डीएनए हिन्दी : कज़ाकिस्तान में गुरुवार को रूसी सेना प्रवेश कर गयी है. कई दिनों से वहाँ खूनी संघर्ष चल रहे हैं. अब तक दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है. सत्ता पर संकट आया हुआ है.
सोवियत रूस से 1991 में अलग होने के बाद से कज़ाकिस्तान (Kazakhstan) एक बनता हुआ देश है जिस पर पश्चिमी देशों की मीडिया की नज़र कम रही. रही भी तो बोरात जैसी फिल्मों के माध्यम से जिसमें देश के हालात पर चर्चा कम की गयी, मज़ाक अधिक उड़ाया गया.
वह देश फिलवक़्त जल रहा है और सभी ओर अफरा-तफरी का माहौल है. इंटरनेट बंद है. एक करोड़ नब्बे लाख से ऊपर लोग घरों में दुबके हुए हैं. क्या और कैसे शुरु हुआ वहां यह खूनी तूफान... डीएनए हिन्दी की एक नज़र.
लिक़्विड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की बढ़ी कीमतों पर शुरु हुआ बवाल –
कज़ाकिस्तान(Kazakhstan) तेल के मामले में सम्पन्न देश है और एरिया के हिसाब से दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में भी शामिल है. सरकार ने तय किया कि एलपीजी गैस पर लागू प्राइस कैप को हटा दिया जाये. इससे एलपीजी की कीमत में भारी इज़ाफा हो गया. रातों रात कीमतें लगभग दोगुनी हो गयीं. चूंकि देश में अधिकतर गाड़ियां इसी पर चलती हैं, कीमत के बढ़ने का विरोध शुरु हो गया. यह सबसे पहले देश के पश्चिमी इलाके में शुरु हुआ और फिर अन्य हिस्सों में पहुंचा. मंगलवार को देश के सबसे बड़े शहर अलमाटी (Almaty) में पांच हज़ार से उपर लोग एकत्रित हो गये और विरोध एलपीजी (LPG) की कीमत से उतर कर सत्ता के प्रति असंतोष का अधिक हो गया.
फादर ऑफ़ नेशन और उनकी सत्ता से लोगों की नाराज़गी
जब से कज़ाकिस्तान (Kazakhstan )आज़ाद हुआ है तब से लेकर अगले 28 सालों तक देश में Nursultan Nazarbayev की सत्ता थी. उन्हें फादर ऑफ़ नेशन भी कहा जाता है. 2019 में उन्होने कासिम जोमार्ट टोकायेव को अपना उत्तराधिकारी तो चुना पर सत्ता पर अपनी पकड़ बना कर रखी. देश के लोग उनसे नाखुश बताये जाते हैं. प्रदर्शनकारियों के कई पोस्टर्स में उन्हें सम्बोधित कर लिखा हुआ था कि ‘ओल्ड मैन गो अवे.’
अलमाटी में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच की झड़प
बुधवार को प्रदर्शनकारी थोड़े उग्र हो गये. उन्होंने अलमाटी (Almaty) में नूरसुत्लान की एक मूर्ति को गिराने की कोशिश की. कुछ सरकारी इमारतों में आग लगा दी. हवाई अड्डे पर भी तोड़-फोड़ मचाया गया. इस पूरे चक्र में सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियों से हमला किया जिसमें कई लोगों की जान गयी.
राष्ट्रपति की धमकी प्रदर्शनकारियों को, रूस से मदद की गुहार
देश के राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट ने देश को एक टेलीवाइज़्ड संदेश में सम्बोधित करते हुए कहा कि कानून तोड़ने वालों के साथ कड़ाई से निबटा जाएगा. राष्ट्रपति ने प्रदर्शनकारियों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी का टैग भी दिया और रूस से मदद की मांग की. मांग सुनकर रूस ने अपनी पीसमेकर आर्मी (जिसका गठन सोवियत संघ के विघटन के बाद हुआ था) को कज़ाकिस्तान रवाना कर दिया.