बेरूत में इजरायली हमले में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत से ईरान आग बबूला है. कहा यही जा रहा है कि वो इजरायल से इस मौत का बदला लेगा. इसी बीच खबर आई है कि ईरान के शीर्ष सैन्य प्रमुख को सख्त पूछताछ के दैरान कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ा है. सैन्य प्रमुख शक के घेरे में हैं और उनपर डबल एजेंट होने के गंभीर आरोप लगे हैं. जिस तरह इजरायल ने लेबनान में पेजर अटैक किये और जैसे बाद में हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को मौत के घाट उतारा गया, ये तमाम जानकारी इजरायल को ईरान के शीर्ष सैन्य प्रमुख ने मुहैया कराई थीं.
रिपोर्ट्स के अनुसार, 67 वर्षीय ब्रिगेडियर जनरल इस्माइल क़ानी को ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स द्वारा पूछताछ के बाद अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया. स्काई न्यूज अरेबिया की रिपोर्ट के अनुसार, अभी यह ज्ञात नहीं हो पाया है कि उनकी वर्तमान स्थिति क्या है.
4 अक्टूबर को बेरूत में बंकर पर इजरायल के हमले में हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद ये अफवाहें फैलने लगी थी कि टॉप लेवल पर बड़ी जासूसी हुई है. और इसके बाद ही ब्रिगेडियर जनरल इस्माइल क़ानी भी लापता हो गए थे जिसके बाद ईरान की तरफ से दावा यही किया गया कि, ब्रिगेडियर क़ान की गद्दारी के चलते इजरायल द्वारा हिजबुल्लाह के शीर्ष अधिकारियों की अविश्वसनीय हत्या को अंजाम दिया गया.
बताते चलें कि हिजबुल्लाह के शीर्ष अधिकारियों पर हमले के बाद से कानी गायब थे. वो कहां हैं? इस बारे में अधिकारियों के अलावा उनके घर वाले तक को कोई जानकारी नहीं थी. पहले ये माना गया था कि बंकर विस्फोट में हिजबुल्लाह के उत्तराधिकारी हाशेम सफीदीन (60) के साथ उनकी भी मौत हो गई थी. लेकिन लेबनान, इराक और ईरान के सूत्रों ने खुलासा किया है कि कानी उस बैठक में मौजूद थे ही नहीं.
इसी तरह कानी उस मीटिंग से भी नदारद थे जिसमें इजरायल ने हमला किया और हिजबुल्लाह नेता नसरल्लाह को मार गिराया. उनके गायब होने की घटना ने ईरान की घबराई हुई सेना में खलबली मचा दी क्योंकि अफवाहें फैलीं कि उन्होंने इस्लामी शासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
ध्यान रहे कि कानी ईरान के शक्तिशाली रिवोल्यूशनरी गार्ड के कुलीन कुद्स फोर्स का नेतृत्व करते हैं और शासन द्वारा उनके 'जीवित और अच्छे स्वास्थ्य' की पुष्टि की गई है. 27 सितंबर को 64 वर्षीय नसरल्लाह की बंकर बस्टर हत्या के मामले में भी उनसे पूछताछ की जा रही है.
नसरल्लाह की मौत के बाद गार्ड कॉर्प्स ने इजरायल के जासूस की तलाश युद्ध स्तर पर शुरू कर दी है. जिसके चलते जांचकर्ताओं को अब अपने ही नेता पर संदेह है. बताया ये भी जा रहा है कि पूछताछकर्ताओं द्वारा जवाब मांगे जाने के कारण कानी और उनकी टीम को हिरासत में लिया गया है.
कानी के विषय में जो जानकारी है उसके अनुसार जनवरी 2020 में अमेरिका द्वारा कुद्स फोर्स पिछले नेता कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद कानी कुद्स फोर्स IRGC की विदेशी इकाई के प्रमुख बनाए गए थे.
इजरायल ने खुफिया जानकारी के आधार पर दुश्मन कमांडरों को खत्म करने में सफलता प्राप्त की है. जिस तरह लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी बम विस्फोट हुए कयास यही लगाए गए कि महत्वपूर्व पद पर बैठा कोई अंदर का आदमी ही इजरायल की लगातार मदद कर रहा है और अब जबकि कानी शक के घेरे में तमाम चीजें खुद साफ़ हो गयी हैं.
इजरायली हमलों में सफीदीन भी शामिल है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह बेरूत में हिजबुल्लाह की शूरा परिषद की बैठक में मारा गया था, जिसमें कानी को भाग लेना था. पहले तो यह माना गया कि कानी मारा गया या घायल हो गया, लेकिन बाद में पता चला कि उसने बैठक से खुद को अलग कर लिया.
मंगलवार को, कुद्स फोर्स के डिप्टी कमांडर और बगदाद में ईरान के पूर्व राजदूत इराज मस्जिदी ने कहा कि कानी 'अच्छे स्वास्थ्य में हैं और अपने दैनिक कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं.'
ईरान के नज़दीकी एक सशस्त्र गुट के कमांडर ने इस पूरे विषय पर अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि, 'ईरानियों को गंभीर संदेह है कि इज़रायलियों ने इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स में घुसपैठ की है, ख़ास तौर पर लेबनानी क्षेत्र में काम करने वालों में, इसलिए सभी की जांच की जा रही है. 'फ़िलहाल कुछ भी निश्चित नहीं है. जांच अभी भी जारी है और सभी संभावनाएं खुली हैं.
नसरल्लाह की मौत के मामले में ईरान की जांच कुद्स बल के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल अब्बास निलफोरुशन की अंतिम गतिविधियों पर भी केंद्रित है, जिनकी मौत हसन नसरल्लाह के साथ ही हुई थी. निलफोरुशन ने हाल ही में ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा जाहेदी से कार्यभार संभाला था, जो अप्रैल में एक अन्य इजरायली हमले में मारे गए थे.
सूत्रों ने बताया कि नसरल्लाह अपनी हत्या से एक रात पहले बेरूत के दक्षिणी उपनगरों के बाहर था, लेकिन एक सीक्रेट ऑपरेशन रूम में निलफोरुशन से मिलने के लिए वापस इस क्षेत्र में आया था. निलफोरुशन, जो तेहरान से बेरूत आया था, उसे सीधे एक विमान से हरेत हरेक उपनगर में बने बंकर में ले जाया गया. और जैसे ही नसरल्लाह, कानी के साथी से मिलने के लिए मीटिंग में आया उसे छह विशाल बंकर-बस्टर बमों की मदद से मार दिया गया.
स्वयं ईरान में तमाम लोग ऐसे हैं जो जिस बात को लेकर एकमत हैं कि नसरल्लाह की मौत की वजह ईरानियों की तरफ से हुई मुखबिरी है. नसरल्लाह की मौत के बाद कानी लेबनान में थे. कहा ये भी जा रहा है कि जिस दिन हवाई हमला हुआ उस दिन उन्हें सफीदीन के निमंत्रण पर शूरा परिषद की बैठक में शामिल होना था मगर कानी इजरायल द्वारा हमले से पहले ही वहां से चले गए थे.
इस विषय और कानी की कार्यप्रणाली पर हिजबुल्लाह के एक सूत्र ने मिडिल ईस्ट आई से बात भी की है और कहा है कि, 'इजरायल ने इस बैठक के स्थल पर एक ऐसा हमला किया जो नसरल्लाह को निशाना बनाने वाले हमले से बड़ा और कठोर था. उन्हें किसी भी कीमत पर सफीद्दीन को मारना था. वहीं ये भी बताया गया कि कानी को इस बैठक में आमंत्रित किया गया था लेकिन वो अनुपस्थित रहे.
बहरहाल, जिस तरह शीर्ष सैन्य प्रमुख पर इजरायल का एजेंट होने के आरोप लगे हैं. कहना गलत नहीं है कि एक मुल्क के रूप में ईरान के सामने चुनौती दोहरी है. उसे युद्ध के मैदान में दुश्मन से तो जंग लड़नी ही है साथ ही जिस तरह अपने ही लोग चुनौती बने हुए हैं उनका भी खात्मा करना है.
ईरान अपनी इस मुहीम में कितना कामयाब होता है? यक़ीनन इसका फैसला वक़्त करेगा, लेकिन जिस तरह वर्तमान में घर के लोग भेदी बने हैं उसने इतना तो बता ही दिया है कि इजरायल आधा युद्ध जीत चुका है.
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