क्या Hamas-Hezbollah की टॉप लीडरशिप का सफाया कर Israel जीत सकता है युद्ध?

Written By बिलाल एम जाफ़री | Updated: Oct 22, 2024, 09:45 PM IST

16 अक्टूबर को इजरायली सेना ने हमास प्रमुख और सैन्य नेता याह्या सिनवार को मुठभेड़ में मार गिराया. इजरायल सिनवार की मौत को एक बड़ी जीत मान रहा है. सवाल ये है कि क्या इजरायल हमास के शीर्ष नेतृत्व की टार्गेटेड किलिंग से युद्ध जीत सकता है?

16 अक्टूबर 2024. वो दिन जब गाजा में चल रहे युद्ध में एक और बड़ी सामरिक जीत में, इजरायली सेना ने हमास प्रमुख और सैन्य नेता याह्या सिनवार को एक ऑपरेशन में मार गिराया. 30 जुलाई 2023 के बाद से, हमास या हिजबुल्लाह के शीर्ष नेताओं की हत्या इजरायल के लिए विरोधी ताकतों पर दबाव बनाने का एक विकल्प बन गई है. लेबनान में हिजबुल्लाह पर पेजर और वॉकी-टॉकी से हमला और उसके बाद उसके करिश्माई नेता हसन नसरल्लाह की टारगेट किलिंग युद्ध में चर्चा का मुख्य विषय रही है. हालांकि ये टारगेटेड किलिंग कोई नई घटना नहीं हैं.

बताते चलें कि अपनी युद्ध रणनीति के एक हिस्से के रूप में, इज़राइल ने हमास और हिज़्बुल्लाह के प्रमुख नेताओं को ट्रैक करने और उन्हें सही समय पर खत्म करने के लिए बहुत सारे खुफिया संसाधन लगाए हैं. इजरायल हमास युद्ध के तीन महीने बाद, पिछले साल 25 दिसंबर को ईरान के सबसे प्रभावशाली सैन्य कमांडर सैय्यद रज़ी मौसवी की सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक संदिग्ध इज़राइली हवाई हमले में मौत हो गई थी.

बताया जाता है कि कुद्स फोर्स के जनरल मौसवी जनवरी 2020 में कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद से मारे गए सबसे वरिष्ठ इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स कमांडर थे. 2 जनवरी को, विदेश में हमास के उप नेता सालेह अल-अरोरी, जो पश्चिमी तट में इसके सैन्य विंग के नेता थे, लेबनान के बेरूत के दहियाह उपनगर में एक इजरायली हमले में मारे गए.

 4 जनवरी को, एक संदिग्ध अमेरिकी ड्रोन हमले में इराकी राजधानी में हरकत अल-नुजाबा, एक ईरान समर्थक मिलिशिया समूह के संचालन के उप कमांडर मुश्ताक तालिब अल-सैदी की मौत हो गई. अगली बड़ी टारगेट किलिंग 1 अप्रैल को हुई, जब एक इजरायली हवाई हमले ने दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास को निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप लेबनान और सीरिया में सबसे वरिष्ठ IRGC कमांडर जनरल मोहम्मद रेजा ज़ाहेदी की मौत हो गई.

लेकिन, 30 जुलाई की रात, जिस दिन ईरान के नए राष्ट्रपति ने शपथ ली थी, सबसे घातक मानी जाती है. इस दिन तेहरान में हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हनीया की हत्या हुई. बेरूत में, एक हमले में हिजबुल्लाह के एक वरिष्ठ सैन्य कमांडर फुआद शुक्र को मार गिराया गया. उसी रात, ईरान के IRGC एयरोस्पेस फोर्सेज के ब्रिगेडियर जनरल आमिर अली हाजीजादेह की भी हत्या कर दी गई.

बाद में, सितंबर में, टार्गेटेड किलिंग की एक श्रृंखला में, इज़राइल ने 27 अगस्त को हसन नसरल्लाह सहित हिजबुल्लाह के शीर्ष नेतृत्व के कम से कम तीन स्तरों को खत्म कर दिया।

जिस तरह एक एक कर इजरायल ने अपने सभी दुश्मनों को मार गिराया, सवाल खड़ा होता है कि क्या ये रणनीति उसके लिए कारगर रही है? इसमें कोई संदेह नहीं है कि शीर्ष नेताओं की हत्या सम्पूर्ण कैडर के लिए मनोबल गिराने वाली है. खास तौर पर हिजबुल्लाह के मामले में, पेजर हमलों के ज़रिए इसके पूरे नेतृत्व को निशाना बनाकर खत्म करना और इसके संचार नेटवर्क को नष्ट करना एक गंभीर शारीरिक आघात था.

इसका फ़ायदा उठाते हुए, इजरायली सेना ने लेबनान में जमीनी अभियान शुरू करने का फ़ैसला किया।  इसका उद्देश्य बस इतना था कि वो तमाम इजरायली जो उत्तरी इज़रायल छोड़ चुके हैं वापस लौटें। हालांकि, इजरायली सेना को न केवल रोका गया है, बल्कि उसके टैंक्स को निशाना बनाया गया. 

वहीं बात हिजबुल्लाह की हो तो भले ही इजरायल ने हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को मार दिया. बावजूद इसके हिजबुल्लाह मोर्चे पर खड़ा है और हाइफा, किरयात शमोना, एकर और यहां तक ​​कि तेल अवीव को लगातार निशाना बना रहा है जिससे इजरायल को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नुकसान हो रहा है. 

इसके बाद यदि हम गाजा पट्टी का जिक्र करते हैं तो भले ही वहां इजरायल ने हमास के तमाम कमांडरों को मौत के घाट उतार दिया हो.  लेकिन जैसा प्रतिशोध है, गाजा में भी इजरायल को हमास के शेष बचे लड़ाकों से मोर्चा लेना पड़ रहा है. हम फिर से उसी बात को दोहराएंगे कि यदि इजरायल को ये जंग जितनी है तो उसे बिलकुल निचले स्तर पर एक्शन लेना होगा. 

भले ही इजरायल ने एक एक कर अपने बड़े दुश्मनों का खात्मा कर दिया हो लेकिन तमाम मौतों के बाद जैसी स्थिति बनी है. ये कहना गलत नहीं है कि इजरायल का 'हमास और हिजबुल्लाह को धरती से मिटाने' का घोषित लक्ष्य कहीं नहीं पहुंच पा रहा है.

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