BJP Meet 2023: JP Nadda का क्यों बढ़ा कार्यकाल, जानिए इसके पीछे का पूरा गणित

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Jan 18, 2023, 12:13 AM IST

JP Nadda को कार्यकाल बढ़ने पर पीएम Narendra Modi ने बधाई दी. (फोटो- Twitter/BJP4India)

JP Nadda BJP President: भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अपने अध्यक्ष जेपी नड्डा को जून, 2024 तक कार्यकाल विस्तार देने का प्रस्ताव मंजूर किया है.

डीएनए हिंदी: BJP News- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को इस पद पर डेढ़ साल का कार्यकाल विस्तार मिल गया है. वे अब जून, 2024 तक इस पद पर बने रहेंगे. उनका कार्यकाल बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर मंगलवार को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक (BJP National Executive Meeting) में मंजूरी की मुहर लगा दी गई. नड्डा का कार्यकाल बढ़ाए जाने का प्रस्ताव केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने पेश किया, जिसे सभी ने सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया. इसके साथ ही उन कयासों पर भी फुलस्टॉप लग गया है, जिनमें नड्डा की जगह किसी नए चेहरे को अध्यक्ष पद पर लाए जाने का अनुमान लगाया जा रहा था. दरअसल भाजपा को पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार मिली थी, जो जेपी नड्डा का गृह राज्य है. माना जा रहा था कि इस हार से उनकी स्थिति पार्टी के अंदर कमजोर हुई है. नड्डा का अध्यक्ष पद पर मौजूदा कार्यकाल 20 जनवरी को पूरा हो रहा है. ऐसे में उनका कार्यकाल आगे बढ़ने की संभावना कम ही मानी जा रही थी. इसके बावजूद नड्डा का कार्यकाल आगे बढ़ाने के पीछे कई तरह के गणित रहे हैं.

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नड्डा के कार्यकाल में भाजपा ने लांघे कई राज्य

भले ही जेपी नड्डा राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए अपने गृह राज्य में ही भाजपा को जीत नहीं दिला पाए हों, लेकिन उनका समूचा कार्यकाल भाजपा का बेहतरीन दौर रहा है. इस दौरान भाजपा ने कई राज्यों में बेहतरीन सफलताएं हासिल कीं और उत्तर-पूर्व तक में अपना विस्तार किया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाए जाने की जानकारी देते समय इन सफलताओं का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि नड्डा की अध्यक्षता में भाजपा ने गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में रिकॉर्डतोड़ परिणाम के साथ वापसी की. बिहार और महाराष्ट्र में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी रही. पश्चिम बंगाल में भी पार्टी की सीट बढ़ीं थीं, जबकि गोवा और मणिपुर में भी पार्टी को बड़ी जीत मिली थी.

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इस साल होने हैं 9 राज्यों में चुनाव

साल 2023 के दौरान देश के 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन राज्यों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल हैं. जहां मध्य प्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में भाजपा की अपनी या गठबंधन की सरकार है, वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी की नजर कांग्रेस को हटाकर सत्ता में वापसी पर टिकी है. तेलंगाना में भी इस बार भाजपा ने मजबूत चुनौती दे रखी है और फरवरी महीने में राज्य में 11,000 रैलियां करने जा रही है. ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष को बदलने से संगठन की सक्रियता के प्रभावित होने का खतरा पैदा हो सकता था. भाजपा थिंकटैंक इस समय यह रिस्क लेने को तैयार नहीं था. इस फैक्टर ने भी नड्डा का कार्यकाल बढ़ने में अहम भूमिका निभाई है.

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नया अध्यक्ष चुनने को संगठन के चुनाव का समय नहीं

राष्ट्रीय अध्यक्ष बदलने के बजाय कार्यकाल बढ़ाने के पीछे एक कारण भाजपा का संविधान भी है. दरअसल नया अध्यक्ष चुनने से पहले भाजपा के संविधान के हिसाब से संगठन के चुनाव कराने पड़ते हैं. इसके लिए कम से कम 50 फीसदी राज्यों में पार्टी संगठन के चुनाव कराकर नए सदस्यों का चयन करना पड़ता है. इसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया पूरी हो सकती है. अब नड्डा का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म होना था और पार्टी थिंकटैंक के हिसाब से 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच संगठन चुनाव कराना मुनासिब नहीं है. इस कारण नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के बजाय नड्डा को कार्यकाल विस्तार देने का निर्णय लिया गया, जो पहले से ही पार्टी की रणनीति में पूरी तरह हिट और फिट हैं. 

पार्टी संविधान में अध्यक्ष पद पर दो बार और कुल 3 साल का कार्यकाल विस्तार देने की व्यवस्था भी है. नड्डा ने जुलाई, 2019 में कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर पद संभाला था और 20 जनवरी, 2020 को वह पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने गए थे. इस लिहाज से उन्हें नियमों के हिसाब से कार्यकाल विस्तार देने में कोई अड़चन भी नहीं थी.

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RSS भी नड्डा को बरकरार रखने के पक्ष में

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तरफ से भी नड्डा को बरकरार रखने का इशारा पार्टी नेतृत्व को दिया गया था. नड्डा जातीय समीकरणों से लेकर राजनीतिक समीकरणों तक की गोटियां पार्टी के हिसाब से फिट बिठाने के महारथी माने जाते हैं. ऐसे में आगामी 9 राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी इस योग्यता की जरूरत पार्टी को किसी भी मोर्चे पर पड़ सकती है. यह भी उन्हें कार्यकाल विस्तार मिलने के पीछे अहम फैक्टर साबित हुआ है.

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