डीएनए हिंदी: Isarel Hamas Conflict Latest News- इजरायल पर हमला कर फिलिस्तीनी आतंकी समूह हमास ने करीब 1,000 लोगों से ज्यादा की हत्या कर दी है. इसके बाद इजरायल ने भयंकर युद्ध छेड़ रखा है, जिसमें इजरायली विमानों ने हमास के कब्जे वाले गाजा पट्टी इलाके को खंडहर वाले कब्रिस्तान में तब्दील कर दिया है. हमास के इस भयानक हमले का लिंक दिल्ली क्रिप्टोकरेंसी केस (Delhi Cryptocurrency Case 2022) से भी जुड़ रहा है. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की जांच में सामने आया है कि साल 2022 में दिल्ली के एक बिजनेसमैन के वॉलेट से चोरी हुई करीब 30 लाख रुपये की क्रिप्टोकरेंसी फिलिस्तीनी आतंकी समूह हमास (Palestinian terrorist group Hamas) के अकाउंट में ट्रांसफर की गई थी. यह केस इजरायल-हमास युद्ध (Israel-Hamas war) के बीच में एक बार फिर चर्चा में आ गया है. जो सबूत पुलिस के हाथ लगे हैं, जिनसे माना जा रहा है कि इस पैसे का इस्तेमाल हमास ने इजरायल पर बरसाए गए रॉकेट खरीदने में किया होगा.
हमास को भारत से लगातार भेजी जा रही ब्लैक मनी
दिल्ली पुलिस के हाथ साल 2022 में हुए क्रिप्टोकरेंसी केस को क्रैक करने के दौरान कुछ खास सबूत लगे हैं. इन सबूतों में दिल्ली से गाजा स्थित आतंकी समूह हमास के बीच एक मनी ट्रेल मिली है. इस मनी ट्रेल से ये साबित हो रहा है कि भारत से इस आतंकी समूह को लगातार ब्लैक मनी के जरिये फंडिंग की जा रही है. इजरायल-हमास युद्ध के बीच यह केस एक बार फिर चर्चा में आ गया है. यह बात इस कारण भी चर्चा में आई है, क्योंकि इजरायली अथॉरिटीज ने भी इस बात का खुलासा किया है कि हमास फंडिंग लेने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करता है ताकि उसे मिलने वाला पैसा आसानी से टैरर फंडिंग की निगरानी करने वालों की पकड़ में ना आ सके. इजरायली अधिकारियों ने बताया है कि हमास ने क्रिप्टोकरेंसी के जरिए पैसा जुटाने का फंडरेजिंग कैंपेन शुरू किया है.
दिल्ली पुलिस की जांच में क्या बात आई थी सामने?
दिल्ली में एक बिजनेसमैन के वॉलेट से साल 2022 में करीब 30 लाख रुपये की क्रिप्टोकरेंसी चोरी हो गई थी. पुलिस को मिली शिकायत के मुताबिक, यह चोरी करने वालों ने वॉलेट में मौजूद करीब 30 लाख रुपये कीमत के बिटकॉइन्स (Bitcoins), इथेरियम (Ethereum) और बिटकॉइन्स कैश दूसरे अकाउंट्स में ट्रांसफर कर लिए थे. इस मामले में कोर्ट के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी. इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट के स्पेशल सेल (Delhi Police Cyber Crime Unit) को सौंपी गई थी. एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, जांच के दौरान सामने आया कि बिजनेसमैन के वॉलेट से चोरी किए गए क्रिप्टो साइफनिंग (कई अलग-अलग अकाउंट्स में घुमाकर छिपाने की प्रक्रिया) के जरिये हमास आतंकियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए गए थे.
अल-कासिम ब्रिगेड के अकाउंट में पहुंचा था पैसा
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक, जांच में सामने आया है कि क्रिप्टोकरेंसी के रूप में चुराए गए पैसे की मनी ट्रेल अल-कासिम ब्रिगेड्स (Al-Qassam Brigades) के क्रिप्टो वॉलेट में खत्म हुई है. अल-कासिम ब्रिगेड्स हमास की मिलिट्री विंग है, जिसने इजरायल पर यह हमला किया है. क्रिप्टोकरेंसी का अहम हिस्सा मिस्र में अहमद मारजूक और फिलिस्तीन के अहमद क्यूएच सैफी के अकाउंट्स में ट्रांसफर हुआ है. ये वॉलेट मिस्र के गीजा शहर से ऑपरेट किए जाते हैं. मोहम्मद नासिर इब्राहिम अब्दुल्ला के वॉलेट्स में भी क्रिप्टो जमा कराए जाते थे, लेकिन यह अकाउंट इजरायल ने टैरर-फाइनेंस क्रैकडाउन के दौरान जब्त करा दिए थे. हमास से जुड़े इन आतंकियों के वॉलेट में पहुंचने से पहले पैसा कई अन्य निजी वॉलेट्स में से घुमाया गया था ताकि इसके टैरर फंडिंग होने की बात को छिपाया जा सके.
इजरायल रक्षा मंत्रालय ने क्या जानकारी दी है?
दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट से पहले ही इजरायल का रक्षा मंत्रालय भी हमास की टैरर फंडिंग का खुलासा कर चुका है. इजरायली रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि हमास ने सोशल नेटवर्क्स पर एक फंडरेजिंग कैंपेन चलाया था. कैंपेन में हमास ने लोगों से अपने खातों में क्रिप्टोकरेंसी के जरिये पैसा जमा कराने की अपील की थी. इजरायली अधिकारियों ने यह भी बताया है कि उन्होंने ऐसे बहुत सारे क्रिप्टोकरेंसी अकाउंट्स हमास की अपील के बाद क्रिप्टो एक्सचेंजों की मदद से बंद भी कराए हैं. इसके बावजूद हमास ने जितने बड़े पैमाने पर हमला किया है, उससे यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि वह बहुत सारा पैसा फंडरेजिंग के जरिये जुटाने में सफल रहा है.
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