Israel-Hamas war anniversary: इजरायल या फिलिस्तीन गुजरे 1 सालों में किसने उठाया ज्यादा नुकसान

Written By बिलाल एम जाफ़री | Updated: Oct 07, 2024, 09:49 PM IST

Israel-Hamas war anniversary: देश कोई भी हो अगर युद्ध की चपेट में आया तो उसका नुकसान ही होता है. 7 अक्टूबर को हमास के आतंकवादियों ने लगभग 1,200 लोगों की हत्या कर दी और मध्य पूर्व को संकट में डाल दिया. चाहे वो इजरायल हो या फिलिस्तीन गुजरे 1 साल में किसके साथ क्या हुआ आइये जानें.

7 अक्टूबर को हमास आतंकवादियों द्वारा किए गए नरसंहार के एक साल पूरे होने पर, दुनिया के कई शहरों में गाजा के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं. बताते चलें कि उस एक दिन यानी 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल  में 1,200 लोग मारे गए और 251 का अपहरण कर लिया गया. इजरायल ने हमास पर प्रतिशोध के साथ हमला किया, और उस पर गाजा में असंगत बल का उपयोग करने का आरोप लगाया गया है. ध्यान रहे फिलिस्तीन में पिछले एक साल से बहुत ज़्यादा खून बहा रहा है जिससे गाजा में बहुत नुक्सान हुआ है. 

6 अक्टूबर को, हमास हमले की सालगिरह की पूर्व संध्या पर, इजरायल रक्षा बलों (IDF) ने इजरायल को हुए नुकसान और अपने ऑपरेशनल सक्सेस पर विस्तृत डेटा प्रकाशित किया है. 

7 अक्टूबर को हुए हमले में कितने इज़रायली सैनिक मारे गए?

इस सवाल के जवाब के लिए हमें आईडीएफ द्वारा पेश किये गए उस डेटा को देखना होगा, जिसके जरिये इजरायल ने तमाम बड़ी बातें की हैं. डेटा के अनुसार, 7 अक्टूबर, 2023 को युद्ध की शुरुआत से अब तक 726 इज़रायली सैनिक मारे गए हैं और 4,576 लोग घायल हुए हैं.

आईडीएफ ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि यह संख्या 'युद्ध में मारे गए उन लोगों की है जिनके नाम प्रकाशित करने की अनुमति दी गई थी. ' वहीं आईडीएफ ने ये भी कहा कि पिछले एक साल में ऑपरेशनल एक्सीडेंट्स में 56 सैनिक मारे गए हैं.

7 अक्टूबर को इज़रायल ने गाजा जिसे हमास का आधार कहा जाता है, वहां पर हमले किये और हमास को उसी की भाषा में जवाब दिया.  

आईडीएफ ने कहा कि उसने गाजा पट्टी में हमले कर 17,000 आतंकवादियों को मार गिराया है. मारे गए आतंकवादियों के बारे में बताते हुए आईडीएफ ने कहा है कि उसके द्वारा किये गए हमलों में लगभग आठ ब्रिगेडियर जनरल और उससे ऊपर की रैंक के अलावा  30 मेजर जनरल मारे गए हैं. 

आईडीएफ ने यह भी कहा कि उसने गाजा पट्टी में हवाई हमलों में 40,300 लक्ष्यों और लेबनान-क्षेत्र में 4,900 लक्ष्यों को निशाना बनाया है. गाजा पट्टी में, इज़राइल 1,000 से अधिक लॉन्च साइटों और टेलीपोर्टर्स को नष्ट करने में कामयाब रहा. लेबनान में आईडीएफ के हमले का लक्ष्य ईरान समर्थित आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह था, जिसने 7 अक्टूबर, 2023 से इज़राइल में 8,000 से अधिक रॉकेट दागे हैं.

इजरायली हमले में कितने फिलिस्तीनी मारे गए?

लेबनान में इजरायली हवाई हमलों और जमीनी हमलों में करीब 1,800 लोग मारे गए हैं. जबकि इन हमलों के चलते 1.2 मिलियन लोग शरणार्थी बनने पर मजबूर हुए हैं. 

इसके अलावा बात यदि गाजा की हो तो गाजा पट्टी में मानवीय तबाही दिल दहला देने वाली है.  हमास समर्थित गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले एक साल में इजरायली हमले में गाजा पट्टी में 41,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं। जबकि लाखों गाजावासी बेघर हुए हैं. 

गौरतलब है कि 7 अक्टूबर को हमास के हमले से मध्य पूर्व संकट में फंस गया है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह ईरान द्वारा रचा गया था, जिसने सऊदी अरब और इजरायल के बीच एक आसन्न ऐतिहासिक समझौते को विफल करने के लिए अपने प्रॉक्सी हमास का उपयोग किया.

वर्तमान में मध्य पूर्व में जैसे हालात हैं, कह सकते हैं कि इसने सुन्नी पावरहाउस और यहूदी राष्ट्र के बीच समझौते को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. माना जा रहा है कि सिर्फ़ कूटनीतिक संबंधों को ही नहीं, युद्ध ने इजरायल को आर्थिक रूप से भी नुकसान पहुंचाया है.

बताते चलें कि बैंक ऑफ इज़राइल के गवर्नर अमीर यारोन ने मई में चेतावनी दी थी कि हमास के साथ युद्ध से इजरायल को 2023 और 2025 के बीच लगभग 67 बिलियन डॉलर का नुकसान होने की संभावना है. वहीं ये भी कहा गया था कि युद्ध व्यय का लगभग आधा हिस्सा, लगभग 32 बिलियन डॉलर, रक्षा आवश्यकताओं पर और 10 बिलियन डॉलर 2025 तक पुनर्वास सहित नागरिक व्यय के लिए खर्च होगा.

टाइम्स ऑफ इज़राइल की रिपोर्ट के अनुसार यारोन ने ये भी कहा कि, 'यह निश्चित रूप से एक बजटीय बोझ है. इसके अलावा, भविष्य के रक्षा बजट में स्थायी आधार पर वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसका व्यापक आर्थिक प्रभाव होगा.' कहा जा रहा है युद्ध से इजराइल की क्रेडिट रेटिंग में भी गिरावट देखी गई है. 

बहरहाल अब जबकि इजरायल हमास युद्ध को एक साल हो गया है और जैसे हालात स्थापित हुए है, कहा जा सकता है कि युद्ध मानव जीवन और अर्थव्यवस्था दोनों के लिहाज से एक महंगा मामला है. चाहे वो इजरायल हो या फिलिस्तीन दोनों ही स्थानों पर हालात बहुत ज्यादा ख़राब हैं जिससे प्रभावित आम लोग हो रहे हैं.  

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