ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का आधे दशक में पहला 'जुमे का खुतबा' सुर्खियों में है. वजह बनी है वो वायरल तस्वीर, जिसमें खामेनेई रूस निर्मित ड्रैगुनोव राइफल को साथ लिए, लाखों ईरानियों से मुखातिब होते हुए नजर आ रहे हैं. खुतबे में खामेनेई ने अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी इजरायल के खिलाफ़ तमाम बड़ी बातें की हैं और दुनिया के मुसलमानों से एकजुट रहने को कहा है.
1979 की इस्लामी क्रांति में अहम भूमिका निभाने वाली ऐतिहासिक इमाम खुमैनी मस्जिद को अपने इस दुर्लभ भाषण के लिए चुनने के अलावा, जिस बेबाकी से खामेनेई ने अपनी बातें रखी, उससे इतना तो साफ़ है कि मध्य पूर्व में जो चिंगारी भड़क चुकी है, वो इतनी जल्दी ठंडी होने वाली नहीं है.
बताया जा रहा है कि 85 वर्षीय ईरानी सर्वोच्च नेता की राइफल के साथ तस्वीर, प्रतिरोध का प्रतीक थी. अपने भाषण में खामेनेई ने जोर देकर कहा कि ईरान इजरायली आक्रमण के सामने पीछे नहीं हटेगा. खामेनेई ने चेतावनी देते हुए कहा, 'हमें अपने अटूट विश्वास को मजबूत करते हुए दुश्मन के खिलाफ़ खड़ा होना चाहिए.' उन्होंने ये भी कहा कि इजरायल 'लंबे समय तक नहीं टिकेगा.'
माना जा रहा है कि खामेनेई के अरबी और फारसी में दिए गए इस भाषण से ईरान की सेना के अलावा पूरे राष्ट्र और हिजबुल्लाह के लड़ाकों का मनोबल बढ़ेगा. ध्यान रहे, हालिया दिनों में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के अलावा ऐसा बहुत कुछ हुआ, जिसने ईरान, लेबनान और एक संगठन के रूप में हिजबुल्लाह को लगभग तोड़ कर रख दिया है.
खैर जिक्र राइफल पकड़े हुए अयातुल्ला अली खामेनेई की वायरल तस्वीर का हुआ है. तो हमारे लिए भी इस राइफल के बारे में कुछ बातें कर लेना बहुत जरूरी हो जाता है.
क्या है इस राइफल की खासियतें?
स्नाइपर राइफलों के क्षेत्र में, Dragunov Sniper Rifle का एक प्रतिष्ठित स्थान है. बताया जाता है कि 1960 के दशक में सोवियत संघ में विकसित, इस प्रतिष्ठित बन्दूक ने आधुनिक युद्ध पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा था.
आधुनिक युद्ध में ड्रैगुनोव स्नाइपर राइफल का प्रभाव निर्विवाद है. इसके आने से युद्ध के मैदान में स्नाइपर्स की भूमिका में क्रांतिकारी बदलाव आया था. इस राइफल को लेकर कहा तो यहां तक जाता है कि विएतनाम वॉर में इस राइफल ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे.
क्या है इस राइफल का इतिहास
Dragunov Sniper Rifle, जिसे औपचारिक रूप से SVD के नाम से जाना जाता है, सोवियत डिजाइनर येवगेनी ड्रैगुनोव द्वारा विकसित की गई थी. इसे 1963 में सोवियत सेना के लिए एक ऐसी राइफल के रूप में पेश किया गया जिसने युद्ध की तस्वीर ही बदल दी थी.
बताया जाता है कि इस राइफल ने उस खाई को पाटने का काम किया जो पैदल सेना और रियल स्नाइपर्स के बीच थी. एक तरफ जहां इस राइफल की रेंज बहुत अच्छी थी, तो वहीं इसे लेकर आज भी कहा यही जाता है कि, निशाने का मामले में इसका किसी से कोई मुकाबला नहीं है.
डिज़ाइन और फीचर बनाते हैं इस राइफल को बेहद खास
Dragunov Sniper Rifle एक गैस-संचालित, सेमी ऑटोमेटिक राइफल है, जो 7.62x54mmR कारतूस में चैम्बर की गई है. इसमें एक इंटीग्रेटेड थंबहोल के साथ एक खास तरह की लकड़ी का स्टॉक है, जो शूटर को स्थिरता और नियंत्रण प्रदान करता है. राइफल में मजल वेलॉसिटी और प्रभावी सीमा बढ़ाने के लिए एक लंबी बैरल शामिल है. इसका ऑप्टिकल साइट जो अमूमन एक PSO-1 स्कोप है, निशाने के लिहाज से इसे एक बेहद कारगर और मारक हथियार बनाता है.
बताते चलें कि शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ और उसके सहयोगियों द्वारा ड्रैगुनोव स्नाइपर राइफल का व्यापक उपयोग किया गया था. बताया जाता है कि इस राइफल से स्नाइपर्स 800 मीटर तक के लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से निशाने पर ले लेते थे जिसके बाद दुश्मन बच नहीं पाता था.
कुल मिलाकर इस राइफल के जरिये ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इजरायल को एक बड़ा सन्देश दे दिया है. इसके अलावा जिक्र अगर ईरान इजरायल युद्ध का हो तो ऊंट किस करवट बैठेगा अभी इस पर कुछ भी कहना शायद जल्दबाजी होगी.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.