DNA एक्सप्लेनर : देश में VVIP Security का प्रोटोकॉल कैसे तय होता है?

Written By अणु शक्ति सिंह | Updated: Jan 06, 2022, 05:41 PM IST

देश में प्रमुख लोगों की सुरक्षा व्यवस्था का प्रोटोकॉल क्या है? यहां एक्सप्लेन किया गया है...

डीएनए हिन्दी : कल पंजाब के फ़िरोज़पुर जाने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में भारी चूक हुई. इस ख़बर के बाहर आते ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है. कयासबाज़ियां की जा रही हैं. कुछ लोगों का मानना है कि राज्य सरकार सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार थी. कुछ लोगों का कहना है कि यह पूरी ज़िम्मेवारी गृह मंत्रालय के अधीन थी. कुछ अटकलें दोनों की साझी ज़िम्मेदारी की बात कर रही थीं. इन कयासबाज़ियों और अटकलों में तथ्य क्या है, वह जानना विशेष ज़रूरी है. कौन सी एजेंसी या संस्था होती है VVIP Security के लिए ज़िम्मेदार, यहां एक्सप्लेन किया गया है.

किन-किन लोगों को दी जाती है सुरक्षा?

कई संस्थाओं के द्वारा सुरक्षा VVIPs/VIPs/ राजनेताओं/ हाई-प्रोफाइल सेलेब्रिटी/ खिलाड़ियों को प्रदान की जाती है. इनकी सुरक्षा के लिए तय प्रोटोकॉल के तहत SPG, NSG, और CRPF अलग-अलग काम करती है. SPG का पूरा नाम स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रूप है. NSG नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स का संक्षिप्त रूप है.

राज्य अथवा सरकार से जुड़े लोगों में राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों के साथ-साथ सेना प्रमुखों को ऑटोमेटिकली सुरक्षा मिल जाती है.

 

VVIP की सुरक्षा कौन तय करता है ?

VVIP  security इंटेलिजेंस ब्यूरो, गृह सचिव और गृह मंत्री की साझा समिति तय करती है. हाँ, कई बार राज्य सरकार के अनुमोदन पर भी सुरक्षा उपलब्ध करवायी जाती है. वीवीआईपी सिक्योरिटी की चार श्रेणियां होती हैं. ये श्रेणियां  X, Y, Z, और Z+ हैं. Z+ सबसे आला स्तर की सुरक्षा व्यवस्था होती है.

देश के सबसे प्रमुख लोगों को Z+ के साथ SPG सुरक्षा भी उपलब्ध करवायी जाती है. बेहद मंहगी और जवाबदेह मानी जाने वाली SPG सुरक्षा 2019 तक  सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी उपलब्ध थी, उसके बाद से यह केवल और केवल प्रधानमंत्री को सुरक्षित करती है.

प्रधानमंत्री सरीखे प्रमुख व्यक्तियों की सुरक्षा प्रक्रिया

नाम न छापने की शर्त पर देश की सुरक्षा एजेंसी से जुड़े रहे एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने बताया कि सुपर VVIP लोगों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रोटोकॉल गाइड बुक्स बने हुए हैं. जिन्हें रेड बुक या ब्लू बुक का नाम दिया जाता है. सुरक्षा व्यवस्था कैसे तय होगी, कौन कहाँ जाएगा, यह पूरी बात एकदम गुप्त रहती है. इसके लिए लगातार उच्च-स्तरीय बैठकें होती रहती हैं. सबकुछ एकदम गोपनीय रखा जाता है. 'रेस्ट्रिक्टिव सिक्योरिटी' का ख़ास ख़याल रखा जाता है. इसका मतलब यह हुआ कि सुरक्षा प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों/व्यक्तियों में किसी को किसी भी बात की पूरी जानकारी नहीं होती है. सभी को केवल उतना ही हिस्सा पता होता है जितने से उसका काम जुड़ा होता है. केन्द्रीय गतिविधियों की जानकारी केवल एक सबसे विश्वस्त सूत्र को होती है. ऐसा किसी भी तरह की सिक्योरिटी लीक को रोकने से किया जाता है. गतिविधि के हर हिस्से पर तेज़ नज़र रखी जाती है ताकि किसी भी तरह की चूक न हो...