर्चा गैस सिलेंडर पर मिले Discount की है, तो सबसे पहले उसी की बात कर लेते हैं. मंगलवार की शाम, अचानक से केंद्र सरकार ने ऐलान किया कि अब घरेलू गैस सिलेंडर 200 रुपये सस्ता मिलेगा. इसके लिए सरकार, जो सब्सिडी देगी, उससे वर्ष 2023-24 में 7 हजार 680 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ सरकार पर आएगा. गैस सिलेंडर की बढ़ती हुई कीमत से परेशान आम आदमी के लिए ये बड़ी राहत है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर कह रहे हैं कि सिलेंडर पर 200 रुपये की सब्सिडी देकर, रक्षाबंधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने बहनों को तोहफा दिया है, लेकिन क्या यह सच है? सरकार भले कह रही है कि सिलेंडर पर मिली 200 रुपये की छूट, प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से देश की जनता के लिए Festive Discount है. लेकिन क्या वाकई ऐसा है? कहीं ये Election Discount तो नहीं है? ये सवाल Valid भी हैं और ऐसा शक होने की 3 वजहें भी हैं.

पहली वजह: जब भी गैस सिलेंडर के दाम बढ़ते हैं तो सरकार का एक ही तर्क होता है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गैस के दाम बढ़ने से ऐसा हुआ है. लेकिन इस बार सीधे 200 रुपये घट गए, जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तो गैस के दाम कम नहीं हुए हैं.

दूसरी वजह: सरकार ने बाकायदा अभियान चलाकर लोगों को गैस सिलेंडर सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रेरित किया था. फिर बाद में सब्सिडी पूरी तरह बंद भी कर दी थी. अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि गैस सिलेंडर पर सब्सिडी शुरू कर दी है?

तीसरी वजह: जब भी सिलेंडर के दाम बढ़ते हैं तो उसका ठीकरा, गैस कंपनियों पर फोड़ दिया जाता है, लेकिन इस बार सिलेंडर के दाम घटाए गए हैं, तो , इसका सारा श्रेय सरकार लेने की कोशिश कर रही है.

अब समझिए फैसले का चुनावी गणित

ऊपर दी गई 3 वजह से क्या साबित होता है, आप खुद तय कर लीजिए. चलिये, जो भी है, है तो आम आदमी के लिए फायदे का सौदा , लेकिन ऐसा तो नहीं हो सकता कि सरकार ने अपना फायदा सोचे बगैर ही सीधे 200 रुपये की सब्सिडी देने का फैसला कर लिया होगा. ऐसे में सरकार के इस फैसले का चुनावी गणित भी आपको समझना चाहिए.

सवाल है आखिर अब सब्सिडी क्यों?
क्यों ? आखिर अभी ही क्यों? और सब्सिडी से ही क्यों? ये राहत अब क्यों दी जा रही है, जबकि जून 2020 से गैस सिलेंडर पर सब्सिडी पूरी तरह बंद कर दी गई थी. तब दिल्ली में बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर पांच सौ तिरानवे (593) रुपये में मिलता था, लेकिन तीन साल में बढ़कर, अब 1103 रुपये का हो गया था. यह अब 200 रुपये की सब्सिडी के बाद 903 रुपये में मिलेगा. केंद्र सरकार ने जब सिलेंडर पर सब्सिडी बंद की थी, तो तर्क दिया था कि सब्सिडी सिर्फ जरूरतमंद लोगों को दी जानी चाहिए. इसलिए जून 2020 से सब्सिडी को पूरी तरह बंद कर दिया था, लेकिन अब सरकार ने सबके लिए 200 रुपये की सब्सिडी शुरू कर दी है यानी कोई बीस हजार रुपये कमाता है तो उसे भी 200 रुपये की सब्सिडी और जो दो लाख रुपये कमाता है, उसे भी 200 रुपये की सब्सिडी. इससे ये शक होता है कि सरकार ने सिलेंडर पर जो सब्सिडी दी है, उसकी वजह चुनावी है. 

सब्सिडी चुनावी है, ये मानने की एक और वजह

दरअसल इसी वर्ष कर्नाटक चुनाव में बीजेपी की हार की एक बड़ी वजह गैस सिलेंडर के बढ़ते हुए दामों को लेकर महिलाओँ में नाराजगी भी थी. कांग्रेस ने गैस की बढ़ती कीमतों को चुनाव प्रचार के दौरान खूब भुनाया था. कांग्रेस ने पूरे प्रचार के दौरान सिलेंडर की कीमतों को लेकर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी. वोटिंग से पहले मतदाताओं को महंगाई की याद दिलाते हुए कांग्रेस ने जगह-जगह गैस सिलेंडर की पूजा की थी. इसका फायदा कांग्रेस को कर्नाटक में मिला और बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा. ये बात बीजेपी को ही नहीं, बल्कि कांग्रेस को भी समझ में आ गई. इसलिए अब दो बड़े चुनावी राज्यों मध्यप्रदेश और राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के बीच गैस सिलेंडर के दाम कम करने की होड़ मची हुई है.

ये दोनों उदाहरण, साबित करते हैं कि भले ही गैस की कीमतें बढ़ाते वक्त, सरकारें दावा करें कि ये अंतर्राष्ट्रीय बाजार के आधार पर तय होती हैं, लेकिन चुनाव आते ही गैस और पेट्रोल-डीजल की कीमतों को घटाने का सिलसिला समझाता है कि गैस सिलेंडर हो या तेल...कीमतें, तो चुनाव से ही तय होती हैं.

स्थायी नहीं होता चुनावी डिस्काउंट, इन 3 उदाहरणों से समझिए

एक तरफ जहां इस साल के अंत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं अगले साल आम चुनाव भी हैं. उससे पहले गैस सिलेंडर के दाम कम होने से लोगों को राहत तो मिली है और ये खुश होने वाली बात भी है, लेकिन ये याद रखियेगा कि अकसर चुनाव से पहले गैस और पेट्रोल के जो दाम घटते हैं, वो स्थायी नहीं होते. चुनाव निपट जाने के बाद दाम भी बढ़ जाते हैं. अब हम आपको 3 उदाहरण बताते हैं, जब राज्य चुनाव से पहले गैस सिलेंडर के रेट घटाए गए और चुनाव के बाद दोबारा बढ़ा दिए गए.

  1. पिछले वर्ष यानी 2022 में 10 फरवरी से 7 मार्च के दौरान पांच राज्यों, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में चुनाव हुए. तब नवंबर 2021 से लेकर फरवरी 2022 तक सिलेंडर की कीमतें नहीं बढ़ाईं गईं. गैस सिलेंडर 899.50 रुपये का आता था. जैसे ही चुनाव खत्म हुए, मार्च 2022 में सिलेंडर की कीमतें सीधे 50 रुपये बढ़ गईं और एक गैस सिलेंडर 949.50 रुपये का हो गया.
  2. इससे पहले वर्ष 2021 में 27 मार्च से लेकर 29 अप्रैल के बीच, चार राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, असम और तमिलनाडु के अलावा केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में चुनाव हुए थे. उस वर्ष जनवरी में गैस सिलेंडर 694 रुपये का था, जो फरवरी में सीधे सौ रुपये महंगा होकर सात सौ चौरानवे 794 रुपये का हुआ. फिर मार्च में बढ़ कर 819 रुपये का हुआ. इसके बाद चुनाव शुरू हुए तो 10 रुपये सस्ता होकर 809 रुपये का हो गया और फिर पूरे चुनाव के दौरान 809 रुपये का ही रहा.
  3. वर्ष 2020 में जब बिहार में 28 अक्टूबर से लेकर 7 नवंबर तक विधानसभा चुनाव थे, तब गैस सिलेंडर की कीमत, अगस्त से लेकर नवंबर तक 594 रुपये रही, लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म हुए, दिसंबर में सिलेंडर सीधे सौ रुपये महंगा होकर 694 रुपये का हो गया.

चुनाव बाद क्या होगा गैस सब्सिडी का?

अब पांच राज्यों में चुनाव हैं. अगर पुराने Trend को Example बनाएं तो इस बार गैस सिलेंडर की कीमत में जो कमी आई है, वो चुनाव के बाद खत्म हो जानी चाहिए. इसके लिए केंद्र सरकार ने सब्सिडी दी है. ये सब्सिडी कितने दिन चलती है, ये सरकार पर निर्भर है. 

क्या चुनावी सीजन में पेट्रोल-डीजल पर भी मिलेगा डिस्काउंट?

अभी तो चुनावी सीजन शुरू हुआ है. हमने आम जनता से जब पूछा कि उन्हें गैस सिलेंडर के बाद किस चीज के दाम कम होने की उम्मीद है तो लोगों ने सीधे पेट्रोल-डीजल के दामों में कटौती की बात कह दी. कर्नाटक चुनाव से पहले भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 5-5 रुपए की कटौती की गई थी. इसलिए ये उम्मीद और ज्यादा बढ़ गई है. जल्द ही पेट्रोल-डीजल के रेट घट भी सकते हैं. इसका Hint खुद Petroleum Minister हरदीप पुरी ने Zee News को दिया है.

इस हिसाब से अब अगला नंबर पेट्रोल-डीजल का हो सकता है यानी जनता का double फायदा. हालांकि कुछ लोग कह रहे हैं कि विपक्ष पर रेवड़ी कल्चर को बढ़ावा देने का आरोप लगाने वाली बीजेपी खुद मुफ्त की Politics कर रही है, लेकिन राजनीति में सिर्फ एक चीज मायने रखती है और वो है जीत. आने वाले विधानसभा चुनावों में सिलेंडर पर सब्सिडी देकर बीजेपी को क्या मिलने वाला है.

ये आपको पेट्रोलियम मंत्रालय के निम्न आंकड़ों से समझना चाहिए-

ये तो सामान्य उपभोक्ता हुए, लेकिन गैस सिलेंडर की कीमतों में कटौती का फायदा उज्जवला योजना के लाभार्थियों को भी मिलेगा-

उज्जवला योजना के लाभार्थियों को एक सिलेंडर खरीदने पर अब 400 रुपए कम देने होंगे और बाकी उपभोक्ताओं को 200 रुपये कम देने पड़ेंगे. बीजेपी को उम्मीद तो जरूर होगी कि इससे चुनावी फायदा होगा. साथ ही ये बात भी है कि इससे आम उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा और महंगाई को कम करने का जो वादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से किया है, उसे पूरा करने में भी सरकार को मदद मिलेगी. ऐसे में फिलहाल तो यह चुनावी डिस्काउंट सरकार के लिए हर तरह से फायदे का सौदा दिख रहा है.

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