युद्ध भले ही दो देशों को कूटनीतिक फायदा दे. नेता इसको आधार बनाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक कर नाम कमाएं. लेकिन इसके चलते हानि हमेशा आम लोगों को हुई है. नुकसान कितना बड़ा होता है? यदि प्रश्न कुछ ऐसा हो तो हम सुदूर फिलिस्तीन का रुख कर सकते हैं और गाजा पट्टी का अवलोकन कर सकते हैं. उत्तरी गाजा के अस्पताल काम करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. वजह है इजरायल की चेतावनी. बता दें कि इजरायली सैन्य अभियान जारी है ऐसे में जो सहायता एजेंसियां हैं वो सिर्फ तबाही की तरफ इशारा कर रही हैं.
पिछले हफ़्ते IDF ने कमाल अदवान नामक अस्पताल पर छापा मारा और 100 के आस पास संदिग्ध लोगों को गिरफ़्तार किया, बताया जा रहा है कि गिरफ्तार किये गए ज्यादातर लोगों में मेडिकल कर्मचारी हैं. इजरायल द्वारा लिए गए इसा एक्शन का नतीजा ये निकला है कि, अब सैकड़ों रोगियों की देखभाल करने के लिए केवल कुछ डॉक्टर ही बचे हैं.
अस्पताल की स्थिति किस हद तक ख़राब है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि घायल लोग जहां भी जगह मिलती है, लेट जाते हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो अस्पताल से बस कभी-कभार दर्द की चीख़ या कराह सुनाई देती है, ज़्यादातर लोग इस भयावह युद्ध के प्रति चुप और स्तब्ध हैं.
अस्पताल की जो तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हुई हैं. यदि उनपर गौर किया जाए तो सर्जरी के फर्श पर सर्जिकल दस्ताने, खून और आयोडीन के पूल और दवा के पैकेट बिखरे पड़े हैं. अस्पताल के गलियारों के किनारों पर ढेरों गंदे गाउन और कंबल पड़े हैं. इसके अलावा वो तस्वीरें भी आई हैं जिनमें अस्पताल के स्टोररूम में भयंकर तोड़फोड़ की गई है.
IDFद्वारा की गई इस छापेमारी के बाद अस्पताल के निदेशक डॉ. हुसाम अबू सफ़िया ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि, हमने जो कुछ भी बनाया था, उसे उन्होंने जलाकर राख कर दिया. उन्होंने ये भी कहा कि IDF ने हमारे दिलों में आग लगा दी. साथ ही डॉक्टर ने भी बताया कि किस तरह इजरायली सेना ने उनके एकलौते बेटे को मौत के घाट उतारा.
बताते चलें कि डॉ. हुसाम अबू सफ़िया अस्पताल में बचे हुए केवल दो डॉक्टरों में से एक हैं. उन्होंने कहा, 'हालात कुल मिलाकर भयावह हैं. हम जो विशेष सुविधाएं प्रदान करते हैं, वे वर्तमान में मौजूद नहीं हैं.'
ताजा हालात पर अफसोस जाहिर करते हुए डॉ. हुसाम अबू सफ़िया ने ये भी कहा कि,'ईमानदारी से कहूं तो हम कुछ भी प्रदान नहीं कर सकते. स्वास्थ्य सेवा प्रणाली ध्वस्त हो गई है. इजरायली सेनाएं वापस जाने के बाद हमें भयानक स्थिति में छोड़ गई हैं. हम यह भी नहीं बता सकते कि हमने क्या देखा.
अस्पताल पर की गई कार्रवाई पर अपनी सफाई पेश करते हुए IDF ने दावा किया है कि अस्पताल का इस्तेमाल हमास के अड्डे के रूप में किया जा रहा था. अपने दावों को मजबूत आधार देने के लिए IDF ने साइट पर मिले हथियारों को दिखाने वाला वीडियो पोस्ट किया है. अस्पताल के बचे कुचे कर्मचारियों ने इस बात पर जोर दिया कि अस्पताल में हमास की कोई मौजूदगी नहीं थी.
वहीं अपने एक बयान में, इजरायल ने कहा है कि इसने हाल के हफ्तों में '88 रोगियों, देखभाल करने वालों और कर्मचारियों के स्थानांतरण' में मदद की है. बयान में इजरायल की तरफ से ये भी कहा गया है कि 30,000 लीटर ईंधन वाले दो ईंधन ट्रकों को अस्पताल परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी.
गौरतलब है कि अस्पताल के बाहर हालात अब भी पहले जैसे ही हैं आसमान में इज़राइली ड्रोन की कभी न खत्म होने वाली गड़गड़ाहट जारी है. जैसे ही उन्हें कुछ भी संदिग्ध लगता है वो हमला कर देते हैं.
वो तमाम लोग जो गाजा में राहत और बचाव में लगे हैं उनका लगातार यही कहना है कि वे कई क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पाए हैं. वहीं गाजा के लोगों का दावा है कि उन्हें बहुत कम या कोई सहायता नहीं मिली है. ध्यान रहे इजरायल अभी भी अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों को गाजा में प्रवेश करने से रोक रहा है.
बताया ये भी जा रहा है कि इजरायल ने सभी को वहां से चले जाने का आदेश दिया है. बहुत से लोग वहां से चले गए हैं, लेकिन कथित तौर पर हज़ारों लोग अभी भी वहां हैं, जो या तो जाने में असमर्थ हैं या जाने के लिए तैयार नहीं हैं. हालांकि, गाजा में रहने की कीमत या ये कहें कि अवज्ञा की कीमत सीधे और स्पष्ट तौर पर मौत का जोखिम है.
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