DNA Explainer - क्या है ग्लोबल वार्मिंग और कितना खतरनाक है इसका असर

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 16, 2021, 12:36 PM IST

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यदि धरती के तापमान में बढ़ोत्तरी इसी तरह चलती रही, तो परिणाम खतरनाक हो सकते हैं.

डीएनए हिंदी. नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फियरिक रिसर्च के वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण वायुमंडलीय संरचना में तेजी से बदलाव हो रहा है. यह साबित करता है कि ग्रीनहाउस गैसों से हमारे वातावरण में फेरबदल हो रहे हैं. यही नहीं ऐसी और भी कई रिसर्च और शोध सामने आ चुके हैं, जिनके अनुसार /ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हमारे वातावरण और जीवन को खतरा पैदा हो रहा है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर ग्लोबल वार्मिंग है क्या, इसका कारण क्या है और हम इसे कम करने में अपनी तरफ से क्या योगदान दे सकते हैं.


क्या है ग्लोबल वार्मिंग
ग्लोबल वार्मिंग का सीधा और आसान मतलब है धरती का जरूरत से ज्यादा गर्म होते जाना. वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले 140 सालों में धरती का तापमान एक डिग्री सेल्सियत तक बढ़ चुका है. यह एक तरह से पृथ्वी की सेहत खराब होने जैसा है. वैज्ञानिकों को आशंका है कि आने वाले समय में सन् 2035 तक ये तापमान 0.3 से 0.7 डिग्री सेल्सियत तक और बढ़ सकता है. तापमान में ये वृद्धि तूफान, बाढ़, जंगल में आग और लू का खतरा पैदा कर सकती है. 

क्या है कारण
ग्लोबल वार्मिंग के कुछ मुख्य कारणों में से एक है ग्रीन हाउस इफेक्ट. हमारी पृथ्वी सूरज के प्रकाश से ऊर्जा लेती है. जब सूरज की किरणें पृथ्वी पर आती हैं, तो इनका कुछ हिस्सा पृथ्वी के वातावरण में ही रह जाता है. इसी प्रक्रिया में वातावरण की कुछ गैसें कार्बन-डाइ-ऑक्साइड, मिथेन और जल-वाष्प पृथ्वी पर एक परत बना लेती हैं. इन्हें ग्रीन हाउस गैस कहा जाता है. जिस तरह हरे रंग का कांच ऊष्मा को अंदर आने से रोकता है, उसी तरह ये गैसें पृथ्वी के ऊपर परत बनाकर अधिक ऊष्मा से इसकी रक्षा करती हैं. लेकिन अब उद्योगों और वाहनों के बढ़ते इस्तेमाल के कारण ये परत मोटी होती जा रही है और धरती का तापमान बढ़ रहा है. जानकार ग्रीनहाउस को ग्लोबल वार्मिंग का कारण मानते हैं. 

नतीजा क्या होगा
यदि धरती के तापमान में बढ़ोत्तरी इसी तरह चलती रही, तो परिणाम खतरनाक हो सकते हैं. इनमें कोरल रीफ्ट का नष्ट होना, पशु और पौधों की प्रजातियों का लुप्त होना शामिल है. इससे बर्फ की चादर पिघल सकती है और समुद्र का जल स्तर कई फीट तक बढ़ सकता है. ये सब परिणाम किसी तबाही का अंदेशा देते हैं.

हम क्या कर सकते हैं
1.
यदि बच्चों का स्कूल या ऑफिस नजदीक है, तो वैन या कार की बजाय पैदल ही स्कूल या ऑफिस जाएं. 
2.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा इस्तेमाल करें
3.
जरूरत से ज्यादा बिजली खर्च ना करें. सीएफएल लाइट्स ही इस्तेमाल करें.
4.
कमरे से बाहर जाएं या जरूरत ना हो, तो लाइट बंद ही रखें.
5.
टीवी ना देख रहे हों, तो ऑफ कर दें
6.
पेड़-पौधे लगाएं, पेड़ वातावरण में मौजूद कार्बन डाइ ऑक्साइड को ग्रहण कर प्रदूषण कम करने में मदद करते हैं.
7.
 शाकाहारी बनें. मांस-मछली का सेवन कम करें. इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है. 
8.
 इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और अन्य सामान बनाने में कार्बन एमिशंस का इस्तेमाल होता है. इन वस्तुओं को तैयार करने से लेकर आपके नजदीकी बाजारों तक पहुंचाने में जो भी संसाधन या साधन इस्तेमाल होते हैं, उनसे वातावरण पर फर्क पड़ता है. ऐसे में अपने वातावरण को सुरक्षित रखने के लिए कम सामान खरीदें, रिपेयर करने की आदत डालें, सेकेंड हैंड वस्तुओं का इस्तेमाल करें और रीसाइकिल करें.

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