डीएनए हिंदी: Earthquake in India- भूकंप का नाम सुनकर हर किसी को उतना ही डर लगता है, जितना डर किंग कोबरा को देखकर महसूस होता है. धरती के अंदर हुई हलचल से हिल रही बिल्डिंग कब ताश के पत्तों सी बिखर जाएगी, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. ऐसे में धरती हिलने पर उसके खौफ का दायरा बड़े पैमाने पर महसूस होता है. यही खौफ मंगलवार को नेपाल से लेकर दिल्ली और भारत के कई हिस्से में दिखाई दिया. दोपहर में भूकंप के जोरदार झटके महसूस होते ही लोग अपने घरों से बाहर भागने लगे. धरती हिलनी बंद हुई और लोग घरों में आकर चैन की सांस ले रहे थे कि धरती का भूगर्भ फिर से कांपने लगा. लोग फिर से बाहर भागते दिखाई दिए. थोड़े अंतराल पर आए इन दोनों भूकंप का केंद्र नेपाल था, लेकिन इनका असर भारत में भी दिल्ली, लखनऊ, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब तक दिखाई दिया. इनका खौफ ऐसा रहा कि दूसरे भूकंप के बाद लोग बहुत देर तक घरों के अंदर वापस लौटने से कतराते रहे. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि खतरा कितना बड़ा था? चलिए हम बताते हैं.
ऐसे थे आज आए दोनों भूकंप
नेपाल के लोगों को याद आया साल 2015
नेपाल में धरती हिलते ही लोगों को वर्ष 2015 की तबाही नजर आ गई. तब 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके विनाशकारी असर के कारण 9,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 23,000 से ज्यादा घायल हुए थे. नेपाल में उस वक्त बिल्डिंग्स मलबे का ढेर बन गई थीं. चारों तरफ चीख पुकार मच गई थी. आज जो भूकंप नेपाल में आया है. उसने एक बार फिर वर्ष 2015 की दर्दनाक यादें ताजा कर दी हैं.
भूकंप में केंद्र की गहराई का होता है कितना असर
आपने देखा होगा कि जब भी भूकंप के केंद्र की बात होती है तो उसमें ये बताया जाता है कि भूकंप जमीन के कितने नीचे आया है, जैसे, नेपाल में आए इस भूकंप का केंद्र जमीन से सिर्फ 5 किलोमीटर नीचे था. सिस्मोलॉजी में भूकंप को 2 श्रेणी में बांटा जाता है. दुनिया में कहीं भी भूकंप आए, उन्हें इन्हीं दो श्रेणियों में रखा जाता है.
हमने आपको भूकंप की दोनों श्रेणियों के बारे में सरल शब्दों में समझाया. अब सोचिए नेपाल में आज जो भूकंप आया है, उसका केंद्र धरती से सिर्फ 5 किलोमीटर नीचे था यानी तबाही बहुत बड़ी हो सकती थी.
भारत में आ सकता है 7.8 तीव्रता का भूकंप, ये है कारण
नेपाल में आए भूकंप की दहशत आज भारत में भी दिखी. कई बड़े एक्सपर्ट पहले ही चेतावनी दे चुके है कि भारत में भी 7.8 से ऊपर की तीव्रता का भूकंप कभी भी आ सकता है. अब आपको बताते हैं कैसे हिमालय और हिंदकुश का रेंज भारत में बड़े भूकंप की संभावना को जन्म देता है.
दुनिया के कुछ बड़े भूकंप हिमालय के आसपास आए हैं. नेपाल का 2015 में 7.8 तीव्रता का भूकंप हो या 2005 में PoK के मुजफ्फराबाद में 7.6 तीव्रता का भूकंप. इसी तरह 1905 में कांगड़ा में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था. इन सभी भूकंप की तीव्रता काफी ज्यादा थी. वैसे हिमालय रेंज में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप 6 जून 1505 को आया था. उसके बाद से अभी तक उस तीव्रता का भूकंप नहीं आया है. लेकिन एक बात और है उस समय भूकंप को मापने का कोई तरीका नहीं था, इसलिए उसकी सटीक तीव्रता का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. लेकिन जो नुकसान हुआ था उसके आधार पर उसकी तीव्रता का केवल अनुमान लगाया जाता है.
देश का 59 फीसदी हिस्सा गंभीर भूकंप के जोन में
बरसों से आ रहे भूकंप के आधार पर वैज्ञानिकों ने पूरे भारत को अलग-अलग zone में बांटा है. इसमें उन हिस्सों को, जो हिमालय के आसपास हैं, उसे सबसे ज्यादा sensitive बताया गया है. भूकंपीय zone के मुताबिक देश का करीब 59 प्रतिशत हिस्सा मध्यम या गंभीर भूकंप की चपेट में आ सकता है और यही सबसे बड़ी चिंता की बात है.
इससे आपको समझ आ गया होगा कि कैसे भारत का एक बड़ा हिस्सा भूकंप के बड़े खतरे से घिरा हुआ है और इसलिए आने वाले भूकंप को लेकर चेतावनी दी जा रही है. जानकार मानते हैं कि भूकंप भले ही हिमालय की वजह से आए, लेकिन इसका असर हिमालय के आसपास और दिल्ली जैसे हिस्सों में बहुत ज्यादा हो सकता है.
कैसे तय किया जाता है कितनी होगी तबाही
भूकंप की तीव्रता से ये नहीं तय किया जा सकता है कि उससे तबाही कितनी होगी. भूकंप का केंद्र और जिन इलाके में झटके महसूस किए गए, वहां की मिट्टी और वहां की आबादी से भी तय होता है कि तबाही कितनी बड़ी है. देखा जाए तो दुनिया में हर साल 20 हजार से ज्यादा भूकंप आते हैं. ये वो भूकंप है जिनको richter scale पर मापा जा सकता है. कई भूकंप तो ऐसे होते हैं जिनका पता भी नहीं चलता है.
तुर्किए जैसे भूकंप का खतरा कितना है भारत में
इसी वर्ष तुर्किए में 7.8 तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसकी वजह से इमारते गिर गई थी. भारी तबाही हुई थी. इसी तरह का खतरा भारत के लिए भी एक्सपर्ट जता चुके हैं.
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