डीएनए हिंदी: कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन तेजी से दुनियाभर में फैल रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक ओमिक्रॉन डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक तो नहीं है लेकिन यह बेहद संक्रामक है. अब ओमिक्रॉन वेरिएंट का असर तेल की कीमतों पर भी पड़ता नजर आ रहा है. तेल की मांग वैश्विक स्तर पर कम होने के आसार हैं जिसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भी आ रही है.
अगर यह गिरावट जारी रही तो जल्द ही भारत समेत दुनियाभर में कच्चे तेल की कीमतें कम हो सकती हैं. नवंबर 2021 से लेकर अब तक ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) की कीमतों में सबसे बड़ी मासिक गिरावट दर्ज की गई है. नवंबर की शुरुआत में जहां ब्रेंट क्रूड की कीमत 84.4 यूएस डॉलर प्रति बैरल थी दिसंबर तक आते-आते यह कीमत 70 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल हो गई.
कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ने की आशंका की वजह से तेल की सप्लाई वैश्विक स्तर पर प्रभावित हो रही है. ऐसे भी दावे किए जा रहे हैं कि जिन लोगों की कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लगी है उन्हें भी ओमिक्रॉन संक्रमण अपनी चपेट में ले सकता है. यह वेरिएंट टीके से तैयार प्रतिरक्षा को भी भेदने में सक्षम है.
क्यों आ रही है कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट?
अमेरिका स्थित वैक्सीन निर्माता मॉडर्ना के सीईओ ने हाल ही में कहा था कि ओमिक्रॉन वेरिएंट COVID-19 वैक्सीन से तैयार इम्युनिटी को भी भेदने में सक्षण हो सकता है. इसके बाद से ही ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में 16.4% की गिरावट आई है.
पिछले एक साल में कच्चे तेल की कीमतें अक्टूबर 2020 में 43 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से दोगुणी होकर अक्टूबर 2021 में 85.5 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल हो गई थीं. हालांकि अमेरिका, चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया और यूके की ओर से इमरजेंसी क्रूड ऑयल रिजर्व के योजनाबद्ध सहयोग से कीमतों में कुछ गिरावट आई थी.
भारत ने अपने स्ट्रेटेजिक रिजर्व से 5 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल कम करने का फैसला किया था वहीं यूके ने भी 1.5 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल कम करने का फैला किया था. अमेरिका ने अपने स्ट्रेटेजिक रिजर्व से 50 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल कम करने का फैसला किया था.
कैसे मांग में कमी तेल की घरेलू कीमतों पर डालेगी असर?
भारत में आने वाले कुछ दिनों में सभी क्षेत्रों में कच्चे तेल की कीमतों पर असर दिखाई दे सकता है. तेल की कीमतों का असर भारत में दूसरे भी क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर पड़ता है. अगर ब्रेंट क्रूड की कीमतें मौजूदा स्तर पर ही रहें तो ऑयल मार्केटिंग कंपनीज (OMC) तेल की कीमतों में बाकी देशों की तरह कमी कर सकती हैं.
घरेलू तेल की कीमतों को पेट्रोल और डीजल की वैश्विक कीमतों के 15 डे रोलिंग एवरेज के लिए बेंचमार्क माना जाता है. जनवरी से नवंबर 2021 के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से दिल्ली में पेट्रोल के दाम 32 फीसदी बढ़े. मार्च और अप्रैल में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव देखा गया लेकिन ऑयर मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लगभग स्थिर रखा.
मार्च से अप्रैल के बीच 4 राज्यों में चुनाव हुए. इन राज्यों में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी और केरल में विधानसभा चुनाव हुए. तब भी तेल के दाम स्थिर रखे गए. मार्च 2020 में जब कोरोना महामारी ने देश में दस्तक दी तब भी ऑयल मार्केटिंग कंपनियो ने 83 दिनों तक तेल की कीमतों को स्थिर रखा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में गिरावट तब आई थी जब वैश्विक सत्तर पर लॉकडाउन लागू किया गया था.
नंवबर से ही तेल की कीमतें भारत में तब से स्थिर हैं जबसे पेट्रोल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की गिरावट और डीजल की कीमतों में 5 रुपये प्रति लीटर की गिरावट की गई थी. कई राज्यों ने पेट्रोल-डीजल से वैल्यू एडेड टैक्स (वीएटी) में कटौती का ऐलान किया है.