डीएनए हिंदी: Latest News in Hindi- अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) से पहले भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही अपनी-अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी हुई हैं. दोनों दल इसके लिए ज्यादा से ज्यादा दलों को अपने नेतृत्व वाले गठबंधनों में शामिल कराने की कोशिश कर रही हैं. इस कवायद में भाजपा के हाथ एक बड़ी सफलता लगी है. कर्नाटक में दमखम रखने वाली पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल (सेक्युलर) ने BJP नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) का दामन थाम लिया है. JDS के NDA में शामिल होने की घोषणा शुक्रवार शाम को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने एक्स (पहले ट्विटर) पर की. इसे कर्नाटक में भाजपा के लिए बड़ा बूस्टअप माना जा रहा है, जहां भगवा दल ने कुछ ही महीने पहले कांग्रेस के हाथों अपनी राज्य सरकार गंवाई है. विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ी JDS के साथ आने से भगवा दल को वहां कांग्रेस के खिलाफ मजबूती से खड़े होने में मदद मिलेगी. इसे विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A के लिए भी करारा झटका माना जा रहा है, जो JDS को लगातार अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रहा था.
कुमारास्वामी से मुलाकात के बाद हुई घोषणा
JDS के NDA में शामिल होने की घोषणा उसके नेताओं की भाजपा नेताओं से मुलाकात के बाद हुई. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मिलने के लिए देवगौड़ा के बेटे और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी पहुंचे. कुमारास्वामी के साथ उनके बेटे भी थे. इस मीटिंग में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भी मौजूद थे, जिन्हें इस गठबंधन का सूत्रधार माना जा रहा है. इस मुलाकात के बाद जेडीएस के एनडीए का हिस्सा बनने की औपचारिक घोषणा कर दी गई. इस घोषणा के बाद नड्डा ने ट्वीट में लिखा, मैं खुश हूं कि जेडीएस ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बनने का निर्णय लिया है. हम तहेदिल से उनका NDA में स्वागत करते हैं.
नए संसद भवन में लिखी गई थी इस गठबंधन की पटकथा
जेडीएस के एनडीए में शामिल होने की घोषणा भले ही शुक्रवार को हुई है, लेकिन इस गठजोड़ की पटकथा गुरुवार को नए संसद भवन में ही लिख दी गई थी. संसद भवन में एचडी देवेगौड़ा ने अपने बेटे एचडी कुमारास्वामी के साथ अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में ही जेडीएस और भाजपा के बीच कर्नाटक में लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha elections) के लिए गठबंधन करने को लेकर चर्चा हुई थी. इसी बैठक में दोनों दलों ने गठबंधन की शर्तों पर मुहर लगाई है, जिसके बाद अब जेडीएस के एनडीए का हिस्सा बनने की औपचारिक घोषणा कर दी गई है.
पहले भी उड़ी थी अफवाह, तब जेडीएस ने कर दिया था इनकार
जेडीएस के भाजपा के साथ गठबंधन बनाने की अफवाह कुछ दिन पहले तब भी उड़ी थी, जब विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन बनाया था. जेडीएस ने विपक्षी गठबंधन से दूरी बनाई थी. उसी समय कहा गया था कि कर्नाटक में भाजपा और जेडीएस एकसाथ कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी. इसका इशारा कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री व प्रमुख भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने किया था. उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में जेडीएस के साथ साझेदारी करने पर विचार कर रही है. हालांकि उस समय जेडीएस ने ऐसे किसी भी गठबंधन की चर्चा से इनकार कर दिया था.
कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है जेडीएस-भाजपा गठजोड़
जेडीएस का भाजपा खेमे में जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. साल 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस और जेडीएस ने आपसी गठबंधन में लड़ा था. उस समय कर्नाटक में दोनों पार्टियों की साझा सरकार थी, जिसका मुख्यमंत्री पद एचडी कुमारास्वामी संभाल रहे थे. हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद यह गठबंधन टूट गया था और सरकार गिर गई थी. इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस अलग-अलग हो गए थे. इस साल हुए विधानसभा चुनाव में भी दोनों दलों ने आपस में गठबंधन नहीं किया था, जिसका लाभ कांग्रेस को मिला था. राज्य में सरकार चला रही भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी रूझान के कारण कांग्रेस को पहले ही लाभ हो रहा था. इसमें माना गया था कि जेडीएस के भी अलग लड़ने से भाजपा के ही वोटबैंक में सेंध लगी थी. इसके उलट अब राज्य में कांग्रेस की सरकार है, जिसके कई चुनावी वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं. ऐसे में यदि भाजपा और जेडीएस एकसाथ आते हैं तो इस बार कांग्रेस के वोटबैंक में सेंध लग सकती है.
जेडीएस का है कर्नाटक में खास वोटबैंक, भाजपा को होगा इसका लाभ
जेडीएस की स्थापना जून 1996 से अप्रैल 1997 तक देश के प्रधानमंत्री रहे एचडी देवेगौड़ा (HD Deve Gowda) ने की थी. जेडीएस को उत्तर और तटीय कर्नाटक में अहम खिलाड़ी नहीं माना जाता है, लेकिन दक्षिणी कर्नाटक उसका खास गढ़ है. यहां जेडीएस को भाजपा और कांग्रेस पर भारी माना जाता है. दक्षिण कर्नाटक में भाजपा को बेहद कमजोर माना जाता है. यहां के पुराने मैसूर इलाके में ही 38 विधानसभा क्षेत्रों पर जेडीएस बेहद मजबूत है, जबकि भाजपा यहां तीसरे नंबर पर रहती है. साल 2008 से कर्नाटक में जेडीएस का वोट शेयर 18 से 20% के बीच रहता है. भाजपा के साथ गठबंधन के बाद यह वोट शेयर उसे भी ट्रांसफर होगा, जिससे लोकसभा चुनाव के दौरान उसके उम्मीदवारों को कम से कम 61 विधानसभा क्षेत्रों में लाभ मिलेगा. इसके अलावा एचडी देवेगौड़ा की किसान नेता होने की छवि का लाभ दूसरे राज्यों में मिलने की भी संभावना है.
पिछली बार 1 सीट जीती जेडीएस को मिल सकती हैं 4 सीट
सूत्रों के आधार पर सामने आ रही जानकारी में जेडीएस को आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से 4 सीट पर उम्मीदवार उतारने का मौका मिलेगा. राज्य में कुल 28 लोकसभा सीट हैं. साल 2019 में भाजपा और NDA के समर्थन से लड़ी एक निर्दलीय उम्मीदवार ने 28 में से 26 सीट जीती थी. जेडीएस और कांग्रेस को 1-1 सीट मिली थी. जेडीएस को उस चुनाव में 9.74% वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 32.11 और भाजपा को 51.75% वोट मिले थे. फिलहाल राज्य में भाजपा विरोधी लहर मानी जा रही है. ऐसे में यदि उसका वोट शेयर कुछ घटता भी है तो जेडीएस के साथ आने से उसे बैलैंस करने में मदद मिलने की उम्मीद है. इस लिहाज से देखा जाए तो भाजपा के लिए जेडीएस से गठबंधन करना बेहद फायदेमंद हो सकता है.
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