Haryana Election Results 2024 : तीसरी बार खिला कमल, इन 5 कारणों से भाजपा ने लहराया जीत का परचम 

बिलाल एम जाफ़री | Updated:Oct 08, 2024, 09:57 PM IST

हरियाणा में लगातार तीसरी बार जीत का परचम लहराने वाली भाजपा वो करने में कामयाब हुई, जिसकी कल्पना किसी ने की हो या न की हो, कांग्रेस ने तो हरगिज नहीं की थी. भाजपा हरियाणा में क्यों जीती? तमाम कारण हैं ऐसे में आइये उन कारकों पर नजर डालें जिन्होंने हरियाणा में भाजपा के लिए चमत्कार किया.

हरियाणा में राजनीतिक विश्लेषकों के विश्लेषण और तमाम एग्जिट पोल्स धरे के धरे रह गए. वो हुआ, जिसकी कल्पना किसी ने की हो या न की हो. मगर कांग्रेस और राहुल गांधी ने तो हरगिज़ न की थी.  हरियाणा में सत्ता सुख कांग्रेस के हाथ को आया मगर मुंह न लगा. यहां भाजपा ने निर्णायक प्रदर्शन किया, जिससे उसे राज्य में सत्ता विरोधी लहर से लड़ने और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में मदद मिली. 

पार्टी ने 90 विधानसभा सीटों में से 48 पर जीत हासिल की और विपक्ष विशेषकर कांग्रेस को ये सन्देश दिया कि भाजपा कोरी लफ्फाजी नहीं करती. बल्कि नीति बनाकर बारीकी से काम करती है और हर उस अवरोध को पार लगाती है जो उसके रास्ते में आता है. 

हरियाणा में तीसरी बार कमल खिलने का जो कारनामा हुआ, भले ही उसे तमाम राजनीतिक पंडित चमत्कार की संज्ञा दे रहे हों. लेकिन हमें इस बात को समझना होगा कि यहां भाजपा ने न केवल एक योजना से काम किया. बल्कि उन छोटी छोटी बाधाओं को दूर किया. जिसे लेकर उसकी आलोचना हो रही थी. तो आइये नजर डालें उन कारकों पर जिन्होंने हरियाणा में भाजपा के पक्ष में काम किया.

जाट विरोधी वोटों को एक करना 

सिर्फ इस चुनावों में नहीं हमेशा ही हरियाणा में जाट एक अहम मुद्दा रहे हैं. जाटों के विषय में ये प्रसिद्द है कि जाट मतदाता आमतौर पर अपनी मांगों को लेकर मुखर होते हैं, जबकि भाजपा को वोट देने वाले गैर जाटों के विषय में यही मान्यता है कि वो इतने मुखर नहीं हैं. बावजूद इसके गैर जाटों ने इस विधानसभा चुनावों में हरियाणा में भाजपा द्वारा दिए गए स्वच्छ शासन का समर्थन किया.

जिस तरह भाजपा पर हरियाणा में वोटों की बारिश हुई है. उसे देखकर ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि 2024 के इस विधानसभा चुनावों में गैर-जाटों को न केवल भाजपा ने समझा. बल्कि वो उनका वोट हासिल करने में कामयाब हुई. 

नायब सैनी पर बड़ा दांव लगाना 

जिस समय हरियाणा में भाजपा द्वारा नायब सैनी की ऑफिशियल लॉन्चिंग की गई, तमाम तरह की बातें हुईं. मगर अब जबकि परिणाम हमारे सामने हैं कह सकते हैं कि नायब सैनी को पार्टी का चेहरा बनाने से भाजपा को सत्ता विरोधी लहर से लड़ने में मदद मिली.  पार्टी के चेहरे के तौर पर ओबीसी नेता को नियुक्त करने से भाजपा के वोटों में मजबूती आई. ध्यान रहे कि सैनी का शुमार पार्टी के उन नेताओं में हैं जो साफ छवि रखते हैं साथ ही जनता के बीच भी उनकी गहरी पैठ है.

किसान आंदोलन

हरियाणा में भाजपा की जीत से गदगद समर्थक इस बात को मानते हैं कि किसानों के आंदोलन का दूसरा चरण भाजपा के पक्ष में रहा. माना जा रहा है कि शंभू बॉर्डर पर किसानों को न जाने देने के भाजपा सरकार के निर्णय से पार्टी को मदद मिली.

हुड्डा फैक्टर

माना जा रहा है कि हरियाणा में भाजपा ने 'जाट बनाम गैर-जाट' प्रभुत्व की भावना का भरपूर लाभ उठाया. ध्यान रहे कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों ने खुले तौर पर जाट मुख्यमंत्री के पक्ष में वकालत की, जिससे ओबीसी, पंजाबी, दलित और अन्य समुदायों का ध्रुवीकरण हो गया और इन तमाम लोगों ने  एक समुदाय के प्रभुत्व के खिलाफ मतदान किया.

'खर्ची और पर्ची' बना कारगर हथियार 

हरियाणा में विजय का परचम लहराने से उत्साहित भाजपा ने चुनाव पूर्व 'खर्ची और पर्ची' का मुद्दा उठाया. जो पार्टी के लिए किसी चमत्कार से कम न यही था. दांव बिलकुल सही था और जनता का ध्यान भी इसकी तरफ आकर्षित हुआ. भाजपा ने अपनी रैलियों में लोगों के अंदर डर की इस भावना का संचार किया कि यदि कांग्रेस फिर से वापस आती है, तो हरियाणा में फिरौती का धंधा फिर से शुरू हो जाएगा.

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